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पंचायतों के सोशल ऑडिट से पारदर्शिता बढ़ने के साथ तय होगी जवाबदेही: नरेन्द्र सिंह तोमर

देश-विदेश

केंद्रीय पंचायती राज, ग्रामीण विकास, कृषि एवं किसान कल्याण तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मंगलवार को वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से पंचायती राज संस्थाओं के लिए 15 वें वित्त आयोग अनुदान के सोशल ऑडिट (सामाजिक लेखा परीक्षा) हेतु गाइड लाइन को जारी किया। इस गाइडलाइन का निर्माण ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद ने पंचायती राज मंत्रालय के सहयोग से किया है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने ऑडिट ऑनलाइन शुरू करने और सामाजिक लेखा परीक्षा के दिशा निर्देशों की तैयारी के लिए इस दिशा में पंचायती राज मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। राज्यों द्वारा की गई अच्छी प्रगति के लिए उन्हें बधाई देते हुए, उन्होंने अपील की कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में शत प्रतिशत पंचायतों के ऑनलाइन ऑडिट का लक्ष्य रखकर उसे पूर्ण किया जाए।

केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री तोमर ने इस अवसर पर कहा कि आज ग्राम पंचायतों के पास विकास कार्य के पर्याप्त धनराशि पहुंच रही है। मनरेगा, पीएम आवास जैसी योजनाओं के साथ ही केंद्र एवं राज्य वित्त आयोग के अनुदान से होने वाले कार्यों का क्रियान्वयन भी पंचायतों के माध्यम से होता है। पंचायतों के पास पैसे की कमी नहीं है। ऐसे में पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता आने के साथ ही जवाबदेही तय होना भी जरूरी है। पंचायती राज मंत्रालय ने लगातार इस दिशा में प्रयत्न किए हैं कि पंचायतों में सुशासन आएं और वे आदर्श पंचायतों के रूप में स्थापित हों। ई ग्राम स्वराज, ऑडिट लाइन एप्लीकेशन और सोशल ऑडिट जैसे प्रावधानों से ग्राम पंचायतों के कामकाज में पूर्ण पारदर्शिता आना तय है। श्री तोमर ने बताया कि देश के 14 राज्यों ने 20 प्रतिशत ग्राम पंचायतों के लेखा परीक्षा का लक्ष्य पूर्ण किया है।

श्री तोमर ने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसद और राज्यों की विधानससभाएं तो महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं ही जो की पूरे देश का संचालन करती है, लेकिन इस देश को बुनियादी स्तर पर मजबूत बनाने में प्राथमिक संरकार के रूप में ग्राम पंचायतों की सबसे  बड़ी भूमिका है। देश में 2 लाख 60 हजार से अधिक पंचायतों में 31 लाख से अधिक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं और इसमें महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख के लगभग है।

श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में आज हम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सतत गतिशील हैं। देश में एक छोर से दूसरे छोर तक बाधाओं को पार करते हुए रिफार्म के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। आज हमारी प्राथमिक सरकार के रूप में काम करने वाली ग्राम पंचायतों को भी सशक्त और समृद्ध करने कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने से ही गांव आत्मनिर्भर बनेंगे और इससे देश आत्मनिर्भरता के मार्ग पर आरूढ़ होगा।

श्री तोमर ने कहा कि आजादी के बाद एक लंबे कालखंड तक यह आवश्यकता महसूस की जाती रही कि पंचायतों को जितने संसाधन की आवश्यकता है, उतने उनके पास नहीं है। लेकिन आज गर्व के साथ यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाने के साथ ही उनके भरपूर वित्तीय संसाधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। पंचायतों में वित्त आयोग के साथ ही कई योजनाओं के क्रियान्वयन का माध्यम भी पंचायतों से हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पंचायतों में काम की गति को बढ़ी ही है, पारदर्शिता और जवाबदेही भी वृद्धि होगी।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि 14 वें  वित्त आयोग में 2 लाख 292 करोड़ रूपए पंचायतों को देने की अनुशंसा की गई थी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस अनुशंसा को पूर्ण रूप से स्वीकार करते हुए कहा था कि जब पंचायतों में विकास होगा तभी देश का विकास होगा, और विगत पांच वर्षों में इस अनुदान राशि का 97 प्रतिशत हिस्सा गांवों में पहुंचाया गया है। उन्होने कहा कि 15 वें वित्त आयोग ने भी ग्राम पंचायतों को आगामी पांच वर्ष में 2 लाख 36 हजार करोड़ रुपए देने की अनुशंसा की है। इस अनुशंसा को भी सरकार ने पूर्णतः स्वीकार कर दिया है। विगत वर्ष आई वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में भी 60 हजार करोड् रुपए की अनुशंसा की गई थी, से भी ग्राम पंचायतों को जारी कर दिया गया है। इस राशि से गावों में बुनियादी सुविधाओं का विकास होना सुनिश्चित है।

इस अवसर पर पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार, उपनियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक श्री आर.जी.विश्वनाथन, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान हैदराबाद के महानिदेशक श्री जी.नरेन्द्र कुमार, पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव श्री चंद्रशेखर कुमार, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री खुशवंत सिंह सेठी, वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सज्जन सिंह यादव एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

श्री सुनील कुमार, सचिव, पंचायती राज मंत्रालय ने ऑडिट ऑनलाइन एप्लिकेशन और सामाजिक लेखापरीक्षा के लाभों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने राज्यों और ग्रामीण स्थानीय निकायों को इसे जल्द से जल्द अपनाने का आह्वान किया, ताकि विकास हस्तक्षेपों में पारदर्शिता और प्रभावकारिता सुनिश्चित की जा सके, जिसके लिए बड़ी मात्रा में अनुदान ग्रामीण स्थानीय निकायों को हस्तांतरित किया जा रहा है।

कार्यक्रम के विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए दो अलग-अलग सत्र आयोजित किए गए। ऑडिटऑनलाइन पर पहले सत्र की अध्यक्षता सीएजी कार्यालय में श्री आर जी विश्वनाथन, डिप्टी सीएजी द्वारा हुई। इस कार्यक्रम में राज्यों के महालेखाकार, राज्य वित्त विभाग के प्रतिनिधियों और व्यय विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। केन्द्रीय वित्त आयोग ने बार-बार पंचायतों के लेखापरीक्षित लेखों की अनुपलब्धता पर चिंता व्यक्त की। इस महत्वपूर्ण संस्थागत सुधार को संबोधित करने और पंचायतों के वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता को और मजबूत करने के लिए, पंचायत खातों की ऑनलाइन ऑडिट करने के लिए राज्यों के साथ वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में सचिव, पंचायती राज मंत्रालय द्वारा 15 अप्रैल, 2020 को ऑडिटऑनलाइन शुरू किया गया था। सत्र में ऑडिटऑनलाइन के लिए आगे के रास्ते पर विचार-विमर्श किया गया और फॉलो-अप के लिए एसएमएस/ईमेल आधारित अलर्ट तंत्र; डिजिटल सिग्‍नेचर आधारित अंतिम लेखा परीक्षा रिपोर्ट, राज्यवार लेखा परीक्षा रिपोर्ट आदि जैसी नई कार्यक्षमताओं को शामिल किया गया; ताकि प्रणाली एक कुशल और प्रभावी तरीके से वांछित उद्देश्यों को पूरा कर सके।

सोशल ऑडिट पर कॉन्फ्रेंस के दौरान, महानिदेशक, एनआईआरडीपीआर- हैदराबाद ने सोशल ऑडिट दिशानिर्देशों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। झारखंड, कर्नाटक और केरल राज्यों ने भी अपने-अपने राज्यों में 14वें वित्त आयोग अनुदान गतिविधियों आदि के लिए आयोजित सामाजिक लेखा परीक्षा के परिणामों पर प्रस्तुतियाँ दीं। सत्र में श्री विकास कुमार महतो, सरपंच- दमदुमी, तोपचांची और श्री रितेश उरांव, सरपंच – लालखटंगा, नामकुम, झारखंड का एक भाषण भी शामिल था जिन्होंने अपनी पंचायत में आयोजित सामाजिक अंकेक्षण पर भी अपना दृष्टिकोण साझा किया, जिसके परिणामस्वरूप 14वें वित्त आयोग अनुदान का बेहतर उपयोग हुआ।

पृष्ठभूमि : सामाजिक लेखा परीक्षा दिशानिर्देशों से पंचायतों को पारदर्शिता और जवाबदेही और उन्हें हस्तांतरित धन के प्रभावी उपयोग की दिशा में सुविधा होने की उम्मीद है। इस संबंध में, ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को 2020-26 की अवधि के लिए 2,97,555 करोड़ रुपये के 15वें वित्त आयोग अनुदान के साथ आवंटित किया गया है, जिसके प्रभावी उपयोग से सामाजिक लेखा परीक्षा प्रक्रिया और पंचायती राज मंत्रालय के ऑनलाइन एप्लिकेशन अर्थात् ऑडिटऑनलाइन के माध्यम से बहुत सहायता मिलेगी।

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