नई दिल्ली: नई दिल्ली में आज 9वीं भारत-जापान ऊर्जा वार्ता संपन्न हुई। ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर. के. सिंह और जापान के आर्थिक, व्यापार एवं उद्योग मंत्री श्री हिरोशिगे सेको ने बैठक खत्म होने के बाद एक संयुक्त व्यक्तव्य पर हस्ताक्षर किए।
दुनिया की तीसरी आर्थिक शक्ति जापान और सातवीं आर्थिक शक्ति भारत ने यह महसूस किया कि विश्वसनीय, स्वच्छ और किफायती ऊर्जा तक पहुंच उनके आर्थिक विकास के लिए जरूरी है और इसे हासिल करने के लिए दोनों मंत्री दोनों देशों के ऊर्जा विकास के लिए द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग को और मजबूत करने पर सहमत हुए। दोनों देश विश्वव्यापी ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा तक पहुंच और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर योगदान करने पर भी सहमत हुए।
संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को लागू करने के उद्देश्य से भारत और जापान दोनों ने डी-कार्बोनाइजेशन के लिए हाइड्रोजन समेत अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के विकास और उनकी तैनाती के महत्व को महसूस किया।
भारत और जापान दोनों ने परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा की बेहतर पहुंच के लिए ग्रिड स्थिरता की प्रासंगिकता की सराहना की। दोनों देश “अगली पीढ़ी/शून्य उत्सर्जन वाहनों पर नीति वार्ता” के साथ सहयोग करते हुए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवीएस) के विकास की दिशा में बातचीत की पहल करने पर सहमति जताई।
भारत और जापान दोनों देशों ने ऊर्जा मिश्रण में कोयला आधारित बिजली उत्पादन के निरंतर महत्व पर फिर जोर दिया और कोयले से निकले बिजली संयंत्रों के लिए पर्यावरणीय उपायों पर सहयोग को बढ़ावा देने पर भी सहमति व्यक्त की।
भारत और जापान ने ऊर्जा बाजार के बेहतर संचालन के संवर्द्धन के लिए मिलकर एक साथ करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और गंतव्य खंड की छूट के माध्यम से पारदर्शी और विविध तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) बाजार को बढ़ावा देने की पुष्टि की।