नैनीताल: सरोवर नगरी की ख्याति प्राप्त नैनीझील के हर साल गिर रहे जलस्तर को लेकर शासन भी गम्भीर हो चला है। प्रदेश के मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने वीडियों कान्फ्रेसिंग के जरिए झील के संबंध में जिलाधिकारी दीपक सहित सिंचाई एवं जलसंस्थान के अधिकारियों से जानकारी हासिल की।
मुख्य सचिव ने प्रशासनिक अधिकारियों से झील की गहराई के साथ ही पानी कम होने और झील के गिरते हुए स्तर के बारे में गहनता से विचार विमर्श किया। साथ ही इस समस्या के निराकरण के लिए सुझाव मांगे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जल संम्भरण के उपायों के साथ ही झील के ट्रिटमेंट संबन्धी स्टीमेट तत्काल शासन को भेजने के निर्देश दिये। ताकि इस संबन्ध में ठोस पहल की जा सके। उन्होंने कहा कि नैनीझील का ऐंतिहासिक महत्व है वही पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र भी है। ऐसे में झील की सुरक्षा एंव उसके सौन्दर्य को बनाये रखने के लिए एक दूरगामी योजना बनायी जानी जरूरी है।
वीडियो कान्फ्रेसिंग में जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि प्रतिवर्ष वर्षा के अभाव में ग्रीष्मकाल में झील का जलस्तर काफी नीचे आ जाता है। इस झील के माध्यम से नैनीताल शहर को 12 से 14 एमएलडी पेयजल की सप्लाई पम्पिक कर की जाती है। सीजन के दौरान पेयजल की आपूर्ति 19 एमएलडी तक हो जाती है। उन्होंने बताया कि झील की गहराई का कोई सही अनुमान नहीं है। लेकिन सन् 1879 के हिसाब से नैनीझील की गहराई 27 मीटर कही गई है। उन्होंने बताया कि विगत वर्ष सीजन प्रारम्भ होने से पहले विभागीय प्रयासों एवं जन सहयोग से झील में बने डेल्टाओं की सपफाई कर टनों मलबा निकाला गया। रावत ने बताया कि बरसात होने के बाद नैनीझील का जलस्तर सामान्य हो जाता है।
कान्फ्रेसिंग में प्रमुख सचिव सिचाई आन्नद वर्धन के अलावा अधीक्षण जलसंस्थान एके अंसारी, अधिशासी अभियन्ता जलसंस्थान जगदीप चैधरी, एलडीए के सीएस साह, मुख्य अभियन्ता सिचाई डीसी खेतवाल, अधिशासी अभियन्ता सिचाई बृजेन्द्र कुमार, अधि.अधि. रोहिताश शर्मा, जिला सूचना विज्ञान अधिकारी राजीव जोशी आदि मौजूद थे।