18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नस्ल पंजीकरण अपने देश के इस अपार पशु आनुवंशिक संसाधन तथा उनसे संबंधित ज्ञान व सूचना का प्रलेखन (डोक्मेंटेशन) करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है: श्री राधा मोहन सिंह

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रीश्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि नस्ल पंजीकरण अपने देश के इस अपार पशु आनुवंशिक संसाधन तथा उनसे संबंधित ज्ञान व सूचना का प्रलेखन (डोक्मेंटेशनकरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैजिससे कि हम अपने आनुवंशिक संसाधनों की एक इन्वेंटरी तैयार कर सकें एवम इन संसाधनों का आनुवंशिक सुधारसंरक्षण एवं सतत उपयोग हो सके। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यह बात नई दिल्ली में पशु नस्ल पंजीकरण प्रमाण पत्र पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर कही।

श्री सिंह ने कहा कि भारत में विविध उपयोगजलवायु एवं पारिस्थितिकी क्षेत्र होने के कारण विभिन्न पशुधन प्रजातियों की बड़ी संख्या में नस्लें विकसित हुई है । देश में आज 512 मिलियन पशुधन व 729 मिलियन कुक्कुट  है। वर्तमान मेंभारत में पशुओं और मुर्गियों की 169 पंजीकृत नस्लें हैंजिसमें पशुधन में गाय की 41, भैंस की 13, भेड़ की 42, बकरी की 28, घोड़े की 7, सुअर की 7, ऊंट की 9, गधे एवं याक  की 1-1 और कुक्कुट समुदाय में मुर्गी की 18 एवं बत्तख व गीज की 1-1 नस्लें शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण है कि पहली बार याकबत्तख व गीज की नस्लें भी पंजीकृत की गयी हैं ।

श्री सिंह ने कहा कि जैव विविधता सम्मेलन (सीबीडीके तहत आनुवंशिक संसाधनों पर राष्ट्रीय संप्रभुता के नए युग के आगमन पर पशुओं और मुर्गियों की नस्लों का वर्णन और सूचीबद्ध करने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता उत्पन्न हुई है । विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओऔर बौद्धिक संपदा अधिकारों के वैश्विक परिदृश्य में स्थानीय पशु आनुवंशिक विविधता की रक्षा करने की जरूरत है । प्रत्येक देश की पशु आनुवंशिक संसाधन की विविधतावितरणबुनियादी विशेषताओंतुलनात्मक प्रदर्शन और वर्तमान स्थिति को समझना उनके कुशल और सतत उपयोगविकास और संरक्षण के लिए आवश्यक है । पूर्ण राष्ट्रीय सूची और रुझानों और जुड़े जोखिम की समय समय पर निगरानीपशु आनुवंशिक संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक बुनियादी आवश्यकता है । इस तरह की जानकारी के बिनाउनके मूल्य मान्यता की जानकारी होने एवं उन्हें संरक्षित करने के लिए उठाए गए उपायों से पहले ही कुछ नस्ल आबादी में काफी गिरावट आ सकती है।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआरने ज्ञात विशेषताओं के साथ मूल्यवान संप्रभु आनुवंशिक संसाधन का एक प्रामाणिक राष्ट्रीय प्रलेखन प्रणाली की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए पशु आनुवंशिक संसाधन राष्ट्रीय ब्यूरो (एनबीएजीआर), करनाल में “पशु नस्लों के पंजीकरण” के लिए सन 2007 में एक प्रक्रिया की शुरूआत की । यह तंत्र राष्ट्रीय स्तर पर “पशु आनुवंशिक संसाधन” सामग्री के पंजीकरण के लिए एकमात्र मान्यता प्राप्त प्रक्रिया है । एक बार पंजीकृत होने के बादइन आनुवंशिक सामग्री को सार्वजनिक क्षेत्र में शामिल किया जाता है । जिससे कि हम अपने आनुवंशिक संसाधनों की एक इन्वेंटरी तैयार कर सकें एवम इन संसाधनों का आनुवंशिक सुधारसंरक्षण एवम सतत उपयोग हो सके । इस तरह की प्रलेखन प्रक्रिया स्थानीय समुदायोंनीति निर्माताओंऔर अनुसंधान और विकास संगठन के बीच जागरूकता और स्वामित्व को बढ़ाने की भावना पैदा करने  में मदद करती है ।

श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि प्रक्रिया की शुरुआत में देश में उपस्थित पशुधन तथा मुर्ग़ी की कुल 129 देशी नस्लें को एक साथ पंजीकृत किया गया। इसके उपरांत कई और नयी नस्लों का पंजीकरण हुआ। आज इस प्रक्रिया के तहत यह संख्या बढ़कर कुल 169 हो गई है। आज भी देश का लगभग 54 % पशुधन का नस्ल चिन्हीकरण होना बाकी है। आज देश के सुदूर – दुर्गम इलाकों से नयी नयी पशुधन नस्लें निकल कर आ रहीं हैं। श्री सिंह ने इस बात पर खुशी जताई कि इस बार कुल 9 नई पंजीकृत नस्लों में 5 पूर्वोतर राज्यों से है। परंतु इन क्षेत्रों में और भी नस्लों के होने की संभावना है जो कि अभी भी शुद्ध रूप में बनी हुई हैं।  अभी भी भारत के मुख्य पशुधन गायभैंसबकरीभेंड़व शूकर की और भी अधिक संख्या में  नयी नस्लें हो सकती हैं। इस के अलावाखच्चरयाकमिथुनबतखबटेर जैसी अन्य प्रजातियों की आबादी को अधिक अधिक संख्या में  वर्गीकृत किया जाना अभी बाकी है।

श्री सिंह ने कहा कि बड़े हर्ष की बात है कि भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् इस तरह का कार्यक्रम पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित कर रहा है जिसमें हम पशु हितधारकों  को नस्लों के पंजीकरण करवाने के लिए सम्मानित करने जा रहे हैं।

Related posts

16 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More