लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के गठन के साथ ही प्रदेश में परिवर्तन, विकास एंव गरीबों के सशक्तिकरण का एक नया युग प्रारम्भ हुआ है। विकास की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों को तेजी से बढ़ाते हुए आर्थिक विकास दर को 10 प्रतिशत तक प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसा होने पर ही राज्य को विकास के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे। इसके लिए कृषि जैसे प्राथमिक सेक्टर के साथ-साथ उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ‘ईज़ आॅफ डुइंग बिजनेस’ व टैक्स रिफाॅर्म जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग से प्राप्त सुझाव पर गम्भीरता से अमल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री आज यहां योजना भवन में नीति आयोग तथा भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के उच्चस्तरीय दल द्वारा महत्वपूर्ण विषयों पर दिए जा रहे प्रस्तुतिकरण के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने संसाधनों के मामले में उत्तर प्रदेश को एक सम्पन्न राज्य बताते हुए कहा कि करीब 22 करोड़ की आबादी वाला यह प्रदेश, देश का सबसे बड़ा राज्य होने के बावजूद विकास के सूचकांकों में पिछड़ा माना जाता है।
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश को एक कृषि प्रधान राज्य बताते हुए कहा कि यहां की लगभग 77 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। प्रदेश के कुल ग्रामीण परिवारों का लगभग 75 प्रतिशत परिवार कृषक है। इनमें से लगभग 65 प्रतिशत परिवारों की आय का मुख्य स्रोत कृषि ही है। जबकि इस क्षेत्र में वास्तविक आमदनी बहुत कम है। प्रति व्यक्ति आय का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2012-13 में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय जहां 36 हजार रुपए थी, वहीं 2016-17 में करीब 53 हजार रुपए अनुमानित है। इस प्रकार प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय, देश की प्रति व्यक्ति आय से लगभग आधी है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्रदेश की विकास दर 7.4 प्रतिशत आकलित की गई है, जिसे बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत है।
प्रदेश की आबादी का अधिकांश भाग कृषि क्षेत्र पर निर्भर होने के नाते इस क्षेत्र को मजबूत बनाने की प्राथमिकता पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य तभी हासिल होगा, जब कृषि उत्पादन एवं कृषि उत्पादकता, दोनों में वृद्धि की जाए। इसके लिए किसानों को नवीन तकनीक से जोड़ने, कृषि में निवेश बढ़ाने तथा कृषि के लिए वैज्ञानिक विधियों को बढ़ावा देने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण तथा अन्य प्रकार के मूल्य संवर्धन कार्यकलापों को बढ़ाने तथा मण्डियों को आॅनलाइन जोड़ने पर बल दे रही है।
प्रदेश की विकास दर को बढ़ाने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहन देने की तत्काल जरूरत पर बल देते हुए श्री योगी ने कहा कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ही प्रदेश की आर्थिक स्थिति में भी तेजी से सुधार लाया जा सकता है। राज्य सरकार औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए नई औद्योगिक नीति पर तेजी से काम कर रही है। अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण को गति प्रदान की जा रही है। बुन्देलखण्ड जैसे पिछड़े क्षेत्र को भी एक्सप्रेस-वे से जोड़ने की योजना को मूर्त रूप देने तथा औद्योगिकीकरण के लिए भूमि की आवश्यकता के दृष्टिगत भूमि बैंक बनाया जा रहा है।
नियमों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण करते हुए उद्योगों की स्थापना में लाल फीताशाही तथा इंस्पेक्टरराज की दखलंदाजी समाप्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उद्यमियों को सरकारी दफ्तरों के अनावश्यक चक्कर काटने से बचाने के लिए औद्योगिकीकरण से सम्बन्धित समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्रक्रिया को आॅनलाइन किया जा रहा है। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार जी0एस0टी0 लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
विद्युत जैसी मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न निर्णयों की जानकारी देते हुए श्री योगी ने कहा कि 14 अप्रैल, 2017 से रात्रिकालीन विद्युत आपूर्ति सहित प्रदेश के सभी जनपद मुख्यालयों को 24 घण्टे, तहसील मुख्यालयों को 20 घण्टे, ग्रामीण क्षेत्रों को 18 घण्टे विद्युत आपूर्ति शुरु कर दी गई है। अक्टूबर, 2018 से पूरे प्रदेश को चैबीस घण्टे विद्युत आपूर्ति करने का निर्णय लिया गया है। क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर बदलने के लिए भी सख्त कदम उठाए गए हैं, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में 48 घण्टे में तथा शहरी क्षेत्र में 24 घण्टे में खराब ट्रांसफार्मर को बदला जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को तकनीकी रूप से दक्ष श्रम शक्ति उपलब्ध कराने के लिए गम्भीरता से प्रयास किया जा रहा है। प्रदेश सरकार प्रत्येक इच्छुक परिवार के कम से कम एक सदस्य को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान करने का काम करेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि प्रदेश के औद्योगिकीकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा अभी तक किए गए प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करने के लिए नीति आयोग की विशेषज्ञता एवं अनुभव का लाभ उठाया जाएगा।
राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिशा में अभी और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने मातृ एवं शिशु की वर्तमान मृत्यु दर पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार वर्तमान मृत्यु दर को तेजी से घटाने के लिए हर सम्भव कदम उठाने के लिए कृत संकल्पित है।
प्रदेश सरकार प्रत्येक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की आधारभूत संरचना का विकास करेगी। नियमित टीकाकरण अभियान की गुणवत्ता को सुधारते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाने तथा संस्थागत प्रसव को शत्-प्रतिशत पहुंचाने के लिए सख्ती से काम किया जाएगा। लिंगानुपात को सुधारने के लिए चिन्हित जनपदों में बेटियों के प्रति प्रेम की सामाजिक चेतना जाग्रत कराने के लिए अभियान चलाया जाएगा। शिक्षा के महत्व का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक सभी बालक-बालिकाओं के लिए निःशुल्क, समान एवं गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा सुलभ कराने के लिए काम किया जाएगा।
प्रदेश के विकास में आर्थिक एवं क्षेत्रीय विषमता को कम करना एक बड़ी चुनौती बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की समस्या है। प्रदेश के लगभग 92 प्रतिशत किसान सीमान्त एवं लघु कृषक की श्रेणी में आते हैं। इन सभी वर्गों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए लक्ष्य आधारित नीति एवं योजना तैयार की जाएगी।
कृषि को अधिकाधिक लाभकारी बनाने के साथ ही रोजगार के वैकल्पिक स्रोतों का भी विकास किया जाएगा। गरीबों विशेषकर मजदूरों एवं भूमिहीनों के लिए आजीविका एवं आय की सुरक्षा सुनिश्चित करना राज्य सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस मामले में नीति आयोग के भी सुझाव को अमल में लाया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए मूलभूत अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा कौशल उन्नयन पर बल दिया जाएगा।
श्री योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। जलापूर्ति परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों को समयबद्ध ढंग से गुणवत्ता के साथ पूरा कराने के साथ ही बुन्देलखण्ड क्षेत्र तथा प्रदेश के मध्य एवं पश्चिम क्षेत्रों में गिरते हुए जल स्तर को रोकने के लिए गम्भीरता से काम किया जा रहा है। इस मामले में नीति आयोग से तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर विशेष रूप से डार्क एवं ग्रे जोन में तालाबों के निर्माण की योजना बना रही है ताकि स्थानीय स्तर पर लोग भूमिगत जल के बजाय इन जल स्रोतों पर निर्भर होने की आदत डाल सकें। प्रदेश के सभी 654 नगर निकायों को 02 अक्टूबर, 2018 तक शत्-प्रतिशत ओ0डी0एफ0 बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों (बी0पी0एल0) के लिए प्रत्येक 05 वर्ष में सर्वेक्षण कराने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे बी0पी0एल0 परिवारों की सूची अद्यतन करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रयोग की जा रही नवीनतम तकनीक, नई सोच और अभिनव प्रयोग को आवश्यकतानुसार उत्तर प्रदेश में भी लागू करने के लिए काम कर रही है, जिससे विकास योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ जनता को मिल सके। उन्होंने सीमित संसाधनों में बेहतर परिणाम प्राप्त करने तथा संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के बारे में नीति आयोग से मार्गदर्शन उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया है।
इससे पूर्व, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डाॅ0 अरविन्द पनगढ़िया ने ट्रांसफाॅर्मिंग उत्तर प्रदेश शीर्षक के तहत विस्तार से विभिन्न बिन्दुओं पर तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार 09 फीसदी की वृद्धि दर भी प्राप्त कर ले तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार हो जाएगा। उन्होंने तेज गति से विकास पर बल देते हुए कहा कि परम्परागत ढंग की कार्यप्रणाली से विकास को तेजी से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।
नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री अमिताभ कान्त ने विद्युत उत्पादन की दर कम करने, विद्युत वितरण कम्पनियों की क्षमता में विकास तथा ‘उदय’ को प्रभावी रूप से लागू करने पर बल दिया। उन्होंने विस्तार से शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण सम्पर्क मार्ग, हेल्थ इंडेक्स तथा गरीबी उन्मूलन जैसे विषयों पर चर्चा करते हुए प्रदेश में सुधार की सम्भावनाओं को रेखांकित किया।
नीति आयोग के सदस्य श्री रमेश चन्द्र ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए किए जाने वाले कार्यों की विस्तार से चर्चा करते हुए प्रदेश के विकास के लिए कृषि क्षेत्र में सुधार की सख्त जरूरत पर बल दिया।
इसी प्रकार भारत सरकार के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के सचिव श्री रमेश अभिषेक ने ‘ईज़ आॅफ डुइंग बिजनेस’ तथा स्टार्टअप कार्यक्रम, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव श्री अमरजीत सिन्हा ने ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं आवास से सम्बन्धित विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। बैठक में स्वास्थ्य, कुपोषण, शिक्षा, पेय जल तथा स्वच्छता आदि विषयों पर भी भारत सरकार एवं नीति आयोग के अधिकारियों ने प्रस्तुतिकरण दिया।
इससे पूर्व नीति आयोग की इस पहल का स्वागत करते हुए प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार देश के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित अच्छी योजनाओं को प्रदेश की परिस्थितियों के हिसाब से लागू करने पर विचार करेगी, जिससे अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
कार्यक्रम में राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्य श्री सूर्य प्रताप शाही, श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी, श्रीमती अनुपमा जयसवाल, डाॅ0 महेन्द्र सिंह सहित मुख्य सचिव, विभिन्न विभागों के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सविच/सचिव एवं विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।
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