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प्रधानमंत्री का सम्बोधन: इकनोमिक टाइम्स समिट 2018

देश-विदेशव्यापार

नई दिल्लीः इकॉनॉमिक टाइम्स- ग्लोबल बिजनेस समिट में देश-विदेश से आए मेहमान, यहां उपस्थित सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

New India के संकल्प के इस बहुत महत्वपूर्ण कालखंड में आप सभी New Economy-New Rules पर मंथन करने के लिए जुटे हैं। सवाल ये, कि ये नया क्या है?Economic Times भी Daily छपता है, पेपर क्वालिटी हर रोज वही होती है, प्रिंटिंग क्वालिटी हर रोज वही होती है, बैनर पर आप लोग जो अख़बार का नाम लिखते हैं, उसका Font और Style भी वही होता है। फिर भी हम कहते हैं कि हर रोज नया अख़बार निकलता है। फर्क होता है अख़बार के Content का और इसी Content के आधार पर आप लोग कहते हैं, ये ताजा खबर है, नई खबर है।

साथियों, अगले कुछ महीनों में हमारी सरकार चार साल पूरे करने जा रही है। देश वही है, लोग वही हैं, ब्यूरोक्रेसी वही है, लेकिन फिर भी एक बदलाव देश – विदेश में स्पष्ट नजर आ रहा है। देश के आर्थिक और सामाजिक  Content में आए इस बदलाव में ही New India, New Economy के New Rules निहित हैं।

आपको ध्यान होगा, चार साल पहले पूरी दुनिया में जब भारत की अर्थव्यवस्था की चर्चा  होती थी, तो कहा जाता था, Fragile Five…। दुनिया हम पर हंसती थी और आँख उठाकर कहती थी, कि ये देश खुद भी डूबेगा और हमें भी डूबो देगा। आज Fragile Five की नहीं, भारत के Five Trillion Dollar Economy के लक्ष्य की चर्चा होती है। अब दुनिया भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है।

साथियों, भारत का विकास, पूरे विश्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

  • पिछले तीन-चार वर्षों में भारत ने अपने साथ ही पूरी दुनिया की economic growth को मजबूती दी है।
  • World GDP में अगर हम Nominal Term में डेटा को देखें, तो बड़े रोचक तथ्य सामने आते हैं। International Monetary Fund के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2013 के अंत में भारत का World GDP में Nominal Term में कंट्रीब्यूशन 2.4 प्रतिशत था। हमारी सरकार के लगभग 4 वर्षों में ये बढ़कर 3.1 प्रतिशत हो गया है।
  • विश्व अर्थव्यवस्था का जो हिस्सा पाने में भारत को 8 साल लगे थे, वो हमारी सरकार के 4 वर्षों में हुआ है। इससे भी बड़ा एक चौंकाने वाला तथ्य IMF के डेटा से निकलकर आता है। World economy में Nominal Term में जो पिछले 4 वर्षों में वृद्धि हुई है, उसका 21 प्रतिशत भारत में हुई वृद्धि के कारण हुआ है।
  • अब आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि एक देश जो World GDP का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा है, वो 7 गुना ज्यादा World economy की ग्रोथ में कंट्रीब्यूट कर रहा है।

आज आप कोई भी Macro-Economic पैरामीटर देख लीजिए, चाहे वो inflation हो, CurrentAccount Deficit हो, Fiscal Deficit हो, GDP Growth हो, Interest rate हो, FDI Inflow हो, भारत सभी मेंबेहतर Perform कर रहा है।

  • देश का CurrentAccount Deficit, जो 4 प्रतिशत के अलार्मिंग स्तर पर था, उसे कम करके हमारी सरकार पहले तीन-साढ़े-तीन वर्षों में औसतन एक प्रतिशत पर ले आई है।
  • पहले की सरकार के समय Fiscal Deficit, जो 4.5 परसेंट के आसपास था, उसे हमारी सरकार कम करके 3.5 प्रतिशत तक लाई।
  • हमारी सरकार के साढ़े तीन साल में लगभग 209 बिलियन डॉलर Gross FDI आया है, जबकि पिछली सरकार के तीन साल में 117 बिलियन डॉलर FDI आया था।
  • आज देश का Foreign Exchange Reserveलगभग 300 बिलियन डॉलर से बढ़कर 419 बिलियन डॉलर के स्तर पर है। बावजूद इसके कि 2013 के संकट के दौरान किए गए Special Foreign Currency Non-Resident Deposits यानि FCNR के लगभग 24 बिलियन डॉलर का Repayment भी देश पूरा कर चुका है।
  • Inflation Rate नियंत्रित रखने और High Productivity Growth की वजह से रुपए का Outlook भी बेहतर बना हुआ है। ब्याज दर में एक प्रतिशत से ज्यादा की कमी का लाभ ग्राहकों, हाउसिंग सेक्टर और अन्य उद्योगों को हो रहा है।

साल दर साल हमारी सरकार सारे macro-economic indicators को सुधारने में सफल रही हैं। लेकिन क्या पुराने तौर-तरीकों से ऐसा संभव था? नहीं। पुरानी अप्रोच पर चलते हुए ये बदलाव संभव नहीं था।

देश में ये बदलाव इसलिए आया है, क्योंकि देश अब एक नए WorkCulture के साथआगे बढ़ रहा है। अपने सामर्थ्य, अपने संसाधन पर भरोसा करके, New India के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है।

पिछले तीन वर्ष में देश के Economic World ने एक नई चीज सीखी है, और वो है Competitiveness…। जब आगे बढ़ने की होड़ नहीं होगी, जब एक healthy Competition नहीं होगा, तो फिर न speed आ पाएगी औऱ न ही ऊंचे horizons पर जाकर सोच पाएंगे।

साथियों, आज भारत की इस Competitiveness को पूरी दुनिया validate कर रही है, salute कर रही है।

  • अंकटाडकी World Investment Report कहती है कि भारत दुनिया के favourite FDI destinations में से एक है।
  • दुनिया की Top three prospective host economies में भी भारत का नाम है।
  • FDI Confidence Index में भारत top two emerging market performers में से एक है।
  • World Bank की Ease of Doing Business की रैंकिंग में हमने सिर्फ तीन साल में 42 अंकों का सुधार किया है। आज हम 142 से 100वें नंबर पर पहुंच चुके हैं। तमाम रेटिंग एजेंसियां भी भारत की रेटिंग में सुधार कर रही हैं।
  • भारत अब दुनिया की सबसे open economies में से एक है।

साथियों, जब मैं पिछली बार आपके इस कार्यक्रम में आया था, तो उस समय GST सिर्फ संभावनाओं में था।

आज GST एक सच्चाई है। स्वतंत्रता के बाद, देश के सबसे बड़े Tax Reform को लागू हुए भी 7 महीने होने को हैं। GST ने देश को एक बेहतर Tax Compliance सिस्टम, बेहतर Revenue सिस्टम दिया है। इसने Goods के faster movement को बढ़ावा दिया है, Transport Cost कम की है और Exports में Competitiveness का माहौल बनाया है।

  • भाइयों और बहनों, हमारे देश में 70 साल के Indirect Tax System के बावजूद लगभग 60 लाख व्यापारी ही ऐसे थे, जो Indirect Tax Regime के दायरे में थे।
  • GST के सिर्फ 7 महीनों में, 44 लाख से ज्यादा नए लोगों ने Indirect Tax System से जुड़ने के लिए अप्लाई किया है।
  • इससे देश में ईमानदार बिजनेस कल्चर को बल तो मिला ही है, Tax net के इस विस्तार की वजह से ईमानदार Tax Payer को कम टैक्स का Reward भी मिला है।

साथियों, ये आपकी जानकारी में रहा है कि हमारी सरकार को Twin Balance Sheet की किस तरह की Legacy मिली थी।  बैंकों की पहले की व्यवस्था सेतो आप अवगत ही हैं कि किस तरह से क्रोनी कैपेटेलिज्म का वातावरण व्यापक रुप से सिस्टम में (Entrenched)इन्ट्रेन्च्ड था। इसे सुधारने के लिए Insolvency और bankruptcy Code जैसा बड़ा रीफॉर्म भी हमने किया।

आज देश में दो हजार से ज्यादा insolvency professionals और 62 insolvency entities 24 घंटे इस समस्या को दूर करने में जुटी हुई हैं। सिर्फ तीन महीने में हमारी सरकार 2700 से ज्यादा केसों को सुलझा चुकी है।

एक और चुनौती भरा विषय था exports का। अगर हम साल 2015-16 के import and export के डेटा को देखें तो पाएंगे कि दोनों में ही करीब-करीब 15 प्रतिशत की गिरावट आई। ये गिरावट क्यों आई, इस पर कई तरह की राय आई। एक संभावना और है जिस पर अर्थनीति के जानकारों को मंथन करना चाहिए।

साथियों, 2014 में सरकार बनने के बाद, कालेधन के खिलाफ लड़ाई के लिए हमारी सरकार का पहला बड़ा फैसला था, SIT के गठन का। SIT ने  अपनी रिपोर्ट में कहा था कि  imports – exports में over-invoicing भी बहुत गंभीर विषय है। इस रिपोर्ट से मिली जानकारी के बाद सरकार ने over-invoicing से निपटने के लिए सख्त कदम उठाए। अब ये Economists के लिए Study का subject है कि बिना trade deficit में बड़े बदलाव हुए, आखिर क्यों imports – exports में एक ही तरह की गिरावट आ रही थी? क्या इसके पीछे वजह over-invoicing थी, base correction था?

विनीत जी, अब कल को ये मत छपवा दीजिएगा कि Export गिरने पर मोदी ने दी सफाई। मैं एक एंगल आपके सामने रख रहा हूं जिस पर आपसभी को भी सोचना चाहिए। वैसे आपकी जानकारी ये भी होगा कि सख्ती के लंबे दौर के बाद अब exports के हाल के आंकड़े बता रहे हैं कि स्थिति सुधर रही है।

साथियों, हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में देखते हैं कि जब पानी को उबालने के लिए रखते हैं तो एक खास temperature पर पहुंचने के बाद ही steam में transform होता है। उस तापमान पर पहुंचने से पहले ना पानी उबलता है और ना steam बनती है। इसी तरह से सरकार के initiatives लोगों तक पहुंचे, इसके लिए Speed, Scale और Sensitivity की आवश्यकता होती है।

जब Speed, Scale, Sensitivity के साथ काम होता है तो Success भी मिलती है। हमारी सरकार ने अटकाने-भटकाने-लटकाने वाला पहले का कल्चर खत्म कर दिया है। इसकी वजह से पूरे सिस्टम में एक नई तेजी आई है।

  • पहले की सरकार में जिस स्पीड से रेलवे लाइनों को ब्रॉड गेज में बदला जा रहा था, आज उससे दोगुनी रफ्तार से रेल लाइनों को ब्रॉड गेज में बदला जा रहा है।
  • पहले की सरकार में जिस रफ्तार से गांव में सड़कें बन रहीं थीं, नेशनल हाईवेज बन रहे थे, अब इस सरकार में वही काम उससे दोगुनी रफ्तार से हो रहा है।
  • पहले की सरकार में जिस स्पीड से पावर ट्रांसमिशन लाइन बिछाई जा रही थी, आज यही काम उससे दोगुनी रफ्तार से हो रहा है।
  • पहले की सरकार में जिस स्पीड से electricity generation capacity जोड़ी गई थी, आज उससे ज्यादा तेजी से अब काम हो रहा है।
  • पहले की सरकार में 3 साल की मेहनत के बाद जहां सिर्फ 59 गांव पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था, वहां हमने भी सिर्फ 3 साल में ही 1 लाख 10 हजार से ज्यादा ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा है।
  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफरके तहत पहले सिर्फ 28 योजनाओं की राशि बैंक में सीधे ट्रांसफर की जाती थी, अब 400 से ज्यादा योजनाएं DBT से जुड़ गई हैं।
  • आप सोचिए, एक छोटा सा LED बल्ब पहले साढ़े तीन सौ रुपए में मिला करता था। उसे कम करते-करते हम 40-50 रुपए पर ले आए हैं।दुनिया के कई देशों में आज भी ये LED 3 डॉलर का मिल रहा है, लेकिन हमारी सरकार इसकी कीमत को 1 डॉलर से भी कम तक ले आई है।
  • 2014 से पहले हमारे देश में जहां सिर्फ 3 मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियां थीं, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 120 के आसपास पहुंच गई है। इसी का परिणाम है कि जहां साल 2014-15 में देश में 50 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के मोबाइल का Import किया जाता था, वहीं अब ये घटकर आधा रह गया है।

क्या ये परिवर्तन ऐसे ही आ गया? क्या ये बदलाव ऐसे ही आ गया? इसके लिएजिस इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, वो हमारी सरकार ने दिखाई है। ये ही New Economy के New Rules हैं।

भाइयों और बहनों, 2014 में सरकार बनाने के बाद से हमनेOptimum Utilization of Resources, Resource आधारित Development Policies और Development Policies आधारित बजट पर जोर दिया है।

  • आज देश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर, एग्रीकल्चर पर, टेक्नोलॉजी पर, Health Sector पर,Eductaion Sector पर, जितना निवेश किया जा रहा है, उतना पहले कभी नहीं किया गया।
  • पहली बार देश में एविएशन प़लिसी बनी है। जिस डिफेंस सेक्टर में कोई FDI के बारे में सोच नहीं सकता था, उसमें भी हमारी सरकार ने निवेश की नई संभावनाएं बनाई हैं।
  • हमारी सरकार देश के ट्रांसपोर्ट सेक्टर को 21वीं सदी की आवश्यकताओं को देखते हुए तैयार कर रही है, उन्हें Integrate कर रही है।

ये सारा निवेश, सरकार की योजनाएं, अपने साथ रोजगार के लाखों अवसर लेकर भी आ रही हैं।पिछले चार वर्षों में हमारी सरकार ने देश में Job Centric के साथ ही People Centric Growth पर जोर दिया है। एक ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें देश के गरीबों का financial inclusion भी हो, जो Middle Class की Aspiration का भी ध्यान रखे।

साथियों, हमारी सरकार में में ये दंभ नहीं है कि हम ही सब जानते हैं। सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर चलते हुए हम सबकी राय और सबके अनुभव को साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं। हमारी सरकार पूरी संवेदनशीलता के साथ उनकी आवश्यकताएं, उनकी चिंताएं सुनती है और इसी वजह से अनेक Long Standing issues के innovative solutions निकल रहे हैं।

पहले दिन से हमारी कोशिश रही है कि सिस्टम में Horizontally और Vertically Sensitivity को percolate किया जाए। मैं खुद अनेक बार किसानों से, नौजवानों से, विद्यार्थियों से, Young CEO’s से मिलकर अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर interaction करता रहा हूं। हमने ऐसी व्यवस्थाएं बनाई हैं, जिससे लोगों का फीडबैक हमें सीधे मिलता है। Grievance Redressalको भी हमारी सरकार ने बहुत ज्यादा attention दिया है।

साथियों, कई बार जो theoretical solutions बहुत Perfect नजर आते हैं, वहीकई Practical Problems का origin बन जाते हैं। इसे तभी समझा जा सकता है, जब सरकार संवेदनशीलता के साथ सारी बारीकियों को समझ रही हो।

जैसेbamboo पर हाल में लिया फैसला, यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग , ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरी में इंटरव्यू खत्म करने का फैसला, गजटेड ऑफीसर से Attessedकराने की बाध्यता खत्म करने का फैसला, ये कार्य पहले भी किए जा सकते थे, लेकिन Sensitivity की कमी ने, जनता से कनेक्ट की कमी ने ऐसा होने नहीं दिया।

साथियों, हमारे यहां हेल्थ एक ऐसा सेक्टर रहा है, जो holistic attention से हमेशा दूर रहा। हेल्थ से जुड़ी योजनाएं पहले भी बनीं, लेकिन उनमें भी Sensitivity की कमी रही।हम Good Healthcare के साथ-साथ Good Health भी Insure कर रहे हैं।

  • मिशन इंद्रधनुष की वजह से देश में टीकाकरण का दायरा बढ़ने की रफ्तार 6 गुना बढ़ी है।
  • तीन हजार से ज्यादा जनऔषधि स्टोर्स पर 800 से ज्यादा दवाइयों को कम कीमत पर दिया जा रहा है। हमारी सरकार ने स्टेंट की कीमत 80 प्रतिशत तक कम की है। Knee Implants की कीमत को नियंत्रित किया है। डायबिटीज के लगभग ढाई लाख मरीजों को 20 से 25 लाख सेशंस मुफ्त कराए गए हैं।
  • इस बजट में हमने देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों को लाभ पहुंचाने वाली हेल्थ एश्योरेंस स्कीम- आयुष्मान भारत का ऐलान किया है। इसके तहत हर गरीब परिवार को गंभीर बीमारी के इलाज के लिए साल भर में 5 लाख रुपए तक का हेल्थ एश्योरेंस दिया जाएगा।

साथियों, डिजिटल इंडिया मिशन का आधार, हमारे समाज को digitally empowered society में बदलना और देश के अर्थतंत्र को knowledgeeconomy में बदलना है।  100 करोड़ बैंक अकाउंट, 100 करोड़ आधार कार्ड, 100 करोड़ मोबाइल फोन की Trinityएक ऐसा इकोसिस्टम बनाएगी जो पूरी दुनिया में बिल्कुल अलग तरह का होगा।

साथियों, MSMEका ecosystem, हमारी अर्थव्यवस्था की backboneहै। इस सेक्टर को मजबूत करने के लिए हम लगातार काम कर रहें है। ज्यादा से ज्यादा लघु उद्योगों को Formal Sector में लाने के लिए Higher Credit Support, Capital और Interest Subsidy और Innovations पर ध्यान दिया जा रहा है।

इसमें Financial Technology यानि FinTechका भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। MSME’s को Financialaccess प्रदान करने के लिए, उसके विकास में और तेजी लाने के लिए FinTech का इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। बढ़ता हुआ इसका इस्तेमाल, देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है।

साथियों, जब मैं इससे पहले आपके इस आयोजन में आया था तो मैंने Housing for All,Power for All, Clean Cooking for All, Health for All,Insurance for All की बात कही थी।

  • देश में बीते तीन साल में गरीबों और निम्न मध्यम वर्ग के लिए लगभग एक करोड़ घरों का निर्माण किया गया है।
  • 4 करोड़ घरों को बिजली से रोशन करने के लिए सौभाग्य योजना शुरू की गई है।
  • उज्जवला योजना के तहत 3 करोड़ 40 लाख महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया है।
  • सिर्फ 90 पैसे प्रतिदिन और एक रुपए महीना के प्रीमियम पर हमारी सरकार ने 18 करोड़ से ज्यादा गरीबों को सुरक्षा कवच दिया गया है। इन बीमा योजना के माध्यम से गरीबों को अब तक 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की क्लेम राशि दी जा चुकी है।

साथियों, हमारी सरकार की नीतियां, नियुक्तियां, निर्णय, नीयत, नियम, सभी का एक ही लक्ष्य है। देश का विकास, देश के गरीब का विकास। सबका साथ-सबका विकास के मंत्र पर चलते हुए हम गरीबों को Empower करने का काम कर रहे हैं।

  • पिछले तीन साढ़े तीन साल में जनधन योजना के तहत देश में 31 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक अकाउंट खुले हैं। सिर्फ अकाउंट ही नहीं खुले, इनमें आज लगभग 75 हजार करोड़ रुपए जमा हैं।
  • इस दौरान सरकार ने 6 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनवाए हैं। देश में ग्रामीण स्वच्छता का दायरा, 2014 के लगभग 40 प्रतिशत से बढ़कर अब 78 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है।
  • सरकार ने मुद्रा योजना के तहत 11 करोड़ लोन दिए हैं। इसके तहत साढ़े 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि बिना बैंक गारंटी देश के नौजवानों को, महिलाओं को दी गई है। इस योजना से देश को लगभग तीन करोड़ नए उद्यमी मिले हैं।
  • अब तक 11 करोड़ से ज्यादा सॉयल हेल्थ कार्ड बांटे गए हैं। 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को माइक्रो इरिगेशन के दायरे में लाया गया है।

साथियों, इस साल के बजट में New Economy से जुड़ा एक और बड़ा फैसला लिया गया है।

अधिसूचित फसलों के लिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य – यानि की MSP, उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा। इस लागत में किसान के द्वारा लिए गए दूसरे श्रमिक के परिश्रम का मूल्य, अपने मवेशी-मशीन या किराए पर लिए गए मवेशी या मशीन का खर्च, बीज का मूल्य, सभी तरह की खाद का मूल्य, सिंचाई के ऊपर किया गया खर्च, राज्य सरकार को दिया गया लैंड रेवेन्यू, वर्किंग कैपिटल के ऊपर दिया गया ब्याज, लीज ली गई जमीन के लिए दिया गया किराया, और अन्य खर्च शामिल हैं। इतना ही नहीं किसान के द्वारा खुद और अपने परिवार के सदस्यों द्वारा दिए गए श्रम के योगदान का भी मूल्य, उत्पादन लागत में जोड़ा जाएगा।

देश के परिश्रमी किसानों की आय से जुड़ा ये बहुत महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि कुछ अर्थशास्त्री इससे कीमतें बढ़ने का संकेत दे रहे हैं।

साथियों, ऐसे अर्थशास्त्रियों को ये भी तो विचार करना चाहिए कि हमारे अन्नदाता, हमारे किसान के प्रति हमारा दायित्व क्या होना चाहिए? मुझे लगता है किकिसानों की आय बढ़ाने से जुड़े हर फैसले का हमें समर्थन करना चाहिए और सरकार इस प्रयास में आय के स्रोत चिह्नित करे, तो नि:संकोच अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए।

साथियों, सरकार ने पिछले तीन वर्षों में ईमानदारी को Institutionalise करने का काम किया है। तकनीक के माध्यम से व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाया जा रहा है, लीकेज रोकी जा रही है।

  • DBT के जरिए सरकार ने 57 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचाए हैं।
  • दो लाख से ज्यादा संदिग्ध कंपनियों का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया गया है। इन कंपनियों के डायरेक्टर्स के अकाउंट भी फ्रीज कर दिए गए हैं और इनके किसी और कंपनी में डायरेक्टर बनने पर भी रोक लगा दी गई है।

यहां, इस अवसर पर मैं देश के उद्योग जगत, हर सेक्टर के लोगों, हर प्रोफेशनल से एक आग्रह करना चाहता हूं। देश की वर्तमान आवश्यकता क्या है, भविष्य की जरूरत क्या है, उस अपने back of the mind में हमेशा बनाकर रखिए।

एक अपील मैं ये भी करना चाहता हूं कि विभिन्न Financial institutions में नियम और नीयत यानि Ethics बनाए रखने का दायित्व जिन्हें दिया गया है वो पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाएं। विशेषकरजिन्हें निगरानी और मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

मैं स्पष्ट करना चाहूंगा, कि ये सरकार आर्थिक विषयों से संबंधित अनियमितताओं के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करेगी। जनता के पैसे का अनियमित अर्जन, इस सिस्टम को स्वीकार नहीं होगा।  यहीNew Economy –New Rule का मूल मंत्र है।

साथियों, यहां New Economy की बात हो रही है। मैंने यहां हो रहे अलग-अलग सेशंस के बारे में जानकारी ली तो एक विचार मुझे भी आया। ये विचार है देश की अर्थव्यवस्था से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। मुझे लगता है कि इस तरह के कार्यक्रमों में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने पर जो Positive Economic Impact देश पर पड़ेगा, उसकी भी चर्चा होनी चाहिए।

ये विषय सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है। विदेशी कंपनियां भी तो इससे प्रभावित होती हैं। Investment भी तो इससे प्रभावित होता है। कई देशों में चुनावों का समय, महीना और दिन तक तय होता है। वहां के देशों में औद्योगिक विकास का इस पर क्या असर पड़ता है, इस पर भी चर्चा की जा सकती है।

भारत का आर्थिक विकास, भारत में गुड गवर्नेंस के निरंतर प्रयास, भारत में वैश्विक मानदंडों को पाने वाली नीतियां और कार्यक्रम, विश्व के साथ आर्थिक और व्यापारिक भागीदारी के संबंध में व्यापक सहमति के प्रयास, Science, Technology, Innovation के केंद्र में sustainable development को प्राथमिकता, ये सारी बातें पूरे विश्व को समझ आ रही हैं, भारत की ओर आकर्षित कर रही हैं।

आधुनिक परिवेश, नए ग्लोबल सिनेरियो में भारत फ्रंटलाइन फोर्स बन सकता है, technology के मामले में, innovation के मामले में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है।

हम में वो सामर्थ्य है, हमारे पास वो संसाधन हैं, कि हम न्यू इंडिया के सपने को सच कर सकते हैं। और हमारा विकास, सिर्फ हमारा नहीं होगा, वो पूरे विश्व में समृद्धि लेकर आएगा।

आइए, अपने समक्ष मौजूद हर चुनौती को अवसर में बदलकर, हम न्यू इंडिया का निर्माण करें, अपने संकल्प को सिद्ध करें।

एक बार फिर आप सभी को इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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