नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को भारत सरकार में कार्यरत 80 से अधिक अतिरिक्त सचिवों एवं संयुक्त सचिवों के एक समूह से मुलाकात एवं बातचीत की। इस तरह की पांच बैठकों की श्रृंखला में यह दूसरी बैठक थी।
बातचीत के दौरान अधिकारियों ने अपने अनुभवों को कार्यनिष्पादन पर आधारित प्रशासन, शासन में नवाचार, अपशिष्ट प्रबंधन, नदी और पर्यावरण प्रदूषण, वन, स्वच्छता, जलवायु परिवर्तन, कृषि, शिक्षा और कौशल विकास में मूल्य वृद्धि जैसे विषयों पर अपने अनुभव साझा किए।
अधिकारियों द्वारा किए गए अवलोकनों का जवाब देते हुए, प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अधिकारियों को खुद को सिर्फ फाइल तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि निर्णय लेने के वास्तविक प्रभाव को समझने के लिए क्षेत्र में जाना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने 2001 में हुए गुजरात भूकंप के बाद पुनर्निर्माण के अनुभवों को अधिकारियों के साथ साझा किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को अपने काम को सिर्फ एक कर्तव्य के रूप में नहीं देखना चाहिए बल्कि इसे देश में शासन के लिए एक सकारात्मक परिवर्तन के अवसर के रुप में देखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने उनसे शासन प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का आग्रह किया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे भारत के 100 सबसे पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करें जिससे की उन जिलों को विकास के विभिन्न मानकों पर राष्ट्रीय औसत स्तर पर लाया जा सके।