नई दिल्ली: भारत के एक राष्ट्रस्तरीय सहकारी विपरण परिसंघ नाफेड ने 2017 के दौरान दलहन और तिलहन की रिकार्ड खरीददारी की है। नाफेड देश में भारत सरकार की ऐसी अग्रणी एजेंसी के रूप में उभरा है, जिसने दालों और तिलहन की खरीददारी का दायित्व निभाया है। हाल में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के दौरान उसने 8.76 लाख मीट्रिक टन से अधिक दालों की खरीद की है, जिसमें चना 0.20 लाख मीट्रिक टन, मसूर 0.03 लाख मीट्रिक टन, मूंग 1.29 लाख मीट्रिक टन, उड़द 0.59 लाख मीट्रिक टन और अरहर 6.65 लाख मीट्रिक टन शामिल हैं। इसके अलावा 2.20 लाख मीट्रिक टन से अधिक मूंगफली, खोपरा और अन्य तिलहनों की भी खरीददारी की है। नाफेड ने इस कार्य के साथ किसान समुदाय को वाजिब कीमत अदा करके उन्हें लाभ पहुंचाया है। इसके साथ ही दालों और तिलहनों की कीमतों में स्थिरता कायम की और देश में बफर स्टॉक तैयार किया।
नाफेड ने 5916 करोड़ रुपये की कीमत के बराबर विभिन्न जिन्सों की खरीददारी की और इस वर्ष ब्याजपूर्व 106 करोड़ रुपये अस्थायी लाभ कमाया। पिछले दशक के दौरान यह आंकड़ा सबसे अधिक है और वित्तीय रूप से उसकी स्थिति मजबूत हुई है। संगठन सरकार की मजबूत ‘दाल इकाई’ के रूप में उभरा है।
मौजूदा वर्ष के दौरान सरसों, सूरजमुखी, चना, मसूर इत्यादि जैसी रबी तिलहन तथा दालों की खरीद शुरू कर दी गई है। नाफेड ने 30 अप्रैल, 2017 तक 2.95 लाख मीट्रिक टन की खरीद कर ली है।
भारत सरकार नाफेड के लिए वित्तीय पैकेज पर गौर कर रही है और उम्मीद है कि सीसीईए नोट को मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए मई, 2017 में पेश किया जाएगा।