नई दिल्ली: वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज निर्यात के लिए व्यापार बुनियादी ढांचा योजना (टीआईईएस) का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि योजना का उद्देश्य निर्यातकों की आवश्यकताओं को पूरा करना है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि योजना में ध्यान केवल बुनियादी ढांचा तैयार करने पर ही नहीं केंद्रित किया जाएगा, बल्कि सुनिश्चित किया जाएगा कि इसे व्यवसायिक तरीके से स्थायी रूप से चलाया जाए। मंत्री महोदया ने कहा कि योजना के अंतर्गत मंजूर की गई परियोजनाओं की प्रगति की समय-समय पर समीक्षा करने के लिए एक अधिकार प्राप्त समिति होगी और वह योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के वास्ते विशेष रूप से गठित अंतर-मंत्रालयीय अधिकारिता समिति कार्यान्वयन एजेंसियों के प्रस्तावों पर कोष प्रदान करने के बारे में विचार विमर्श करेगी। इस समिति की अध्यक्षता वाणिज्य सचिव करेंगे। परियोजना के आकलन के वास्ते विशिष्ट निर्यात बाधाओं को दूर करने की शर्तों में अपेक्षित लाभ सहित इसके औचित्य का मूल्यांकन किया जाएगा।
वाणिज्य सचिव श्रीमती रीता तेवतिया ने कहा कि इस योजना के तहत बॉर्डर हाट्स, भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों, गुणवत्ता परीक्षण और प्रमाणन प्रयोगशालाओं, कोल्ड चेन, व्यापार प्रोत्साहन केंद्रों, ड्राय पोर्टों, निर्यात भंडारगृहों, पैकेजिंग, विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) और बंदरगाहों / हवाई अड्डों पर कार्गो टर्मिनस जैसी अधिक निर्यात से जुड़ी अवसंरचना परियोजनाओं की स्थापना और उन्नयन के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
टीआईईएस के बारे में-2015 में एएसआईडीई योजना के विलय के बाद से राज्य सरकारें निर्यात बुनियादी ढांचा तैयार करने में केंद्र के समर्थन की लगातार मांग कर रही थी। यह सहायता राज्यों को दिए गए कोषों से बुनियादी ढांचा तैयार की दिशा में हस्तांतरण बढ़ाने को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण है। प्रस्तावित योजना का उद्देश्य निर्यात बुनियादी ढांचे की खामियों को समाप्त कर निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना, निर्यात संवर्द्धन परियोजनाओं के लिए पहले और आखिरी स्तर के बीच संपर्क स्थापित करना और गुणवत्ता तथा प्रमाणीकरण सुविधा प्रदान करना है।
इस योजना के अंतर्गत निर्यात संवर्द्धन परिषदों, कमोडिटीज बोर्डों, एसईजेड प्राधिकारियों और भारत सरकार की एक्जिम नीति के अंतर्गत मान्यता प्राप्त शीर्ष व्यापार निकायों सहित केंद्रीय और राज्य एजेंसियां वित्तीय समर्थन पाने की पात्र हैं।
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