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द इंडियन पब्लिक स्कूल, सेलाकुई देहरादून के स्थापना दिवस समारोह में दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते हुए राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल

द इंडियन पब्लिक स्कूल, सेलाकुई देहरादून के स्थापना दिवस समारोह में दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते हुए राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल
उत्तराखंड

देहरादून: उत्तराखण्ड के राज्यपाल डाॅ0 कृष्ण कांत पाल ने इंडियन पब्लिक स्कूल, सेलाकुई देहरादून के 17वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। राज्यपाल ने दीप प्रज्जवलित कर स्थापना दिवस समारोह का शुभारम्भ किया तथा स्कूली छात्रों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का अवलोकन किया। उपस्थित छात्र-छात्राओं, अभिभावकों तथा शिक्षकों को विद्यालय के 17वें स्थापना दिवस हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए राज्यपाल डाॅ0 पाल ने कहा कि इंडियन पब्लिक स्कूल द्वारा प्राचीन गुरूकुल परम्परा की विशेषताओं को समन्वित करने के साथ ही अध्ययन एवं अध्यापन के आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों अपनाया गया है, यह प्रंशसनीय है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि इन्टरनेट तथा सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में हमें व्यक्तिगत बातचीत के महत्व को समझने की भी आवश्यकता है। हमें आॅनलाइन गतिविधियों तथा अपने परिवार, मित्रों तथा शिक्षकों से सामान्य बातचीत के मध्य संतुलन बनाने की जरूरत है। आज इन्टरनेट पर अत्यधिक मात्रा में सूचना की उपलब्धता है परन्तु इस सूचना का प्रयोग किस प्रकार किया जाय यह भी महत्वपूर्ण है। हमें वास्तविक तथा गलत सूचना में अन्तर करना भी सीखना होगा। इस सम्बन्ध में शिक्षक बच्चों को सही दिशा दिखा सकते है।

राज्यपाल ने कहा कि आज के युग में लीक से हटकर या नवोन्मेषी सोच ही सफलता के पथ पर ले जा सकती है। ज्ञान व विचार विकसित करने हेतु छात्रों को अच्छी पुस्तकंे पढ़ने की आदत डालनी होगी। अच्छी पुस्तकंे व्यक्तित्व तथा चरित्र विकास में सहायक होती हंै। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि शिक्षा को छात्र के चरित्र विकास व विश्व की चुनौतियों का सामना करने में सहायक होना चाहिए। शिक्षा मात्र किताबी ज्ञान नही है बल्कि यह पुरे विश्व में हो रहे परिर्वतनों तथा एक बड़े परिदृश्य को समझने की प्रक्रिया भी है। आज हमारे शिक्षक युवाओं को विकासशील देश की विभिन्न चुनौतियों व आवश्यकताओं का सामना करने के लिए तैयार कर रहे है। याद रहे कि हमें विश्व की उच्चतम प्रतिभाओं से प्रतिस्पर्धा करनी है। राज्यपाल ने कहा कि आज के तकनीकी युग में भी हमारा बुद्धिलब्धि या इमोशनल इन्टेलिजेन्स ही हमें सफलता दिला सकती है। आईक्यू निश्चितरूप से महत्वपूर्ण है परन्तु बिना इमोशनल इन्टेलिजेन्स के हमें इंसान नही कहा जा सकता। अपने जीवन को मात्र तकनीकी पर निर्भर न रहने दे।

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