नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तालकटोरा स्टेडियम में स्कूल और कॉलेज के छात्रों से बातचीत की। कार्यक्रम में लगभग 2300 स्कूल और कॉलेज छात्रों सहित अध्यापकों और प्रधानाध्यापकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज परीक्षा संबंधी विषयों पर छात्रों के साथ एक ‘टाउन हॉल’ सत्र में बातचीत की। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों के प्रश्नों के जवाब दिये। छात्रों ने विभिन्न टेलिवीजन समाचार चैनलों, नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप और माय-गव प्लेटफार्म के जरिये भी उनसे सवाल पूछे।
संवाद की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वे छात्रों, उनके माता-पिता और उनके परिवार का मित्र होने के नाते ‘टाउन हॉल’ सत्र में आए हैं। उन्होंने कहा कि वे विभिन्न मंचों के जरिये देशभर के 10 करोड़ लोगों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने अपने अध्यापकों को याद करते हुए कहा कि उनके अध्यापकों ने उनमें ऐसे मूल्यों का निरूपण किया, जिससे उनके भीतर का छात्र आज भी जीवित है। उन्होंने सबका आह्वान किया कि वे अपने अंदर के छात्र को जीवित रखें।
2 घंटे चले इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री ने कई तरह के सवालों के जवाब दिए, जिनमें घबराहट, चिंता, एकाग्रता, दबाव, मातापिता की आकांक्षा और अध्यापकों की भूमिका जैसे प्रश्न शामिल थे। उन्होंने अपने उत्तर में हाजिर जवाबी के साथ तरह-तरह के उदाहरण दिए।
उन्होंने आत्मविश्वास के महत्व को रेखांकित करने तथा परीक्षा के दबाव और चिंता के मद्देनजर स्वामी विवेकानंद का उदाहरण दिया। उन्होंने कनाडा के स्नोबोर्डर मार्क मैकमॉरिस का उदाहरण देते हुए कहा कि 11 महीने पूर्व उन्हें घातक चोट लगी थी और उनका जीवन खतरे में पड़ गया था, जिसके बावजूद उन्होंने शीतकालीन ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता है।
एकाग्रता के विषय में प्रधानमंत्री ने महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की सलाह को याद किया जिसका जिक्र रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में किया गया था। तेंदुलकर ने कहा था कि खेलते समय वे केवल उसी गेंद पर विचार करते थे, जो सामने होती थी। पिछली और अगली गेंदों के बारे में नहीं सोचते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग से एकाग्रता में सुधार होता है।
साथियों के दबाव के संबंध में प्रधानमंत्री ने ‘प्रतिस्पर्धा’ (दूसरों के साथ स्पर्धा) के बजाय ‘अनुस्पर्धा’ (अपने आप से स्पर्धा) के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए पिछले कार्य से बेहतर काम करना चाहिए।
हर माता-पिता बच्चों के लिए कुर्बानी देते हैं। इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की उपलब्धियों को सामाजिक प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। उन्होंने कहा कि हर बच्चे के पास कोई न कोई अनोखी प्रतिभा होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आईक्यू (बौद्धिक कौशल) और ईक्यू (भावनात्मक कौशल), दोनों का छात्र जीवन में बहुत महत्व होता है।
समय के समायोजन के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों के लिए पूरे साल की कोई समय सारणी या कोई टाइम-टेबल व्यवहारिक नहीं होता। आवश्यकता है कि लचीला रुख अपनाते हुए समय का पूरा उपयोग किया जाए।
इस अवसर पर उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि परीक्षा एक गैर–राजनीतिक विषय है और यह स्कूलों और कॉलेजों तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन से संबंधित है, क्योंकि जीवन की हर चुनौती एक परीक्षा होती है। उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह सबसे जुड़ा हुआ है। हमें परीक्षा के दबाव के प्रति सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए और परीक्षाओं को उत्सवों के तौर पर लेना चाहिए।
मंत्री महोदय ने प्राथमिक से उच्च अध्ययन संबंधी आमूल शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन और मिशन की सराहना की। श्री जावड़ेकर ने कहा कि संपूर्ण शिक्षा प्रणाली के ढांचे में बदलाव करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए मंत्रालय ने परिणामोन्मुख शिक्षण का विकास किया है। उन्होंने आगे कहा कि उच्च शिक्षा में नवाचार का उद्देश्य देश में शोध को समर्थन देना है। श्री जावड़ेकर ने यह भी बताया कि शिक्षा में संरचना एवं प्रणालियों के पुनर्जीवन के लिए बजट में 1,00,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे अनुसंधान और संबंधित संरचना में निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो योजना के जरिये देश में बेहतरिन प्रतिभाओं को आकर्षित करके शोध की गुणवत्ता सुधारने में सहायता होगी। मंत्री महोदय ने कहा कि ‘ब्रेन-गेन’ को प्रोत्साहित करने के लिए उच्च प्रोद्योगिकी अनुसंधान प्रयोगशालाएं विकसित की जा रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रिय विद्यालय संगठन के छात्रों ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पोस्टर प्रदर्शनी और भित्ति-लेखन का भी अवलोकन किया तथा छात्रों से बातचीत की।
इस अवसर पर विधि एवं न्याय तथा इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद; स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे पी नड्डा; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं भू-विज्ञान और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन; पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह; राज्य मंत्री (उच्च शिक्षा) श्री सत्यपाल सिंह तथा राज्यमंत्री (स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता) श्री उपेन्द्र कुशवाहा; संसद सदस्य सुश्री मीनाक्षी लेखी सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।