नई दिल्ली: पाकिस्तान की जेल में पिछले पांच वर्षों से बंद मध्य प्रदेश के सिवनी के रहने वाले जीतेंद्र अर्जुनवार को गुरुवार पाकिस्तान की जेल से रिहा कर दिया गया। सिवनी के एसपी तरूण नायक की ओर से इसकी पुष्टि की गई है। जीतेंद्र अगस्त 2013 से पाक की जेल में बंद थे। उन्हें भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाक रेंजर्स ने पकड़ लिया था। एक साल की सजा पूरी होने के बाद भारत की ओर से नागरिकता की पुष्टि नहीं होने के कारण पिछले तीन वर्षों से वह कराची की एक जेल में बंद थे।
एनीमिया के मरीज हैं जीतेंद्र
एनीमिया की बीमारी का सामना कर रहे जीतेंद्र अनजाने में राजस्थान के रेगिस्तान में पानी की तलाश में भटकते-भटकते पाकिस्तान के सिंध इलाके में जा पहुंचे थे। पाकिस्तान में भारतीय राजदूत अजय बीसारिया की ओर से बताया गया कि उसे कराची के मलेर जेल से वाघा बॉर्डर लाया जाएगा। अजय बिसारिया ने जानकारी दी अमृतसर में जितेंद्र को चिकित्सीय मदद दी जाएगइी। यहां से विदेश मंत्रालय के अधिकारी और पंजाब सरकार घर भेजेगी। बिसारिया ने कहा कि सकारात्मक माहौल का स्वागत है। दोनों देश कैदियों को वापस भेजने की दिशा में काम कर रहे हैं। खासतौर पर उन्हें, जो बीमार हैं या जिनकी दिमागी हालत ठीक नहीं है। इस तरह के केस के लिए डॉक्टरों की टीम गठित की गई है और वीजा पर काम किया जा रहा है।
जुवेनाइल जेल में भी रहे बंद
इसके पहले 23 वर्षीय दलविंदर सिंह को रविवार को बीएसएफ को सौंप दिया गया था, दलविंदर सिंह अनजाने में पाक के कासुर इलाके के बलनवाला गांव जा पहुंचा था। दलविंदर ने अपनी एक साल की सजा पूरी की और रविवार को पाकिस्तान ने उसे भारत वापस भेज दिया। हालांकि जीतेन्द्र उतने भाग्यशाली नहीं रहे थे। उन्हें साल 2013 में पकड़ा गया था, पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में जुवेनाइल जेल में उसे रखा गया था। बैरिस्टर हया जाहिद के सामने जितेन्द्र तब पड़ा जब वो पाक की प्रांतीय जेलों में स्वच्छता की स्थिति का निरीक्षण कर रही थीं। हया जाहिद ने पहली बार उसकी रिहाई का मामला उठाया था। मलेर जेल में जीतेंद्र, जाहिद के सामने उसके बाद से कई बार आया। बीते चार साल में दोनों देशों के रिश्तों में काफी उतार-चढाव आया पाकिस्तान के मुताबिक, उनकी जेलों में 58 भारतीय बंद हैं जबकि 56 पाकिस्तानी भारत की जेलों में बंद हैं।
oneindia