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पैट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय विश्व जैव ईंधन दिवस 2017 मना रहा है।

पैट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय विश्व जैव ईंधन दिवस 2017 मना रहा है।
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नई दिल्ली: श्री गडकरी ने जैव ईंधन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह कमखर्चिला तथा पर्यावरण अनुकूल एवं परम्परागत ईंधनों का पर्याय है।पैट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने आज विश्व जैव ईंधन दिवस 2017 मनाया।

पैट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि विश्व जैव ईंधन दिवस का उद्देश्य युवाओं (विद्यालय तथा कॉलेजों में जाने वाले विद्यार्थियों) किसानों तथा अन्य हितधारकों को जैवईंधन के लाभों के प्रति संवेदनशील बनाया तथा सरकार द्वारा चलाए जा रहे जैव ईंधन कार्यक्रम में उन्हें शामिल करना है। उन्होंने आगे कहा कि ये प्रयास जन अभियान के तहत किए जाने चाहिएं।

जैव ईंधन के क्षेत्र में सरकार द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों का जिक्र करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि जैव ईंधन कार्यक्रम के बारे में जागृति पैदा करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों के 100 जिलों में विश्व जैव ईंधन दिवस मनाया जाएगा। यह जागरूकता अभियान जैव ऊर्जा क्षेत्र के हितधारकों की भागीदारी से 11 अगस्त से 14 2017 के बीच चलाया जाएगा।

मंत्री जी ने उल्लेख किया कि देश में परिवहन तथा घरेलु उपयोग की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 80 प्रतिशत तेल आयात की आवश्यकता है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2022 तक तेल आयातों में 10 प्रतिशत की कमी करने की जिम्मेदारी सौंपी है। श्री प्रधान ने बताया कि जैवईंधनों के प्रयोग पर रोड मैप बनाने से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। जैव ईंधनों को बढावा देने से नौकरियाँ बढ़ेगी, आर्थिक विकास होगा, किसानों को मदद मिलेगी तथा देश में ऊर्जा संकट से छुटकारा पाने में मदद मिलेगी।

श्री प्रधान ने बताया कि मंत्रालय शीघ्र ही जैव ईंधन नीति लाएगा। नीति में सरकार की भूमिका निवेश से प्राप्ति, न्यूनतम गारन्टी आदि जैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा गया है। हाल ही में, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय को जैवईंधन नीति की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मंत्री ने कहा कि दोनों नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जैव ईंधन के अधिक प्रयोग के लिए मिलकर काम करेंगे।

श्री प्रधान ने बताया कि पूरे देश में दूसरी पीढी के (2जी) जैवईंधन शोधक कारखानों के अनुसंधान तथा अभिकल्प के लिए सरकारी कम्पनियों द्वारा लगभग 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है। शहरी तथा ग्रामीण अवशेष को ईंधन में बदलने की, बेकार बंजर भूमि को 2जी जैविक ईंधन के लिए कच्चे माल की खेती के उपयुक्त बनाने की युक्तियां तलाशी जा रही हैं। मंत्री जी ने बताया कि भारत में जैविक ईंधन की क्षमता अगले 1 से 2 वर्ष में 1 लाख करोड़ के आसपास होगी।

सड़क परिवहन, राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी ने जैव ईंधन के महत्व पर जोर देते हुए इसे कम खर्चीला, पर्यावरण अनुकूल पराम्परागत ईधनों का पर्याय बताया। उन्होंने कहा कि प्रदूषण को कम करने के अलावा कृषि अवशेष, बांस जैसे पौधों, अखाद्य तेल बीजों या शहरी अवशेष द्वारा देशी रूप में तैयार जैव ईधन से देश के भारी आयात को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे रोजगार बढेंगे, पूर्वोत्तर तथा देश की बंजर भूमि सहित ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था समृद्ध होगी। इस संबंध में श्री गडकरी ने बताया कि जैव ईंधन नीति देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक बहुत बडा मील का पत्थर होगी।

श्री गडकरी ने यह भी घोषणा की कि वह वित्त मंत्री से बायो डीजल पर जीएसटी मौजूदा 18 प्रतिशत से कम करके 5 प्रतिशत करने को कहेंगे।

परिवहन क्षेत्र के बारे में बात करते हुए मंत्री ने बताया कि देश में वाहन वृद्धि अरक्षणीय 22 प्रतिशत है। इसलिए सस्ते तथा हरित जैव ईंधनों तथा बिजली पर आधारित जन परिवहन बढ़ाने के बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं। भारत ने फ्लैक्सी इंजनों के लिए आवश्यक नियम बनाए हैं। नागपुर शहर में 55 बसें शत-प्रतिशत बायो ईथनॉल से तथा अन्य 50 बसें गंदे नाले के पानी से बने मिथेन से तैयार की गई जैव सीएनजी पर चल रही हैं। यह विद्युत चालित 200 टैक्सी और वाहनों के बेड़े के अलावा है। जहाजरानी तथा अंतर्देशीय जलमार्ग भी जहाज और नौकाओँ को मैथनॉल से चलाने की तैयारी में हैं।

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