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नेफेड (NAFED) ने आठ लेनदार बैंकों के साथ एकमुश्‍त समाधान समझौते पर हस्‍ताक्षर किए

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः भारतीय राष्‍ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) ने अपने आठ लेनदार बैंकों के साथ एकमुश्‍त समाधान समझौते पर हस्‍ताक्षर किए। इस समझौते के अंतर्गत नेफेड (NAFED) ने 220 करोड़ रुपये नगद तथा 254 करोड़ रुपये पर आंकी हुई लारेंस रोड, नई दिल्‍ली , स्थित संपत्ति को बैंकों को हस्‍तांतरित किया है।  इसके साथ ही नेफेड (NAFED) ने अपने देनदार कंपनी के अंधेरी मुंबई स्थित मेगा माल की कुछ दुकानों का नीलामी अधिकार हस्‍तांतरित किया है।

      इस समझौते पर बैंकों की ओर से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के उप-महाप्रबंधक तथा नेफेड के अपर प्रबंधक निदेशक द्वारा हस्‍ताक्षर किए गए।

      यह गौरतलब है नेफेड 2003-05 के दौरान कुछ विवादित व्‍यवसाय में पैसा फंसा चुका था। कुछ निजी क्षेत्र की पार्टियों ने नेफेड को पैसा नहीं लौटाया जिसका खामियाजा़ नेफेड को ब्‍याज देकर  चुकाना पड़ता रहा है।  वर्ष 2011-12 में वित्‍तीय संसाधन की कमी के कारण नेफेड आगे ब्‍याज का भुगतान नहीं कर पाया जिसके कारण बैंकों ने नेफेड के  खातों को (सील) एनपीए कर दिया।

तत्‍पश्‍चात नेफेड को सरकारी  व्‍यवसाय करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। इस बीच लेनदार बैंकों ने नेफेड पर कानूनी कार्रवाई कर दी थी जिससे यह सहकारी संस्‍था तथा भारत सरकार को दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा था।

      नेफेड भारत सरकार की मूल्‍य समर्थन योजना के अंतर्गत तिलहन, दलहन की शीर्ष एजेंसी है। इन योजनाओं के तहत नेफेड किसानों से न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर कृषि जिंसों की खरीदी व्‍यवस्‍था करता है। जिससे किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके।  इन स्कीमों के संचालन हेतु भारत सरकार नेफेड को सरकारी गारंटी मुहैया कराती है।  जिस के  आधार पर बैंक नेफेड को ऋण मुहैया करती है  परंतु इस तत्‍कालिक ऋण जाल के कारण, नेफेड को सहज तरीके से  बैंकों से पैसा नहीं मिल पाता था।  अब इस समझौते से इसका निराकरण हो सकेगा।  अब नेफेड को न्‍यूनतम दर पर बैंकों से पैसा मिल पाएगा जिससे नेफेड किसानों की सेवा कर सके।

      नेफेड के वित्‍तीय पुनरुत्‍थान के लिए  वर्ष 2015 में  कृषि मंत्रालय में एक उच्‍च स्‍तरीय   समिति का गठन हुआ था इस समिति ने 27 जनवरी 2016 को बैंकों से विचार विमर्श के पश्‍चात 478 करोड़ रुपये पर एकमुश्‍त समझौता किया  जिसमें  नेफेड को अपनी 17 परिसंपत्तियों को भारत सरकार के पक्ष में रेहन रखना था।  इसके एवज में  नेफेड को  प्रशासनिक खर्चे हेतु 30 करोड़ रूपये का वार्षिक अनुदान तथा  478 करोड़ रूपये बैंकों को देने हेतु देना था।  इस समझौते का क्रियान्‍वयन होने में थोड़ा वक्‍त लगा और दिनांक 27 दिसंबर 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्‍च स्‍तरीय बैठक की गई जिसमें समझौते के प्रारूप को तय किया।  नेफेड ने अपने लेनदार बैंकों के साथ इस समझौते को क्रियान्‍वयन किया है  ताकि नेफेड और लेनदार बैंकों के बीच  पुन: सामंजस्‍य कायम हो सके। इस मौके पर नेफेड के अध्‍यक्ष तथा वरिष्‍ठ निदेशकगण मौजूद थे।

      नेफेड के अध्‍यक्ष महोदय ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी,  केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, केंद्रीय वित्त मंत्री और कृषि और किसान कल्याण के राज्य मंत्री , भारत सरकार के कृषि सचिव, बैंकिग सचिव तथा अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों के लिए धन्यवाद दिया है जिन्‍होंने नेफेड के पुनरुत्‍थान के लिए सहयोग किया है।

उन्‍होंने बैठक को संबोधित करते हुए आशा दिलाई कि भविष्‍य में इस प्रकार के कार्यकलाप की पुनरावृति न हो तथा नेफेड भारत सरकार के निर्देशानुसार किसानों की सेवा करता रहे।

इस निपटारे ने संघ में विशेष रूप से और सहकारी क्षेत्र में सामान्य रूप से अपने कर्मचारियों को काफी राहत  लाई है।

प्रबंध निदेशक नेफेड ने भी भारत सरकार तथा लेनदार बैंकों को धन्‍यवाद दिया।

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