नई दिल्ली: देश में पवन ऊर्जा की दर घटकर 2.64 रू यूनिट के रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (एसईसीआई) द्वारा दूसरी पवन ऊर्जा बोली में यह दर लगाई गई है। इस वर्ष फऱवरी में पहली पवन ऊर्जा बोली में लगाई गई 3.64 प्रति यूनिट की दर से यह काफी कम है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय घटते हुए शुल्क और प्रौद्योगिकी में सुधार के कारण वर्ष 2022 तक 175 जीडब्ल्यू के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति ना सिर्फ आशान्वित है बल्कि उसे विश्वास है कि वह इससे अधिक लक्ष्य भी प्राप्त कर सकता है।
एक हजार मेगावॉट की क्षमता के मुकाबले एसईसीआई को 2892 मेगावॉट क्षमता के लिए कुल 12 बोली मिली।इनमें से 2142 मेगावॉट की 9 बोलियों को ई-रिवर्स बोली के लिए चुना गया बोली की शुरूआत 4 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे हुई और यह अगले 13 घंटों तक जारी रही। कुल एक हजार मेगावॉट क्षमता के सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 5 विजेताओं का चयन किया गया। 250 मेगावॉट के लिए रिन्यू पावर ने 2.64 रू,200 मेगावॉट के लिए औरेंज सिरोंज ने 2.64 रू, 250 मेगावॉट के लिए आईनोक्स विड में 2.65 रू,250 मेगावॉट के लिए ग्रीन इन्फ्रा ने 2.65 रू और 50 मेगावॉट के लिए अडानी ग्रीन ने 2.65रू की बोली लगाई।
इन परियोजनाओं पर कार्य एसईसीआई द्वारा सफल बोली धारकों को कार्यपत्र देने की तिथि के 18 महीनों के अंदर पूरा करना होगा।
पृष्ठभूमि
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने फरवरी 2017 में पहली पवन ऊर्जा नीलामी में 3.46 रू की रिकॉर्ड दर मिलने के बाद एक हजार मेगावॉट के आईएसटीएस से जुड़े पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए 4 मई 2017 को दूसरी पवन ऊर्जा बोली योजना को अनुमति दी थी। एसईसीआई ने 30 मई 2017 को इसके लिए बोली जारी की और 14 जुलाई 2017 को बोली बंद की गई। बोली पहले 19 सितंबर 2017 को लगाई जानी थी लेकिन पहली पवन ऊर्जा बोली के सफल बोली धारकों द्वारा ग्रिड संपर्क के मुद्दे पर सीईआरसी के आदेश चलते इसे 4 अक्टूबर 2017 तक टाला गया था।