नई दिल्ली: केन्द्रीय पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वन्य प्राणियों की बीमारियों का पता लगाने और इलाज करने में पशु चिकित्सकों की कठिनाइयों को स्वीकार करते हुए कहा कि पशुओं के लाभ के लिए कैट स्कैन तथा एमआरआई जैसी विकसित सुविधा का लाभ उठाया जाना चाहिए। डॉ. हर्षवर्धन आज यहां बंद करके रखे गये पशुओं के स्वास्थ्य प्रबंधन पर भारतीय चिडि़याघर के चिकित्सकों के क्षमता सृजन पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला स्मिथसोनियन नेशनल जूलॉजिकल पार्क के समकक्ष विशेषज्ञता रखने वाले संगठनों के सहयोग से आयोजित की गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जूलॉजिकल पार्क, नई दिल्ली को विश्व के सर्वश्रेष्ठ जूलॉजिकल पार्क बनने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
डॉ. हर्षवर्धन ने आश्वासन दिया कि मॉडल चिडि़याघर विकसित करने के विचार के साथ आने वाले चिडि़याघरों के प्रस्ताव का सरकार उचित समर्थन करेंगी। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में स्मिथसोनियन नेशनल जूलॉजिकल पार्क के विशेषज्ञों के साथ कार्यशाला में भाग लेने वाले लोगों के संवाद और आपसी कार्य से पशुओं की देखभाल में अपने चिडि़याघरों को आधुनिक उपायों को अपनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने आज के महत्व के बारे में कहा कि आज ही 1893 में शिकागो में आजोजित धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक संबोधन की 125वीं वर्षगांठ है।
पर्यावरण मंत्री ने इस अवसर पर दो मैनुअल जारी किये। ये मैनुअल है – मैनुअल फॉर बायोलॉजिकल सैम्पल कलेक्शन एंड प्रिजर्वेशन फॉर जेनेटिक, रिप्रोडेक्टिव एंड डिजीज एनालिसिस तथा मैनुअल ऑन केमिकल इमोबिलाइजेशन ऑफ वाइल्ड ऐनीमल्स।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय चिडि़या प्राधिकरण द्वारा स्मिथसोनियन नेशनल जूलॉजिकल पार्क, वांशिगटन, डीसी, अमरीका के सहयोग से 11 से 19 सितम्बर, 2017 तक नेशनल जूलॉजिकल पार्क, नई दिल्ली में किया जा रहा है। बंद करके रखे गये वन्य प्राणियों की बीमारियों का पता लगाने, उनका इलाज करने, उनकी पौष्टिकता तथा भोजन और स्वास्थ्य देखभाल के उपायों के लिए पशु-चिकित्सक उत्तरदायी है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु चिकित्सकों को न केवल अमरीका में व्यवहार में लाये जाने वाले तकनीक और प्रक्रिया जानने में मदद मिलेगी, बल्कि वह अभ्यास भी कर सकते है। आशा की जाती है कि इस तरह के अभ्यास, विचार-विमर्श और विशेषज्ञों के साथ अनुभवों को साझा करने से भाग लेने वाले लोगों का आत्म विश्वास बढ़ेगा। प्रशिक्षण का अंतिम उद्देश्य चिडि़याघर के पशु चिकित्सकों को आवश्यक ज्ञान, कौशल और मनोवृत्ति के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण देना है।
केन्द्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण ने पशु स्वास्थ्य और क्षमता सृजन पर बल देने वाले संयुक्त शोध अध्ययनों को विकसित और लागू करने के लिए सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। इस सहमति ज्ञापन की अवधि वर्ष 2020 तक है। सहमति ज्ञापन के हस्ताक्षर के बाद वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों का एक शिष्टमंडल जून 2016 में नेशनल जूलॉजिकल पार्क-दिल्ली, लॉयन सफारी – इटावा, श्री चामराजेन्द्र जूलॉजिकल गार्डन-मैसूर, बनेरघाटा बॉयोलॉजिकल पार्क, बेंगलूरू तथा एरिगनार, अन्ना जूलॉजिकल पार्क, वंडालूर-चेन्नई, गया और भारत में वन्य जीव की विलुप्त होने वाली प्रजातियों के संरक्षण में सुधार के लिए तकनीकी सूचना सांझा की।
चिडि़याघरों की देखभाल करने वालों के प्रशिक्षण का आयोजन भारत की भाषायी विविधता को देखते हुए क्षेत्रीय आधार पर किया जाता है। प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशु की आवासीय व्यवस्था, देखभाल और अन्य प्रंबधन से जुड़े 240 कर्मियों को शामिल किया जाता है। हाल में बंद करके रखे गये पशुओं की पहचान और उनकी मार्किंग पर भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून के सहयोग से देहरादून जूलॉजिकल पार्क में चिडि़याघर के निदेशकों को प्रशिक्षण दिया गया। पूर्वोत्तर क्षेत्र के चिडि़याघरों के लिए चिडि़याघर की देखभाल करने वालों का प्रशिक्षण सेपाहिजाला जूलॉजिकल पार्क सेपाहिजाला में, पूर्वी क्षेत्र के चिडि़याघर के लिए संजय गांधी जैविक उद्यान, पटना, उत्तर क्षेत्र के चिडि़याघरों के लिए जूलॉजिकल पार्क-कानपुर, पश्चिम क्षेत्र के चिडि़याघरों के लिए कमला नेहरू जूलॉजिकल गार्डन, अहमदाबाद, दक्षिणी क्षेत्र के चिडि़याघरों के लिए जूलॉजिकल गार्डन- तिरूअनंतपुरम में आयोजित किये गये।
केन्द्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण का गठन पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम1972 के प्रावधानों के अंतर्गत किया गया। प्राधिकरण ने चिडि़याघरों के कामकाज देखने तथा उन्हें तकनीकी तथा अन्य सहायता उपलब्ध कराने के लिए 1992 से काम करना शुरू किया।
केन्द्रीय चिडि़याघर प्राधिकरण ने प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ शोध और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के लिए सहमति ज्ञापन समझौते किये है। इन संगठनों में वाइल्ड लाइफ रिजर्व सिंगापुर, नेशनल ट्रस्ट फॉर नेचर कन्जर्वेशन नेपाल, लिपजिंग जू जर्मनी, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, पराग जू चेक गणराज्य और स्मिथसोनियन नेशनल जूलॉजिकल पार्क, वाशिंगटन शामिल हैं।