भारत बचाओ महा रथयात्रा
“हम दो, हमारे दो तो सबके दो”
भारत में खतरनाक रूप से बढ़ती असंतुलित जनसंख्या के कारण देश की एकता, अखंडता, सम्प्रभुता तथा लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। देश में बहुसंख्यक हिंदू समाज की जनसंख्या तेजी से घटती जा रही है और देश का जनसांख्यिकीय अनुपात इस कदर बिगड़ गया है कि कई राज्यों में पूर्ण रूप से और कुछ राज्यों में क्षेत्रीय स्तर पर हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है। सनद रहे कि सन् 1947 में देश का बंटवारा धर्म के आधार पर ही हुआ था। हालांकि करोड़ों लोगों की लाशें बिछाकर हुए विभाजन के बावजूद भारत धर्म निरपेक्ष ही बना रहा है। आज एक बार फिर वैसी ही चुनौती देश के सामने पैदा होती जा रही है जहाँ एक और विभाजन की आशंका प्रबल हो उठी है। जहाँ एक ओर बहुसंख्यक हिंदू समाज परिवार कल्याण को अपना कर कम बच्चे पैदा कर सरकार की नीतियों का अनुसरण कर रहा है, तो दूसरी ओर अल्पसंख्यक समाज में अनियंत्रित जन्मदर आदर्श जनसांख्यिकीय अनुपात के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है। ध्रुवीय सत्य है कि हिंदुस्तान की सुरक्षा तभी संभव है, जब देश का मौलिक आदर्श जनसांख्यिकीय अनुपात अक्षुण्ण रहे। इसीलिए हमने नारा दिया है –
“हम दो, हमारे दो तो सबके दो”
आबादीगत परिवर्तन की इस गंभीर चुनौती को देखते हुए देश में जनसंख्या नियंत्रण हेतु एक कठोर कानून के निर्माण की गहन आवश्यकता महसूस की जा रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता,अखंडता और संप्रभुता से जुड़ी इस गंभीर समस्या का निदान बिना कठोर कानून बनाये संभव नहीं है इसीलिए ‘राष्ट्र निर्माण संगठन’ ने देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए केन्द्र सरकार, संसद और तमाम राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने के लिए ‘भारत बचाओ महा रथयात्रा’ के आयोजन का निर्णय किया है।
जाने माने समाजसेवी और वरिष्ठ पत्रकार व संपादक श्री सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व में आयोजित यह महा रथ-यात्रा देश में पहली बार इस गंभीर मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी जन जागरण का कार्य करेगी। देश में राष्ट्रहित के किसी ऐसे मुद्दे पर किसी गैर-राजनीतिक संगठन व व्यक्ति के द्वारा आयोजित यह पहली और ऐतिहासिक यात्रा है, जो 18 फरवरी 2018 प्रात: 11 बजे जम्मू से शुरू होगी और देश के सभी प्रमुख राज्यों से गुजरती हई करीब 20 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय कर 22 अप्रैल 2018 को दिल्ली में सम्पन्न होगी।
इस महा रथयात्रा में करीब 25 करोड़ लोगों की प्रत्यक्ष सहभागिता होने का अनुमान है। श्री सुरेश चव्हाणके के नेतृत्व में आयोजित इस यात्रा में ‘राष्ट्र निर्माण संगठन’ ने करीब2000 से ज्यादा जनसभाएं आयोजित करने की तैयारी की है। इस दौरान यह ‘भारत बचाओ महा रथयात्रा’ देश के करीब 5000 से ज्यादा शहरों से होकर गुजरेगी जिसमें करीब 2 लाख से ज्यादा गाँवों की सहभागिता भी होगी।
श्री सुरेश चव्हाणके ने इस यात्रा के दौरान देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए करीब 10 करोड़ लोगों का अभूतपूर्व जनसमर्थन (हस्ताक्षर, ऑनलाइन आवेदन औरमिसकॉल द्वारा) जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस यात्रा के मुख्य पड़ाव जम्मू, चंडीगढ़ लखनऊ,वाराणसी, पटना, कोलकाता, भुवनेश्वर, हैदराबाद, तिरुपति, बैंगलोर, कन्याकुमारी से लेकर मुंबई,चेन्नई, तिरुअनंतपुरम, गांधीनगर, जयपुर और देहरादून आदि होंगे।
पूरी यात्रा उपग्रह आधारित जीपीएस नियंत्रित कैमरों की निगरानी में होगी। इस महा रथयात्रा में करीब 100 गाडियों का काफिला होगा। इस दौरान देश में जनसंख्या नियंत्रण कानूनबनाने की आवश्यकता बताने के लिए वृत्त चित्र का प्रदर्शन और कुल 22 भाषाओं में पुस्तिका का वितरण कर जनता को जागृत करने का कार्य किया जाएगा। समूची यात्रा का सीधा प्रसारण देश के विभिन्न चैनलों, तथा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये लगातार किया जाएगा। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए देश भर में करीब 2000 से अधिक समितियों का गठन किया जा चुका है।
यात्रा को सफल बनाने में हजारों कार्यकर्ताओं, समाजसेवी व धार्मिक संगठनों के नेताओं के अलावा अनेक वरिष्ठ पूर्व सैन्य अधिकारी भी जुटे हैं। दिल्ली में इस संवेदनशील यात्रा पर निगरानी के लिए एक अत्याधुनिक वार रूम बनाया जा चुका है, जिसके जरिये ‘भारत बचाओ महा रथयात्रा’ की पल-पल की सचित्र जानकारी उपलब्ध होती रहेगी।
श्री सुरेश चव्हाणके ने बताया कि इस ऐतिहासिक भारत बचाओ यात्रा के बारे में विस्तृत जानकारी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा सभी दलों के नेताओं को भी दिया जा रहा है । इस यात्रा को केंद्र सरकार के कई मंत्रियों, विभिन्न दलों के सांसदों, विधायकों, देश भर के धर्मगुरूओं, वैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, विविध स्वयंसेवी संगठनों सहित समस्त बुद्धिजीवियों का अपार समर्थन मिल रहा है। यात्रा के बारे में और जानकारी देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन जल्दी ही दिल्ली में किया जाएगा।
यात्रा की पृष्ठभूमि
जनसंख्या वृद्धि दर का खतरनाक स्वरुप
भारत की अत्यंत तेजी से बढ़ रही जनसंख्या आज एक विकराल रुप धारण कर चुकी है। आज़ादी के पहले 19411 की जनगणना में अखंड भारत की आबादी लगभ 32 करोड़ थी, जो आज़ादी के बादविभाजन के बावजूद साढ़े चार करोड़ बढ़ कर 36.10 करोड़ हो गई। हर दशक में 20% की वृद्धि के साथ 50 वर्षों में देश की जनसंख्या साढ़े तीन गुनी बढ़कर 1911 में 121 करोड़ हो गई। इसी तरह यहजनसंख्या बढ़ती रही तो 2021 में हमारी आबादी 133 करोड़ और 2026 में 140 करोड़ हो जाएगी और हम जल्द ही चीन की जनसंख्या को पार कर जाएंगे। देश की जनसंख्या वृद्धि की इस बेलगाम दर काकारण सिर्फ जन्म दर में वृद्धि ही नहीं है, बल्कि बांग्लादेश और म्यांमार से संगठित और अवैध रूप से घुसपैठ कर भारत में रह रहे घुसपैठियों की एक बड़ी संख्या भी है। एक आंकड़े के अनुसार 5 करोड़ सेभी ज्यादा अवैध घुसपैठिये इस समय देश के अलग अलग राज्यों में रह रहे हैं। इस अवैध घुसपैठ के कारण पश्चिम बंगाल, असम और केरल जैसे राज्यों का जनसांख्यिकीय अनुपात असंतुलित होगया है। कई राज्यों में बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो गई है। हमारी सांस्कृतिक पहचान का स्वरूप विकृत हो रहा है।
जनसंख्या वृद्धि हमारे पिछड़ेपन का सबसे बड़ा कारण
जनसंख्या की यह असमान और अनियंत्रित वृद्धि भारत के विकास के मार्ग में बहुत बड़ा अवरोधक है। लगातार कोशिशों के बावजूद मानव विकास सूचकांक में भारत अभी भी श्रीलंका और मालदीव जैसेछोटे देशों से भी निचले स्तर पर 131 वें स्थान पर है। उभरती अर्थव्यवस्था के मामले में 74 देशों में 62 वें स्थान पर, स्वास्थ्य सूचकांक के मामले में 195 देशों में