नई दिल्लीः पारंपरिक औषधि प्रणालियों में सहयोग के लिए भारत और मलेशिया के बीच पांचवीं द्विपक्षीय बैठक आज यहां आयोजित हुई। यह बैठक 2010 में दोनों देशों के बीच होने वाले समझौते के तहत बुलाई गई थी। बैठक की अध्यक्षता भारत की तरफ से आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री प्रमोद कुमार पाठक और मलेशिया की तरफ से वहां के स्वास्थ्य मंत्रालय में उपनिदेशक जनस्वास्थ्य (चिकित्सा), ने की।
अपने समापन वक्तव्य में आयुष मंत्रालय के सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि मलेशिया की तरफ से पारंपरिक औषधि प्रणालियों और होम्योपैथी के संवर्धन के लिए उठाये गये कदम का स्वागत है। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय हर तरह का समर्थन देने को तैयार है। बैठक में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा की गयी:-
- मलेशिया की यूनिवर्सिटी ऑफ यूटीएआर में आयुर्वेद पीठ की स्थापना
- मलेशिया के विशेषज्ञों का भारत में पंचकर्म पद्धति में व्यावसायिक प्रशिक्षण
- क्लीनिकल परीक्षण के लिए आयुर्वेदिक/पारंपरिक उत्पादों के यौगिकों की सुरक्षा और कार्यकुशलता का मूल्यांकन
- आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड तथा मलेशिया के बीच जड़ी-बूटियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए द्विपक्षीय सहमति-ज्ञापन
- होम्योपैथिक चिकित्सकों का पंजीकरण और मलेशिया में उनके क्षमता निर्माण का प्रारूप
मलेशिया पक्ष ने अपने यहां पारंपरिक औषधि के क्षेत्र में होने वाले हालिया विकास का ब्यौरा प्रस्तुत किया। बताया गया कि पारंपरिक और सहायक औषधि परिषद का वहां गठन किया गया है ताकि पारंपरिक प्रणालियों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का संचालन किया जा सके। मलेशिया पक्ष ने इच्छा व्यक्त की कि उनके विशेषज्ञों को भारत में उनके क्षमता निर्माण के लिए सहायता दी जाये। मलेशिया पक्ष ने भारतीय औषधि और पंचकर्म पद्धति में रूचि दिखाई।
आयुष मंत्रालय ने मलेशिया में आयुष चिकित्सकों और उत्पादों के पंजीकरण संबंधी मुद्दों को रेखांकित किया। मलेशिया पक्ष को बताया गया कि भारत में आयुष उत्पादों और आयुष चिकित्सकों इत्यादि के संबंध में एक मजबूत नियम प्रणाली मौजूद है, जिसे मलेशिया के साथ संदर्भ के लिए साझा किया जा सकता है।
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