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पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना के बैठक की अध्यक्षता करते हुएः मुख्य सचिव एस.रामास्वामी

पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना के बैठक की अध्यक्षता करते हुएः मुख्य सचिव एस.रामास्वामी
उत्तराखंड

देहरादून: मुख्य सचिव एस.रामास्वामी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना पर की गई पर्यावरण प्रभाव आंकलन और पर्यावरणीय प्रबंधन योजना(ईएमपी) का प्रस्तुतीकरण किया गया। बताया गया कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार ने इसके टर्म आॅफ रेफरेंस(टीओआर) की मंजूरी दे दी है। उत्तराखण्ड के प्रभावित होने वाले 123 गावों और परिवारो का अध्ययन कर लिया गया है। इसके लिए आर.आर(रिसेटलमंेट एण्ड रिहेबीलिटेशन) प्लान भी तैयार कर लिया गया है।

बैठक में बताया गया कि पुनर्वास स्थल पर आंतरित गांव, सड़क, ड्रेनेज, सफाई, पेयजल, फुटपात, पोस्ट आफिस, पंचायत घर, सामुदायिक भवन, पूजा स्थल, अस्पताल, स्कूल, हाॅट, राशन की दुकान सहित सभी बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने का खाका तैयार कर लिया गया है। पुनर्वास और क्षतिपूर्ति में होने वाले व्यय का भी आंकलन कर लिया गया है। विस्थापितों के लिये आजीविका योजना भी बना ली गई है। पशुपालन, बागवानी, मौनपालन, कौशल विकास प्रशिक्षण, पर्यटन विकास और स्वयं सहायता समूहों के जरिए रोजगार दिया जायेगा। इसके साथ ही स्थानीय क्षेत्र विकास योजना भी बनायी गई है।

पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए अगस्त 2014 को भारत और नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से पंचेश्वर बांध प्राधिकरण का गठन किया गया। सचिव जल संसाधन मंत्रालय भारत सरकार और सचिव पर्यावरण नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से सामान्य सभा की अध्यक्षता की जायेगी। प्रमुख सचिव ऊर्जा, उत्तराखण्ड पंचेश्वर बांध प्राधिकरण के सदस्य है। भारत नेपाल सीमा पर यह बहुउद्देश्य परियोजना महाकाली नदी (भारत में शारदा नदी) प्रस्तावित है। सरयू और महाकाली नदी के संगम से 2.5 कि.मी. नीचे की और उत्तराखण्ड के कस्बे टनकपुर से 70 कि.मी. ऊपर की ओर मुख्य बांध प्रस्तावित है। बिजली उत्पादन के अलावा इस परियोजना से दोनो देशों को अतिरिक्त सिंचाई सुविधा मिलेगी। इससे बाढ़ नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।

प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया गया कि 4800 कि.मी. की इस परियोजना का निर्माण लगभग 40 हजार करोड़ रू. की लागत से होगा। इससे 80 कि.मी. दायरे में 130 गांव प्रभावित होंगे। पंचेश्वर बांध का 12276 वर्ग किमी और रूपालीगढ का 13490 वर्ग कि.मी. कैचमेंट एरिया होगा। जबकि 1214 वर्ग किमी बीच का कैचमेंट होगा। पंचेश्वर बांध से 27 किमी नीचे की ओर रूपालीगाढ़ में बांध को पुनर्विनियमित किया जायेगा। परियोजना से 116 वर्ग किमी. डूब क्षेत्र पंचेश्वर जलाश्य में आयेगा। उत्तराखण्ड में पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और चम्पावत जनपदों के 130 गांव प्रभावित होंगे। रूपालीगाढ़ पुनर्नियमितिकरण(री रेगुलेटिंग) बांध से चम्पावत जनपद के 11 गांव प्रभावित होंगे। इस बांध से भी 240 मेगावाट बिजली पैदा होगी।

बैठक में बताया गया कि परिजोजना के लिए भारत में 9100 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना होगा। इससे भारत में 2,59,000 हेक्टेयर और नेपाल में 1,70,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। भारत और नेपाल को 90 करोड़ रूपये का वार्षिक बाढ़ नियंत्रण लाभ होगा।

बैठक में प्रमुख सचिव ऊर्जा उमाकांत पंवार, प्रमुख सचिव सिंचाई आनन्द बर्धन, प्रमुख सचिव ग्राम विकास मनीषा पंवार, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव राजस्व हरबंस सिंह चुग, सचिव लो.नि.वि. अरविन्द सिंह ह्यांकी, केन्द्रीय जल आयोग(बाढ़ प्रबंधन) आयुक्त चन्द्रशेखर अययर, पंचेश्वर बांध परियोजना नेपाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेन्द्र बहादुर गुरंग सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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