लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017’ को अनुमोदित किया गया। इस नीति का दृष्टिक्षेत्र राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को प्रतिस्पर्धी निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करना है, जिससे रोजगार सृजित हो सके तथा प्रदेश के स्थायी, समेकित तथा संतुलित आर्थिक विकास को बल मिले।
इस नीति का प्रमुख उद्देश्य प्रदेश में उद्योग अनुकूल वातावरण प्रदान करते हुए निवेश आकर्षण एवं सभी वर्गों को समावेशी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराया जाना है। इस हेतु मेगा परियोजनाओं को पुनः परिभाषित करते हुए निवेश को रोजगार सृजन के साथ लिंक किया गया है।
इस क्रम में बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने वाली अथवा 500 से अधिक रोजगार प्रदान करने वाली इकाइयों, मध्यांचल एवं पश्मिांचल (गौतमबुद्ध नगर एवं गाजियाबाद को छोड़कर) क्षेत्र में 150 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने वाली अथवा 750 से अधिक रोजगार प्रदान करने वाली इकाइयों तथा पश्मिांचल के गौतमबुद्ध नगर एवं गाजियाबाद जनपद में 200 करोड़ रुपए से अधिक निवेश करने वाली अथवा 1000 से अधिक रोजगार प्रदान करने वाली इकाईयों को मेगा इकाई का दर्जा देते हुए विशेष प्रोत्साहन का प्राविधान किया गया है।
इसी प्रकार रोजगार को बढ़ावा दिए जाने के आशय से न्यूनतम 200 कुशल एवं अकुशल प्रत्यक्ष रोजगार सृजन करने वाली इकाइयों को ई0पी0एफ0 के नियोक्ता अंश की अतिरिक्त प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान किए जाने की भी व्यवस्था दी गयी है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 400 से अधिक श्रमिकों अथवा बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल एवं मध्यांचल में 200 से अधिक अनुसूचित जाति/जनजाति/महिला/ दिव्यांग/बी0पी0एल0 श्रेणी के श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने वाली औद्योगिक इकाइयों को नेट वैट/सी0एस0टी0/जी0एस0टी0 के तहत अतिरिक्त दर से प्रतिपूर्ति कराये जाने का भी विशेष प्राविधान किया गया है।
प्रदेश में उद्यमियों को व्यापार करने में सहजता हेतु एक अनुकूल औद्योगिक वातावरण बनाने की दिशा में प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया जाएगा तथा समयबद्ध स्वीकृतियां सुनिश्चित की जायेंगी। इस हेतु समस्त औद्योगिक सेवाओं/स्वीकृतियों/अनुमोदनों/अनुमतियों/लाइसेंसांे को प्रदान करने हेतु राज्य सरकार के एकमात्र इंटरफेस के रूप में मुख्यमंत्री कार्यालय के अन्तर्गत एक समर्पित सिंगल विंडो क्लीयरेंस विभाग बनाया जाएगा।
औद्योगिक परियोजनाओं से सम्बन्धित निर्णय लेने में शीघ्रता लाने के लिए मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एस0आई0पी0बी0) का गठन किया जाएगा। यह बोर्ड, निवेश प्रोत्साहन यथा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय रोड-शो, उद्योगों के साथ एम0ओ0यू0 हस्ताक्षरित करने तथा उन्हें क्रियान्वयन में सहायता प्रदान करने की गतिविधियों का संचालन करेगा।
मेक इन इण्डिया की सफलता का लाभ उठाने हेतु प्रदेश में एक समर्पित ‘मेक इन यू0पी0’ विभाग की स्थापना की जाएगी, जिसके अन्तर्गत उद्योग एवं सेक्टर विशिष्ट राज्य निवेश एवं विनिर्माण क्षेत्र (एस0आई0एम0जेड0) को चिन्हित एवं सृजित किया जाएगा।
राज्य में वाणिज्यिक गतिविधियों को सुरक्षा प्रदान किए जाने हेतु औद्योगिक क्लस्टर/क्षेत्र जैसे नोएडा, कानपुर, गोरखपुर, बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल मंे विशेष अधिकारी के नेतृत्व में समर्पित पुलिस बल को तैनात किया जाएगा। प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर/क्षेत्रों में एकीकृत पुलिस-कम-फायर स्टेशन भी स्थापित किए जाएंगे।
प्रदेश के उद्योगों तथा विनिर्माण इकाइयों को बिना किसी परेशानी के परिवहन के विभिन्न साधनों के उपयोग से भारत एवं विदेशी बाजारों में उनके उत्पाद को पहुंचाने में सहायता प्रदान करने हेतु वायु, जल, सड़क एवं रेल नेटवर्क का एक सम्पर्क जाल (कनेक्टिविटी वेब) बनाया जाएगा। इस क्रम में लखनऊ एवं नोएडा में विद्यमान मेट्रो सेवाओं में विस्तार के साथ-साथ कानपुर, मेरठ, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद, गोरखपुर, झांसी एवं गाजियाबाद नगरों में भी मेट्रो सेवाओं का विकास तथा प्रमुख राज्य राजमार्गों को चैड़ा करके एवं सृदृढ़ बनाकर यातायात संचालन को सुगम किया जाएगा।
पश्चिमी समर्पित माल-ढुलाई गलियारा (डब्ल्यू0डी0एफ0सी0) एवं पूर्वी समर्पित माल-ढुलाई गलियारा (ई0डी0एफ0सी0) के आस-पास के क्षेत्रों में मल्टी-माॅडल लाॅजिस्टिक्स हब विकसित करने के साथ ही निर्यात वृद्धि हेतु ड्राइ पोर्ट का विकास किया जाएगा। डब्ल्यू0डी0एफ0सी0 एवं ई0डी0एफ0सी0 एवं उनसे प्रभावित क्षेत्रों औद्योगिक गलियारे-दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा (डी0एम0आई0सी0) एवं अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारा (ए0केआई0सी0) के लाभ उठाये जाएंगे।
इस नीति के माध्यम से निजी क्षेत्र द्वारा बुन्देलखण्ड एवं पूर्वांचल में 100 एकड़ तथा मध्यांचल में 150 एकड़ से अधिक भूमि पर औद्योगिक पार्कों/एस्टेटों तथा बुन्देलखण्ड, पूर्वांचल एवं मध्यांचल में 50 एकड़ से अधिक भूमि पर एग्रो पार्कों को विकसित किए जाने हेतु लिए गये ऋण पर वार्षिक ब्याज के प्रतिपूर्ति के रूप में ब्याज सब्सिडी, श्रमिकों के लिए हाॅस्टल/डारमेट्री आवास के निर्माण हेतु लिए गए ऋण पर देय ब्याज की प्रतिपूर्ति की सुविधा तथा स्टैंप ड्यूटी पर छूट की सुविधा प्रदान की जाएगी।
इस नीति के माध्यम से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एम0एस0एम0ई0) के क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से प्रदेश का चहुंमुखी औद्योगिक विकास का सुनिश्चित किया जायेगा। इस हेतु सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए पूंजी एवं ऋण के प्रवाह में सुधार के लिए पारम्परिक उद्योगों के विकास हेतु काॅरपस फण्ड का सृजन करते हुए विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के अन्तर्गत स्थानीय दस्तकारों तथा उद्यमियों को मार्जिन मनी अनुदान एवं ब्याज अनुदान की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी एवं प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रोत्साहित किए जाने हेतु ‘मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना’ प्रारम्भ की जाएगी।
इसके अतिरिक्त एक एस0एम0ई0 लघु, मध्यम उद्यम वेन्चर कैपिटल फण्ड का भी सृजन किया जाएगा। राज्य के पूर्वांचल, मध्यांचल एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्रों के लिए उत्तर प्रदेश लघु एवं मध्यम उद्योग ब्याज उपादान योजना में यथोचित सुधार किये जाने का प्राविधान किया गया है।
20 से 100 एकड़ के नये मिनी औद्योगिक पार्क में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहन के रूप में स्टाम्प शुल्क की प्रतिपूर्ति, ब्याज सब्सिडी तथा विद्युत सबस्टेशन निर्माण व्यय के साझा किए जाने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस नीति में उल्लिखित एम0एस0एम0ई0 एवं अन्य विभागीय नीतियां सरकार की मंशा का संक्षिप्त विवरण है। विस्तृत नीतियों को सम्बन्धित शासकीय विभागांे द्वारा पृथक से उपलब्ध कराया जाएगा।
निवेश को प्रोत्साहन एवं ब्राण्ड उ0प्र0 के विपणन को सुनिश्चित किये जाने के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश को वैश्विक निवेश केन्द्र के रूप में प्रस्तुत किये जाने हेतु ग्लोबल इन्वेस्टर समिट आयोजित की जायेगी। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के प्रत्येक जिले के स्तर पर स्थानीय स्तर के विशेष व्यवसायों जैसे कि बुन्देलखण्ड के मिट्टी के बर्तन, मेरठ के खेलकूद के सामान, फिरोजाबाद के कांच के काम, अलीगढ़ के ताले, रामपुर के चाकू, मुरादाबाद के पीतल के काम, संभल का पुदीना, बरेली के फर्नीचर, कन्नौज के इत्र, आगरा के जूते एवं पेठा, कानपुर के चमड़े का काम, भदोही के कालीन, वाराणसी की साड़ियाँ, बलरामपुर की चीनी, मुजफ्फरनगर की गुड़ एवं लखनऊ के चिकनकारी के काम आदि के प्रचार पर पर्याप्त जोर दिया जाएगा।