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पेट्रोल पम्पों पर घटतौली के लिए इस्तेमाल होने वाली चिप डिवाइस सप्लाई करने वाले गैंग का सरगना गिरफ्तार

पेट्रोल पम्पों पर घटतौली के लिए इस्तेमाल होने वाली चिप डिवाइस सप्लाई करने वाले गैंग का सरगना गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: पेट्रोल पम्पों पर घटतौली के लिए इस्तेमाल होने वाली चिप डिवाइस की सप्लाई करने और उन्हें सैकड़ों पेट्रोल पम्पों पर इंस्टाल करने वाले गैंग सरगना अजय चैरसिया को गिरफ्तार करते हुए चिप सहित अनेक आपत्तिजनक उपकरण बरामद करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुयी।

गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरणः-
1. अजय चैरसिया पुत्र हरीलाल चैरसिया निवासी कटघरई, थाना रामकोला, जनपद कुशीनगर। हाल पता-श्रीनाथनगर, थाना-पारा, लखनऊ।

बरामदगीः
1. 04 अदद इलैक्ट्रोनिक चिप
2. 03 अदद बांट माप विभाग की मोहरें।
3. 20 अदद लेड सील (सील लगाने का बेस)
4. एल0 एण्ड टी0 (वर्तमान नाम गिलबार्कों) कम्पनी की एक डिस्पेंसिग यूनिट (पेट्रोल पम्पों पर लगी मशीन)
5. 05 अदद पल्सर कार्ड मिडको कम्पनी।
6. 05 अदद कंट्रोल कार्ड।
7. 01 अदद मदर बोर्ड
8. 01 अदद डिस्प्ले कार्ड।
9. 01 अदद मीटर यूनिट।
10. 01 अदद पल्स डिस्क।
11. इसके अतिरिक्त अन्य तमाम कार्ड, चिप, लाॅक आदि।

दिनांक 27/28-04-2017 की रात्रि में एस0टी0एफ0, उत्तर प्रदेश की कार्यवाही में लखनऊ शहर के 07 पेट्रोल पम्पों पर डिवाइस लगाकर घटतौली के संगठित क्रियाकलापों का पर्दाफाश करते हुए 23 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था। पूछताॅछ पर गिरफ्तार अभियुक्त राजेन्द्र ने बताया था कि वस्तुतः वह डालीगंज स्थित एक पेट्रोल पम्प पर पिछले बीस वर्षों से बिजली मिस्त्री था और वहां काम करने के दौरान पेट्रोल पम्पों पर घटतौली के लिए चिप लगाने वाले गिरोह के सम्पर्क में आया। काम सीखने के बाद वह स्वयं चिप लगाने लगा। उससे प्राप्त जानकारी के आधार पर एसटीएफ ऐसे संगठित गिरोह के सम्बन्ध में सूचना एकत्र कर रही थी जो पम्पों को पल्सर मशीन में लगने वाले चिप बनाते हों या सप्लाई करते हों। इसी बीच राज्य स्तर पर पेट्रोल पम्पों पर चिप लगे होने की जांच के लिए प्रत्येक जनपद में टीम बनाकर कार्यवाही आरम्भ की गयी। दिनांक 05-05-2017 को जनपद मुजफ्फरनगर में जौहर अब्बास को गिरफ्तार कर उसके पास इलेक्ट्राॅनिक चिप लगाने सम्बन्धी उपकरण बरामद हुए। पूछताॅछ पर जौहर ने बताया कि लखनऊ स्थित राजू उर्फ अजय चैरसिया उसे कोरियर द्वारा चिप भेजता है, जिसे वह पल्सर मशीनों की मदर बोर्ड में इस प्रकार से सोल्डरिंग द्वारा जोड़ देता है, जिससे पांच से आठ प्रतिशत तक की घटतौली सम्भव हो जाती है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, मुजफ्फरनगर श्री बबलू कुमार द्वारा प्रेषित पूछताॅछ आख्या में दिये गये तथ्यों को सत्यापित और विकसित करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ श्री अमित पाठक ने अपर पुलिस अधीक्षक डाॅ0 अरविन्द चतुर्वेदी को निर्देशित किया।

डाॅ0 चतुर्वेदी ने पूछताॅछ आख्या में दिये गये नामों को पूर्व से एकत्र की गयी विभिन्न व्म्ड कम्पनियों के टेक्नीशियन की सूची से मिलान करने पर पाया कि अजय चैरसिया मिडको कम्पनी का टेक्नीशियन है, जिसका कार्यक्षेत्र उन्नाव है। पुलिस उपाधीक्षक श्री पी0के0 मिश्रा एवं पुलिस उपाधीक्षक श्री अमित कुमार नागर के नेतृत्व में गठित टीम के निरीक्षक श्री राजेश चन्द्र त्रिपाठी एवं श्री हेमन्त भूषण सिंह ने अत्यन्त अल्प समय में उत्कृष्ट स्तर की व्यावसायिक दक्षता का परिचय देते हुए अजय चैरसिया के आवागमन, सम्पर्क, व्यावसायिक छवि आदि के सम्बन्ध में अत्यन्त महत्वपूर्ण जानकारियांॅ उपलब्ध कर लीं।

अजय चैरसिया उपरोक्त के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी एकत्र हो जाने के बाद एसटीएफ टीम ने उसको पूछताॅछ के लिए बुलाया। पूर्व एकत्रित तथ्यों के आधार पर पूछताॅछ करने पर चैरसिया ने स्वीकार किया कि उसने मुजफ्फरनगर स्थित जौहर अब्बास को अनेकों बार वह चिप भेजी है, जिसको पल्सर यूनिट में लगाकर घटतौली की जाती है। उसने यह भी बताया कि पिछले सप्ताह घटतौली का खुलासा हो जाने के बाद मैंने डर के मारे अपने पास रखी चिपें मोहान पुल, सई नदी, उन्नाव में फेंकी थीं। कुछ चिपें घर पर रखी हो सकती हैं। इस आधार पर एसटीएफ टीम ने अजय चैरसिया को साथ लेकर घर पर तलाशी की। अजय चैरसिया के घर पर घटतौली के लिए इस्तेमाल होने वाली 04 चिपें और बांट-माप विभाग के निरीक्षकों द्वारा पम्प के संवेदनशील पुर्जो को सील करने के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली तीन सीलें भी बरामद हुयीं। इसके अतिरिक्त उसके घर पर बड़ी संख्या में पेट्रोल पम्पों में लगने वाले विभिन्न प्रकार के सर्किट यथा पल्सर कार्ड, कंट्रोल कार्ड, डिस्प्ले कार्ड व डायफ्राम आदि मिले। इसके अतिरिक्त चैरसिया के घर पर छिपाकर रखी हुयी एल0 एण्ड टी0 कम्पनी की एक पूरी डिस्पेंसिंग यूनिट भी बरामद हुयी।

बड़ी संख्या में उपकरण बरामद होने के सम्बन्ध में पूछताॅछ पर अजय चैरसिया ने बताया कि वह मिडको कम्पनी में कार्यरत है और उन्नाव क्षेत्र के पम्पों के मेन्टीनेन्स का कार्य करता है। उसके पास से मिला सामान या तो डीलरों द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर बदला जाना है अथवा मेन्टीनेन्स के दौरान निकाला गया खराब सामान है। इस सम्बन्ध में मिडको कम्पनी के क्षेत्रीय अधिकारियों से वार्ता करने पर ज्ञात हुआ कि कम्पनी प्रतिमाह प्रत्येक टेक्नीशियन को निर्गत किये गये नये सामान एवं पम्पों से निकाले गये पुराने सामान का मिलान अपने स्टाॅक से करती है। स्टोर इंचार्ज मिडको को एसटीएफ टीम ने जांच हेतु अपने साथ लिया और उनके अभिलेखों से मिलान करने के बाद उक्त बरामद सामान अजय चैरसिया के पास अतिरिक्त पाया गया, जिसके सम्बन्ध में पूछताॅछ के दौरान वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। बरामद डिस्पेंसिंग यूनिट के सम्बन्ध में भी कोई प्रपत्र नहीं दिखा सका, जिससे प्रथमदृष्ट्या यह मशीन उपकरण निकालने और उनमंे चिप लगाकर बेचने के लिए प्रयोग में किया जाना प्रतीत होता है।

पूछताॅछ पर अजय चैरसिया उपरोक्त ने बताया कि उसने वर्ष 2000 से 2004 तक विभिन्न स्थानों पर गैस पाइप लाइन मेन्टीनेंस का कार्य किया था। बाद में उसने डिस्पेन्सिंग यूनिट मशीनों की मरम्मत का काम सीखा। मुम्बई में इंटरव्यू देने के बाद वह एल0 एण्ड टी0 कम्पनी के उत्तर प्रदेश जोन-1 में गोरखपुर में तैनात किया गया। मुम्बई ट्रेनिंग के दौरान ही उसका सम्पर्क कुछ ऐसे लोगों से हुआ, जिन्होंने डिस्पेंसिंग यूनिट के पल्सर कार्ड में चिप लगाकर घटतौली के लुभावने धन्धे की जानकारी दी। गोरखपुर तैनाती के दौरान कम्पनी के स्टेट हेड द्वारा किसी अनियमितता पर टोकने पर अनुशासनहीनता के कारण उसे कम्पनी से हटा दिया गया। वर्ष 2013 में उसने मिडको कम्पनी ज्वाइन कर ली। पिछले पांच-छह वर्षों में चैरसिया का एक बड़ा नेटवर्क बन गया जिसमें एक ओर वह अपने मुम्बई स्थित सम्पर्की से चिप प्राप्त करता था और दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में अपने सम्पर्कियों को ऊंॅचे दामों पर चिप बेंच देता था। पूछताॅछ पर उसने बताया कि तीन हजार रू0 प्रति चिप की दर से खरीदी हुयी चिप उसने बारह से पन्द्रह हजार रू0 प्रति चिप की दर से बेंची है। उसने स्वीकार किया कि जौहर अब्बास उपरोक्त को उसने लगभग 400 से ज्यादा चिपें बेची हैं। पम्पों पर चिप लगाने के एवज में पन्द्रह हजार से चालीस हजार रूपये प्रति नोजल तक पेट्रोल पम्पों के मालिकों द्वारा दिया जाना उसने स्वीकार किया। उसने यह भी बताया कि घटतौली में इस्तेमाल की जानी वाली इन चिपों की बिक्री और जनपद उन्नाव के अनेक पेट्रोल पम्पों पर चिप लगाने के एवज में पिछले 10 सालों में उसने लगभग तीस लाख रूपये अवैध रूप से कमाये हैं। बरामद सीलों के सम्बन्ध में पूछताॅछ पर उसने बताया कि मैंने उक्त सीलें अलीगढ़ स्थित अपने एक सम्पर्की से बनवायी हैं जिससे पम्पों पर चिप लगाने के बाद सील लगाने के लिए बांट-माप निरीक्षक की निर्भरता समाप्त हो जाये और इस बदले मंे डीलर से उसे अतिरिक्त धनराशि भी मिल जाये।
इस सम्बन्ध में थाना पारा जनपद लखनऊ में सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।

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