एक पुलिसवाला. जिसके पास वर्दी है. रौब है. अधिकार है. जेब में पिस्तौल है. जो आम लोगों का सरंक्षक है. अपराधियों का भक्षक है. लेकिन फिर भी क्या वजह है कि उसका दिमाग किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले दस बार सोचता है? क्या वजह है कि उसे पहली नजर में एक अपराधी भी निर्दोष नजर आता है? क्या वजह है कि उसे लगता है आपके पास फैसला लेने के एक या दो नहीं बल्कि तीन विकल्प होते हैं. सही. गलती, और बीच का? शायद आपको विश्वास न हो, लेकिन ‘मॉनसून’, उसकी हर सोच का गवाह है.
कलाकार : नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी,नीरज काबी, तनिष्ठा चटर्जी, गीतांजलि थापा, श्रुति बाप्ना,विजय वर्मा
निर्देशक: अमित कुमार
अवधि : 1 घंटा 55 मिनट
कहानी- अमित कुमार के निर्देशन में बनी फिल्म क्रइम ब्रांच में एक ऐसे पुलिस अधिकारी की कहानी है जो किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले उससे जुड़े सारे पहलुओं के बारे में सोच लेता है. हालांकि ऐसा देखने और सुनने में कम मिलता है. जिसके पास सारे अधिकार होते हुए भी वो उसका दुरुपयोग करने से बचता है. ऐसे ही पुलिसवाले का नाम है आदि (विजय वर्मा) जिसके ऊपर एक सुपारी किलर शिवा (नवाजुद्दीन) को मारने की जिम्मेदारी है. ये सुपारी किलर बिल्डर्स को धमकाकर उनसे मोटे पैसे वसूल करते हैं. फिर एक दिन आदि का शिवा से सामना होता है. मॉनसून के मौसम में उस वक्त बारिश हो रही होती है. आदि के हाथ में पिस्तौल होती है और सामने शिवा. लेकिन उस वक्त आदि के दिमाग में पिता के शब्द गूंज रहे होते हैं जहां वो तीन रास्तों के बारे में बताते हैं. सही. गलत. बीच का. आदि समझ नहीं पाता है वो क्या करे. सामने खूंखार किलर, और ये तीन शब्द. फिर आदि करता है एक फैसला, एक ऐसा फैसला जो आपको भी सोचने के लिए मजबूर कर देता है. यही से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी. एक नज़र देखिए फिल्म का ट्रेलर
अभिनय- एक कातिल के रूप में नवाजुद्दीन ने बेहतरीन एक्टिंग की है. अपनी पहली फिल्म में विजय वर्मा ने अच्छा काम किया है. लेकिन ऐसे किरदार को लेकर पहले भी कई तरह की फिल्में बन चुकी हैं इसलिए बहुत कुछ करने का मौका तो नहीं मिल पाया. लेकिन हां, जितना भी मौका मिला उसमें वे सफल हुए. दर्शकों पर उनका विनम्र किरदार अलग छाप छोड़ता है.
कुछ और भी- अमित कुमार की ये विशेषता है कि वे किसी भी बेजान चीज में जान फूंक देने का मंत्र जानते हैं. इसलिए उन्होंने इस फिल्म एक अलग अंदाज में लोगों के सामने पेश किया है. फिल्म में तीन रास्तों की बात की है तो फिल्माया भी तीन तरीके से ही गया है. फिल्म में दो गानें हैं जिन्हें रोचक कोहली ने कंपोज किया है. इसका गाना ‘पल’ है, जिसे अरिजीत सिंह ने बहुत ही अच्छे से गाया है.कहानी से बैकग्राउंड में बजते ये गाने अच्छे लगते हैं ऐसा कहीं भी नहीं लगता की जबरदस्ती किसी चीज को ठूंसा गया है. हां, लेकिन स्क्रीनप्ले पर कुछ और भी मेहनत की जा सकती थी. पर्दे पर जब ये कहानी दिखती है तो कहीं न कहीं कुछ छूटता हुआ सा नज़र आता है. लेकिन अगर आप क्राइम-ड्रामा टाइप की फिल्में देखना पसंद करते हैं तो इस फिल्म को देखा जा सकता है.