नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डा. हर्ष वर्घन, नीदरलैंड के विदेश मंत्री श्री बेर्ट कोएंडर्स और दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल ने नई दिल्ली में बारापूला नाले की सफाई परियोजना की आधारशिला रखी। इस अवसर पर जैवप्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर के विजयराघवन, डीडीए के उपाध्यक्ष श्री अरूण गोयल और भारत में नीदरलैंड के राजदूत महामहिम अलफोन्सस स्टोएलिंगा भी उपस्थित थे।
बारापूला नाले की सफाई परियोजना, लोटसएचआर (”लोकल ट्रीटमेंट ऑफ अर्बन सीवेज स्ट्रीम्स फार हेल्दी रीयूज” यानी ”पुन: स्वस्थ इस्तेमाल के लिए मलजल नालों का स्थानीय उपचार”) भारत और हालैंड मिलकर संचालित करेंगे। इस परियोजना के शुभारंभ के प्रतीक के रूप में एक कलाकृति का अनावरण किया गया, जो लोटस और ट्यूलिप नामक फूलों के आकार में बनायी गई थी, जो भारत और हालैंड की शक्ति को दर्शाते हैं। इस अवसर पर डा. हर्ष वर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नदियों की सफाई पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया है, वास्तव में यह सरकार का प्रमुख मिशन है। उन्होंने कहा कि गंगा अभियान का नेतृत्व स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए अनेक प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं, उनका कार्यान्वयन तेजी से किया जाना चाहिए। इसके साथ ही नई विकेंद्रित प्रौद्योगिकियां भी निरंतर विकसित करने की आवश्यकता है। कुछ नई प्रौद्योगिकियां लागत की दृष्टि से अधिक खिफायती या हमारे संदर्भ में बेहतर कार्यान्वयन योग्य हैं। इसी बात को ध्यान में रखकर जैव प्रौद्योगिकी विभाग और नीदरलैंड की एनडब्ल्यूओ साइंस एजेंसी ने मिलकर बारापूला नाले की सफाई के लिए समझौता किया है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के परामर्श से दिल्ली में सराय काले खां स्थित बारापूला नाले का चयन किया है, जहां प्रायोगिक संयंत्र के रूप में स्थल पर प्रयोगों के लिए एक परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी, जिसकी आधारशिला भी आज रखी गई। इसके लिए डीडीए ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग को सन डायल पार्क के निकट 200 वर्ग मीटर का एक भूखंड 5 वर्ष के लिए लीज पर दिया है। दोनों एजेंसियों ने बारापूला नाले की सफाई के लिए डिमांस्ट्रेशन प्लांट लगाने का निर्णय किया है। इस परियोजना के लिए जैव प्रौद्योगिकी विभाग और नीदरलैंड की एनडब्ल्यूओ साइंस एजेंसी संयुक्त रूप से धन उपलब्ध कराएंगी।
कई संबद्ध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं इस परियोजना में समन्वय कर रही हैं। इसका उद्देश्य गंदे पानी के प्रबंधन की एक नवीन समग्र प्रबंधन विधि का प्रदर्शन करना है, जिसके ज़रिए गंदे पानी का उपचार करके उसे पुन: इस्तेमाल योग्य (जैसे उद्योग, कृषि, निर्माण आदि कार्यों के लिए) बनाना है।