न्यूयॉर्क : अत्यधिक वायु प्रदूषण के बीच शहरों में रह रहे बच्चों के मस्तिष्क पर हानिकारक प्रभाव पड़ने का खतरा अधिक रहता है। इसमें स्मरण शक्ति की कमी और कम बौद्धिक स्तर शामिल है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। शोध में पता चला है कि शरीर में मौजूद एक विशेष जीन (अपोलीपोप्रोटीन एपसिलोन 4 अलेल) के वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों का बौद्धिक स्तर अधिक से अधिक 10 अंक तक घट सकता है।अमेरिका की मोन्टाना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लिलियन काल्डरॉन गार्सिडयूनस के मुताबकि, “बौद्धिक स्तर 10 अंक तक घटने से बच्चों में शैक्षणिक और सामाजिक मुद्दों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे बच्चों में डराने-धमकाने और किशोर अपराध की संभावनाएं भी उत्पन्न हो सकती है।”
शोध के मुताबिक, उच्च स्तर के वायु प्रदूषकों के बीच जीवनर्पयत रहने से मस्तिष्क में सूजन और न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसमें अल्जाइमर और पार्किसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं। अपोलीपोप्रोटीन एपसिलोन 3 अलेल जीन वाले बच्चों की तुलना में प्रदूषित माहौल में रह रहे अपोलिपोप्रोटीन एपलिसन 4 अलेल जीन वाले बच्चों में अल्जाइमर जैसी बीमारियों के होने का खतरा अधिक होता है।
शोध में मेक्सिको सिटी में रह रहे बच्चों को दो समूहों में बांटा गया। ये बच्चें विभिन्न उम्र, लिंग, सामाजिक-आर्थिक दर्जे और शैक्षिक वर्गो से संबंध रखने वाले थे। इसके बाद अपोलिपोप्रोटीन एपलिसन 4 अलेल जीन वाले बच्चों की तुलना अपोलिपोप्रोटीन एपलिसन 3 अलेल जीन वाले बच्चों से की गई। इस शोध में यह बात स्पष्ट हुआ कि एपलिसन 3 की तुलना में एपलिसन 4 जीन वाले बच्चों में अल्पकाल के लिए स्मरण शक्ति की कमी, बौद्धिक स्तर में कमी और अल्जाइर जैसी मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
यह शोध ‘अल्जाइमर डिजीज’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
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