नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अनिल माधव दवे ने डिजिटल इंडिया और आसानी से व्यापार करने को बढ़ावा देने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए,आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रवेश और लाभ साझीदारी आवेदन ऑनलाइन करने काशुभांरभ किया। सुशासन का अर्थ प्रक्रियाओं को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने पर जोर देते हुए श्री दवे ने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सभी को ई-गवर्नेंस अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। पर्यावरण मंत्री ने आशा व्यक्त की कि ई-गर्वनेंस को निकट भविष्य में शतप्रतिशत संचालित किया जाएगा और मंत्रालय की सभी प्रक्रियाओं को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया जाएगा।
इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन सचिव श्री अजय नारायण झा ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी को न केवल व्यापार करने के कार्य को आसान बनाने बल्कि आम जनता के लिए लेन-देन की सुविधा के लिए भी उपयोग किया जाना चाहिए। श्री झा ने उम्मीद जताई कि एनबीए सभी प्रक्रियाओं को डिजिटल प्रारूप में लाएगा ताकि इन सेवाओं का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की बेहतर तरीके से सेवा की जा सके।
जैवविविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने प्रवेश और लाभ साझीदारी आवेदनों की ई-फाइलिंग की शुरूआत करने के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र एनआईसी के साथ मिलकर कार्य शुरू किया है। ये आवेदन www.nbaindia.org पर किए जा सकते हैं। ऐसा अनुमोदन चाहने वाले ऑनलाइन आवेदन उचित फॉर्मों में किए जाएं। भारतीय या विदेशी व्यक्ति और संस्थाएं जैसे पंजीकृत कंपनियां जो विभिन्न गतिविधियों को पूरा करने के लिए जैविक संसाधनों और संबद्ध जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें एनबीए या राज्य जैव विविधता बोर्ड के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता है। ऑनलाइन की प्रक्रिया द्वारा इन मुद्दों से बेहतर ढंग से निपटने का प्रयास है और ऐसा डिजिटीलीकरण के साथ कदम मिलाकर चलना भी है।
ऑनलाइन पोर्टल सरकार की “डिजिटल इंडिया” नीति के अनुसार है। यह ऑनलाइन प्रक्रिया उपभोक्ता के अनुकूल है और इसमें संपादन, समीक्षा, छपाई, डिजिटल हस्ताक्षर और शुल्क के ऑनलाइन भुगतान जैसी विशेषताएं मौजूद हैं। इन विशेषताओं से आवेदनों के प्रोसेसिंग में लगने वाली समय में काफी कमी आने की उम्मीद है। यह पोर्टल आवेदन जमा करने से पूर्व आवेदन के शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा भी उपलब्ध कराता है।
एनबीए में कोई भी आवेदन करने से पहले इस प्राथमिक कारक का पता लगाना है कि क्या आवेदक जैव विविधता अधिनियम में परिभाषित जैविक संसाधनों का कार्य करता है। आवेदनों की विभिन्न स्तर पर जांच के बाद ही प्राधिकरण अनुमोदन देने का निर्णय लेता है। आज तक 1600 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं और 980 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। एनबीए ने आवेदकों के साथ कुल 440 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिन्हें एक अनुमोदन के रूप में माना जाता है। विगत में बड़ी संख्या में आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की जा सकी, क्योंकि उनकी जांच के लिए महत्वपूर्ण जानकारी / दस्तावेजों संलग्न नहीं किए गए थे।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) जैविक विविधता अधिनियम (2002) के प्रावधानों के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है। एनबीए, जैविक संसाधनों के स्थायी उपयोग और जैविक संसाधनों के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले लाभों को निष्पक्ष और न्यायसंगत रूप से साझा करने के मुद्दों पर भारत सरकार के लिए सहायता और सलाहकार कार्यों को अंजाम देती है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में अपरसचिव श्रीमती अमिता प्रसाद और मंत्रालय और एनआईसी के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे। एनबीए की चेयरपर्सन डॉ (सुश्री) बी. मीनाकुमारी और एनबीए के सचिव श्री टी रबीकुमार भी इस मौके पर मौजूद थे।