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देहज विरोधी कानून

विधि

भारतीय समाज में विवाह के समय दहेज दिया व लिया जाता है। इसे भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग माना जाता था तथा इसे कन्या के पिता द्वारा अपनी पुत्री को स्त्री धन के रूप में दिया जाना अपना धार्मिक दायित्व समझाता था, किन्तु लालच के वशीभूत होकर वर पक्ष द्वारा जब विवाह उपरान्त नवविवाहिता स्त्री को उसके माता पिता के घर से दहेज लाने के लिए विवश किया जाने लगा तथा इसके लिए उन्हें अपमानवीय यातनाएं दी जाने लगी, तो सरकार को इस असामाजिक व अनैतिक कृत्य को रोकने के लिए कानून बनाना पड़ा तथा सर्वप्रथम 20 मई 1961 को दहेज प्रतिरोध कानून संसद द्वारा पारित किया गया।

इस अधिनियम के अनुसार दहेज से अर्थ कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूमि जो कि विवाह के समय या विवाह के पश्चात-

(क) विवाह के एक प़क्ष द्वारा विवाह के दूसरे पक्ष को या

(ख) विवाह के किसी पक्ष के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा विवाह में किसी भी पक्ष या किसी अन्य व्यक्ति को दिए जाने से है।

विशेष-

1. यह अधिनियम मुस्लिम विधि पर लागू नहीं है।

2. इस अधिनियम के अन्तर्गत दहेज देना व लेना दोनों ही अपराध की कोढि में आता है। अतः यह अधिनियम विवाह के दोनों पक्षों पर लागू होता है।

3. इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध सिद्ध हो जाने पर पन्द्रह हजार रूपये का अर्थदण्ड व कम पांच वर्ष का कारावास दहेज लेने या देने का अपराधा सिद्ध होने पर है।

4. दहेज मांगे जाने के अपराध के सिद्ध हो जाने पर कम से कम 6 माह व अधिकतम दो वर्ष का कारावास का प्रावधान है।

5. इस अधिनियम के अन्तर्गत भेट गिफ्ट का लिया अथवा दिया जाना अपराध नही है।

6. इस अधिनियम के अलावा दहेज लाने के लिए नवविवाहिता को विवाह दिनांक से सात वर्ष तक की अवधि के दौरन सताना या प्रताड़ित करने पर दहेज प्रतिरोध अधिनियम के अलावा भारतीय दंड संहिता की धारा 498 (प) में भी संशोधन किया गया है जो निम्नानुसार हैः-

धारा 498(प) किसी स्त्री के पति या पति के नातेदारों द्वारा उसके प्रति क्रूरता करना- जो कोई स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा वह कारावास के (जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जायेगा।)

(क) इस धारा के अन्तर्गत क्रूरता के आशय जानबूझकर किया कोई आचरण जो ऐसी प्रकृति का हो जिससे उस स्त्री की आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को (जो चाहे मानसिक हो या शारीरिक), गंभीर क्षति का खतरा कारित करने की संभावना हो या-

(ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी नातेदार को किसी सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाए या किसी स्त्री को इस दहेज एक्ट में कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने में असफल रहा है।

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