नई दिल्ली: भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आम तौर पर ‘तेजी से बढ़ने वाले उद्योग’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसमें कृषि अर्थव्यवस्था के विकास की असीम संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र की अहमियत इस तथ्य से और भी ज्यादा बढ़ जाती है कि 60 फीसदी से भी ज्यादा आबादी आजीविका के लिए कृषि से जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर है, जबकि सकल मूल्य वर्द्धित (जीवीए) में कृषि क्षेत्र का योगदान लगभग 17 फीसदी है।
वित्त मंत्री ने संसद में अपने बजट भाषण में भारत में निर्मित और/अथवा उत्पादित किये जाने वाले खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एफआईपीबी रूट के तहत 100 फीसदी एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति देने की घोषणा की थी, जिसमें खाद्य उत्पादों का ई-कॉमर्स भी शामिल है।
स्वत: रूट के तहत 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की निर्माण संबंधित गतिविधि में दी गयी है। इसी तरह सकल/कैश एंड कैरी व्यवसाय में भी स्वत: रूट के तहत 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी गयी है, जिसमें खाद्य उत्पाद भी शामिल हैं।
भारत में एफडीआई और निवेश को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में आधिकारिक मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल विश्व भर का दौरा कर रहे हैं। इसके लिए मिली शुरुआती प्रतिक्रिया बड़ी ही उत्साहवर्धक रही है। बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियों ने भारत आकर विश्वसनीय स्थानीय भागीदार से हाथ मिलाने में रुचि दिखाई है। इसे ध्यान में रखते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने मंत्रालय के अंतर्गत ही एक निवेश लक्ष्य निर्धारण एवं सुविधा डेस्क बनायी है जो उनकी मदद गठबंधन करने, नेटवर्क बनाने एवं भारत से वस्तुओं की प्राप्ति में करेगी। संबंधित प्रकोष्ठ भारतीय कंपनियों की एक सूची भी उनके विदेशी भागीदारों के लिए तैयार करेगा।
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