नई दिल्लीः होम्योपैथी कोई छद्म विज्ञान नहीं है। प्राचीन होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के विषद अध्ययनों की समीक्षाओं में पाया गया है कि इसका सकारात्मक प्रभाव मात्र प्रायोगिक स्तर पर ही नहीं बल्कि इससे से भी कहीं बहुत ज्यादा है। सभी तरह की स्थितियों में होम्योपैथी के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए चार सुनियोजित समीक्षाएं अंतर्राष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुई हैं। इनमें से सैकड़ों नैदानिक परीक्षणों पर आधारित तीन समीक्षाओं में यह साबित हुआ है कि होम्योपैथी नैदानिक रूप से बेहद प्रभावी है। अत्यधिक घुलनीय अवस्था वाली होम्योपैथी दवाओं के शोध की समीक्षाओं में इनकी 70 फीसदी प्रतिकृतियां सकारात्मक पायी गई हैं।
होम्यापैथी को इसलिए बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि यह बेहद सुरक्षित और प्रभावी होने के साथ इसकी सर्वग्राह्यता भी बहुत ज्यादा है। भारत में केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएच) के तहत 23 संस्थांए और इकाईयां हैं जहां होम्योपैथी चिकित्सा का लाभ उठाने वाले मरीजों की संख्या में पिछले पांच सालों मे पचास प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस बात के प्रमाण हैं कि होम्योपैथी केवल प्रायोगिक औषधि भर नहीं है बल्कि अत्यंत लाभकारी भी है। ‘साइंटिफिक फ्रेमवर्क ऑफ होम्योपैथी – एवीडेंस बेस्ड होम्योपैथी’ में होम्योपैथी दवाओं पर दुनिया भर में किए गए शोध प्रकाशित किए गए है। इसी तरह ‘होम्योपैथी – साइंस ऑफ जेंटल हीलिंग’ में भारत में होम्योपैथी दवाओं पर किए गए सैकड़ों वैज्ञानिक परीक्षण और मूल शोधों ने इन दवाओं के लाभकारी होने के मजबूत प्रमाण पेश किए है। सीसीआरएएच के पास मौजूद प्रमाणिक आंकड़े भारत में होम्योपैथी को बढ़ावा देने और इसकी सर्वग्राह्यता बढ़ाने पर बल देते है।
यह जानकारी केंद्रीय आयुष राज्यमंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक ने आज राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।