नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल मिजोरम में 60 मेगावॉट की ट्युरिअल जलविद्युत परियोजना राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस अवसर पर मिजोरम के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल(सेवानिवृत) निर्भय शर्मा, मिजोरम के मुख्यमंत्री श्री लल थनहवला,केंद्रीय केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और केंद्रीय विदयुत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री( स्वतंत्र प्रभार) श्री आर के सिंह भी उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री इस अवसर पर “माईडोनर एप” का शुभारंभ करेंगे और आईजोल में आयोजित एक कार्यक्रम में स्टार्टअप उद्यमियो को चैक वितरित करेंगे।
ट्युरिअल जलविद्युत परियोजना का निर्माण केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में किया गया है। इसका क्रियान्यवन विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत पूर्वोत्तर इलेक्ट्रिक पॉवर कार्पोरेशन(नीपको) द्वारा किया गया है।
आर्थिक मामलों पर मंत्रीमंडलीय समिति(सीसीईए) ने जुलाई 1998 में परियोजना के क्रियान्यवन को अनुमति प्रदान की थी और जुलाई 2006 में इसके पूरा होने का समय निर्धारित किया था। जून,2004 में परियोजना का तीस प्रतिशत कार्य पूरा होने के बाद स्थानीय आंदोलन के कारण काम को पूर्ण रूप से रोकना पड़ा।निपको के सतत प्रयासो और विद्युत तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय,केंद्र और मिजोरम सरकार के सक्रिय सहयोग से जनवरी, 2011 में परियोजना में फिर से काम की शुरूआत हुई।
परियोजना में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा इनमें दुर्गम क्षेत्र, दूरसंचार के आधारभूत ढांचे की कमी,मिट्टी की कमजोर स्थिति के कारण पावर हाउस का बड़ा स्तर पर सफल न होना और कुशल मानव संसाधन उपलब्ध न होना आदि प्रमुख थी। इसके कारण परियोजना को पूरा करने में अधिक समय लगा। लेकिन सभी संबधित एंजेसियों के प्रयासों के चलते परियोजना का काम सफलतापूर्वक पूरा हुआ औऱ 25-8-2017 को पहली इकाई और 28-11-2017 को दूसरी इकाई की शुरूआत हुई।
इस परियोजना का क्रियान्वयन नीपको द्वारा किया गया। इसमें भारत हैवी इलेक्ट्रिक लिमिटेड द्वारा ऊर्जा उपकरणों की आपूर्ति और स्थापना,मैसर्स पटेल इंजीनियरिंग द्वारा प्रमुख भूमि कार्य और मैसर्स सो-पीईएस- ट्युरिअल कंसोर्टियम द्वारा जल-यांत्रिकी कार्य किया गया। परियोजना का निर्माण 1302 करोड़ रूपए की लागत से किया गया है।
यह परियोजना मिजोरम में स्थापित सबसे बड़ी परियोजना है और इससे उद्पादित बिजली राज्य को दी जाएगी। इससे राज्य का संपूर्ण विकास और केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी और प्रमुख कार्यक्रम “सभी को सातों दिन चौबीसों घंटे किफायती स्वच्छ ऊर्जा” के लक्ष्य को पूर्ण किया जा सकेगा।
राज्य में बिजली की मौजूदा मांग केवल 87 मेगावाट है और इसकी पूर्ति राज्य की लघु बिजली परियोजनाओं और केन्द्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं में उसके अपने हिस्से की बिजली की उपलब्धता के जरिए हो रही है। परियोजना से अतिरिक्त 60 मेगावाट बिजली प्राप्त होने के साथ ही मिजोरम राज्य अब सिक्किम और त्रिपुरा के बाद पूर्वोत्तर भारत का तीसरा विद्युत-अधिशेष राज्य बन जाएगा। बिजली में आत्मनिर्भरता हासिल करने के अलावा इस परियोजना से मिजोरम राज्य को कुछ अतिरिक्त लाभ हासिल होंगे जिनमें रोजगार सृजन, नौवहन, जलापूर्ति, मत्स्य पालन एवं वन्य जीव-जंतु का संरक्षण, पर्यटन, इत्यादि शामिल हैं।