नयी दिल्ली: राज्यसभा में आज गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजु द्वारा ‘देश के विभिन्न भागों विशेषकर असम में हाल की बाढ़ से उत्पन्न हालात’ के बारे में वक्तव्य दिया गया, जो इस प्रकार है:
‘’ दक्षिण –पश्चिम मॉनसून के दौरान हर साल जून से सितम्बर तक भारत में भारी वर्षा होती है। इस अवधि के दौरान होने वाली वर्षा, भारत भर में होने वाली कुल वर्षा का लगभग 70 -90 प्रतिशत होती है। इस वर्षा के परिणामस्वरूप, नदियों में बाढ़ आना मौसम की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है। इस साल केरल में मॉनसून का प्रारंभ 30 मई को हुआ था, 19 जुलाई 2017 तक मॉनसून पहले ही पूरे देश को कवर चुका था। क्षेत्रवार वितरण के अनुसार इस तिथि तक देश के 89 प्रतिशत क्षेत्र में अधिक/सामान्य वर्षा हुई और 11 प्रतिशत क्षेत्र में कम बारिश हुई।
देश की 40 मिलियन हैक्टेयर से ज्यादा भूमि बाढ़ और नदी के कटाव की आशंका वाली है। भारत में बाढ़ की आशंका वाले क्षेत्रों में हिमालयी नदी बेसिन (विशेषकर कोसी और दामोदर नदियां), उत्तर-पश्चिमी नदी बेसिन (झेलम, रावी, सतलुज और ब्यास नदियां) और केंद्रीय एवं प्रायद्वीपीय नदी बेसिन (नर्मदा, चम्बल, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियां) शामिल हैं।
वर्तमान दक्षिण- पश्चिम मॉनसून सीजन के दौरान, असम, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्से भारी वर्षा/बाढ़/और वर्षा से संबंधित विभिन्न डिग्री की आपदाओं से प्रभावित हुए हैं। इन राज्यों से प्राप्त नुकसान की सूचना के अनुसार 508 लोगों की मृत्यु हो गई है, 24,811 मवेशी मारे गए हैं, 63,215 मकान/ झोंपडि़यों को नुकसान पहुंचा है और लगभग 2.8 लाख हैक्टेयर फसल क्षेत्र भारी वर्षा/बाढ़/भूस्खलन आदि से प्रभावित हुई हैं।
प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। केंद्र सरकार ऐसी सख्त परिस्थितियों से निपटने के लिए वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करके राज्य सरकारों के प्रयासों में वृद्धि करती है। सम्बद्ध राज्य सरकारों को आवश्यक राहत, तैयारियां /ऐहतियाती उपाय करने को कहा गया है जिनमें अन्य बातों के अलावा राहत सामग्री का वितरण, लोगों को निकालना और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना, बहुद्देश्यीय राहत शिविरों/ आश्रय स्थलों की स्थापना करना, बाढ़/बाढ़ के बाद की आपदा अवधि के दौरान किसी भी तरह की महामारी को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक स्वाथ्य एवं स्वच्छता के उपाय किया जाना शामिल है। राज्य सरकारें, भारतीय मौसम विभाग और केंद्रीय जल आयोग के साथ समन्वय स्थापित कर वर्षा, नदियों/बांधों के जलस्तर पर नजर रख रही हैं साथ ही साथ समस्त असुक्षित जिलों के लिए मौसम संबंधी परामर्श भी जारी कर रही हैं।
असम के संबंध में, राज्य में 2 प्रमुख नदी प्रणालियां हैं (अर्थात ब्रह्मपुत्र घाटी और बराक घाटी), जो बाढ़ का कारण बनती हैं। राज्य को ब्रह्मपुत्र बराक और अन्य छोटे नदी उप थालों के मैदानी इलाकों में भीषण बाढ् की समस्या का सामना करना पड़ता है। असम को 19 जुलाई 2017 तक दो बार बाढ़ का सामना करना पड़ चुका है जिससे 33 जिलों में से 29 जिले प्रभावित हुए हैं। इसके कारण लोगों की जाने गई हैं, मवेशी मारे गए हैं और डूबने के कारण मकानों को काफी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार प्रभावित लोगों को आवश्यक राहत पहुंचा रही है। असम राज्य सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य के विभिन्न जिलों में प्रभावित लोगों को लगभग 59430.45 क्विंटल चावल, 11142.18 क्विंटल दाल, 3541.71 क्विंटल नमक और 58092 तिरपाल आदि उपलब्ध कराई गई है। राज्य सरकार ने बताया है कि 1160 राहत शिविर बनाए गए हैं और इनमें 1,31,416 लोगों को रखा गया है। हालांकि राज्य में वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार जिलों में बचाव और राहत कार्यों की बारीकी से निगरानी कर रही है।
माननीय प्रधानमंत्री 12 जुलाई 2017 को प्रगति के माध्यम से राष्ट्र की बाढ़ से निपटने की तैयारियों का जायजा लिया।