लखनऊ: पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 द्वारा समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक को विभिन्न न्यायालयों में प्रचलित अभियोगों के गवाहों की सुरक्षा के संबंध में निम्न निर्देश दिये गये हैः-
- जघन्य प्रकरणों में आरोप पत्र प्रेषित होने के उपरान्त शीघ्रातिशीघ्र वादों को सेशन न्यायालय में सत्र सुपुर्दगी (Commit) कराने की कार्यवाही तत्परता से की जाये। इससे आरोपी पक्ष की ट्रायल को विलम्बित करने की मानसिकता पर प्रभावी अंकुश लग सकेगा। साथ ही पीड़ित पक्ष को समझौते हेतु पड़ रहे अनावश्यक दबाव से भी मुक्ति मिल सकेगी।
- थाने स्तर पर बनाये गये काज लिस्ट रजिस्टर/पैरवी रजिस्टर इत्यादि को अद्यतन करा लिया जाये।
- सम्बन्धित अधिकारीगण थाने के पैरोकारों एवं आवश्यकतानुसार अभियोजन अधिकारियों से सम्पर्क कर ऐसे सेशन परीक्षण (Sessions Trial) मुकदमों की सूची तैयार की जाये, जहाॅ गवाह पक्षद्रोही नहीं हुए हैं या अभियोजन के कथानक से विरत न हुए हो एवं उनकी गवाही शेष हो।
- जघन्य अपराधों से सम्बन्धित ऐसे अभियोगों को चिन्हित करके उनके गवाहों की सुरक्षा के लिये जनपद/थानास्तर पर व्यापक रणनीति बनायी जानी चाहिए। जब तक ऐसे मुकदमों में इनकी गवाही न हो जाये, तब तक उनकी सुरक्षा के विशेष प्रबन्धों का सतत् अनुश्रवण किया जाये।
- थानाध्यक्ष व क्षेत्राधिकारी स्तर पर ऐसे महत्वपूर्ण मुकदमों के प्रत्येक दिवस की कार्यवाही एवं अग्रेतर तिथि का विवरण रखा जाये।
- जनपदीय प्रभारी से अपेक्षित है कि वे उपरोक्त निर्देशों का सम्यक अनुपालन सुनिश्चित करेंगे एवं विशेष परिस्थितियों के दृष्टिगत महत्वपूर्ण वादों में दिन प्रतिदिन सुनवायी हेतु मानिटरिंग सेल में जनपद न्यायाधीश से अनुरोध भी करंेगे।