नई दिल्ली: देश में 33 प्रतिशत वन और वृक्षकवर बरकरार रखने के राष्ट्रीय वन नीति में उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय दो प्रमुख वनरोपण/वृक्षारोपण योजनाओं अर्थात राष्ट्रीय वनरोपण कार्यक्रम (एनएपी) योजना तथा हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम) का कार्यान्वयन कर रहा है।
जहां एक ओर एनएपी का कार्यान्वयन उजड़ी वन भूमियों के वनीकरण के लिए किया जा रहा है, वहीं जीआईएम का लक्ष्य परिदृश्य के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियों के अलावा वनों की गुणवत्ता में सुधार लाना/वनों का कवर बढ़ाना है। एनएपी के अंतर्गत, वर्ष 2000 में उसके प्रारंभ से लेकर 2016-17 तक लगभग 3700 करोड़ रूपये के निवेश के साथ नये वनीकरण के लिए 21 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को मंजूरी दी जा चुकी है। जीआईएम के अंतर्गत वर्ष 2011-12 से 2016-17 के लिए 174 करोड़ रूपये की राशि तैयारी और भावी योजना के लिए जारी की जा चुकी है।
क्षतिपूरक वनरोपण कोष प्रबंधन (सीएमपीए) के अंतर्गत कोष का उपयोग देश में क्षतिपूरक वनरोपण सहित वनीकरण की गतिविधि पर व्यापक बल देने के लिए वृक्षारोपण के लिए भी किया जाएगा।
यह सूचना केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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