इंडियन क्रिकेट में गुरुवार का दिन क्रिकेट प्रशासन संबंधी घटनाओं का रहा। जहां सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रकी क्रिकेट की शीर्ष संस्था बीसीसीआई के संविधान को अंतिम रूप देने संबधी मामले में सुनवाई करते हुए अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वहीं न्यायालय की ओर से नियुक्त ने गुरुवार को ही को 16 बाहरी खिलाड़ियों को बाहर करने का आदेश दिया जो तमिलनाडु प्रीमियर लीग के तीसरे चरण में भाग लेने की तैयारी कर रहे थे। सीओए ने बाहरी खिलाड़ियों के भाग लेने की स्थिति में टीएनपीएल को ‘गैर मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट’ करार देने की धमकी भी दी व आयोजकों को छह जुलाई तक बीसीसीआई से अनुमति लेने को भी कहा ।
बीसीसीआई में कई लोगों ने इस निर्णय को विचित्र फरमान करार दिया जिससे ऐसा लगता है कि हिंदुस्तान ए के पूर्व खिलाड़ी उन्मुक्त चंद, शेल्डन जैक्सन 11 जुलाई से प्रारम्भ होने वाली राज्य की टी 20 में भाग नहीं ले पाएंगे । हिंदुस्तान के मौजूदा खिलाड़ी हनुमा विहारी के भी टीएनपीएल में खेलने की उम्मीद है जो राष्ट्रीय टीम के साथ इंग्लैंड में है ।
सीओए के सभी राज्य संघों को भेजे मेल के अनुसार टीएनसीए ने लीग में बाहरी खिलाड़ियों को शामिल करने के लिये पहले से अनुमति नहीं ली । इस मेल के अनुसार टीएनसीए ने मौजूदा नियमावली की धारा 28 (बी) का उल्लघंन किया है । इस 28 (बी) नियम के अनुसार, ”किसी भी टूर्नामेंट के आयोजन के लिये पहले से अनुमति लेना महत्वपूर्ण होता है जिसमें अधिकार एरिया से बाहर के सदस्यों के भाग लेने की आसार होती है । ”
उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान में क्रिकट प्रशासन को लेकर खेल संघों खास तौर पर बीसीसीआई व प्रशासकों की समिति में विवाद की स्थिति चल रही है ।
सीओए ने सुप्रीम न्यायालय को अपनी नौंवी रिपोर्ट जमा की है जिसमें उसका कहना है कि बीसीसीआई के ऑफिसर 22 जून 2018 को हुई मीटिंग में भाग लेने वाले अन्य लोगों के साथ मिलकर मानद सुप्रीम न्यायालय के पारित आदेश को पलटने व बाधित करने का कोशिश कर रहे हैं । सीओए ने सीधे आरोप लगाया है कि बीसीसीआई के ऑफिसर – कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी व कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी – उच्चतम कोर्ट द्वारा पारित आदेश को ‘पलटने व बाधित’ करने का संघर्ष कर रहे हैं ।
राज्य क्रिकेट संघों के चुनावों पर रोक
इसी बीच सुप्रीम न्यायालय ने राज्य क्रिकेट संघों के चुनावों पर रोक लगा दी है जो इंडियन क्रिकेट बोर्ड बीसीसीआई के मसौदा संविधान को अंतिम रुप देने के बारे में न्यायालय का निर्णय आने तक लागू रहेगी । मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा व न्यायाधीश एएम खानविलकर व डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आदेश में सभी हाई न्यायालय से बोला कि वो राज्य क्रिकेट संघों में प्रशासकों की नियुक्ति के बारे में किसी याचिका की सुनवाई न करें ।
कोर्ट ने बीसीसीआई पदाधिकारियों के लिए दो कार्यकाल के बीच ब्रेक की आवश्यकता को महत्वपूर्ण नहीं माना । लोढ़ा समिति ने यह सिफारिश की थी कि किसी बीसीसीआई पदाधिकारी के कार्यकाल के समाप्त होने व उसके बाद अगला कार्यकाल प्रारम्भ होने के बीच एक ब्रेक होना चाहिए ।
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