नई दिल्लीः नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने सोलर पीवी विनिर्माण योजना पर एक अवधारणा पत्र तैयार किया है, ताकि देश में सोलर पीवी मॉड्यूल, सेल, वेफर/इनगॉट और पॉलीसिलिकॉन की विनिर्माण क्षमता बढ़ाई जा सके। सोलर पीवी सेल और मॉड्यूल के निर्माताओं की सहायता करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे कि देश में उत्पादित सौर उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय सौर उत्पादों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मौजूदा सुविधाओं का विस्तार एवं उन्नयन हो सके अथवा नई विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना हो सके। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य इस क्षेत्र में विनिर्माण का पूरा स्पेक्ट्रम अर्थात पॉलीसिलिकॉन से लेकर मॉड्यूल तक का व्यापक विनिर्माण सुनिश्चित करना है।
वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए भारत द्वारा तय किए गए महत्वाकांक्षी लक्ष्य के अनुरूप सरकार की इच्छा यह है कि इसके साथ ही देश में व्यापक सौर निर्माण क्षमता भी अवश्य होनी चाहिए। सरकार का उद्देश्य घरेलू निर्माताओं को अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाकर विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करना है। देश में गुणवत्तापूर्ण सोलर पीवी उपकरणों के उत्पादन के जरिये इस उद्देश्यों की पूर्ति करने का इरादा है। इसके परिणामस्वरूप भारत आगे चलकर सोलर पीवी उपकरणों के एक शुद्ध आयातक देश के बजाय एक शुद्ध निर्यातक देश में तब्दील हो जाएगा और इसके साथ ही भारत सौर निर्माण के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपनी धाक जमा लेगा। इतना ही नहीं, व्यापक सौर निर्माण क्षमता से देश में उत्कृष्ट कौशल वाले रोजगार भी सृजित होंगे।
इस नीति का विवरण मंत्रालय की वेबसाइट http://www.mnre.gov.in पर उपलब्ध है। इस नीति पर टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं जिन्हें 31 दिसम्बर, 2017 तक भेजा जा सकता है।