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फतेहपुर सीकरी

Fatehpur Sikri
पर्यटन

“यह लाल बालुई पत्थर में बना एक विशाल निर्माण है जिसे मुग़ल बादशाह अकबर ने 1572-1585 में बनवाया था। कहा जाता है कि संतानहीन अकबर सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के पास संतान कामना की प्रार्थना करने गए थे, और पुत्र पैदा होने के बाद अकबर ने अपनी राजधानी वहीं बनवाई और इसका नाम फतेहपुर सीकरी रखा। बाद में पानी की कमी और उत्तर-पश्चिम में अशांति फैलने के कारण अकबर को इसे छोड़ना पड़ा। “

आज भी शेख सलीम चिश्ती का मकबरा ज्यादा तादाद में पर्यटको को आकर्षित करता है यहाँ स्थित स्थलों में जिनमे से दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, बुलंद दरवाजा, पंचमहल, जोधाबाई का महल, पचीसी दरबार और बीरबल का निवास प्रमुख है।

कहा जाता है कि मुग़ल राजा अकबर की कई पत्नियाँ थीं लेकिन उनका कोई वंशज नहीं था, और संतान के रूप में एक पुत्र की इच्छा में वह कई संतों के पास गए, जिनमे सूफी संत शेख सलीम चिश्ती भी थे। यह संत सीकरी के निकट एक दूर दराज स्थित गुफा में रहते थे। अकबर के आने पर उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया, जिसके बाद अकबर को 1569 में एक पुत्र प्राप्त हुआ। अकबर ने इस पुत्र का नाम संत के नाम पर सलीम रखा, और संत के ठिकाने के पास एक भव्य जामा मस्जिद का निर्माण करवाया। इस मस्जिद के पश्चिम में दो कब्रें हैं, जिनमे से एक उस संत की है और दूसरी उसके नवजात शिशु की।

अकबर ने तत्पश्चात उस संत की याद में एक भव्य नगर के निर्माण का निर्णय लिया और इस तरह फतेहपुर सीकरी का निर्माण हुआ। यह नगर एक पत्थर की पहाड़ी के किनारे पर स्थित है, और इसके भीतर विशाल आँगन, महल, मस्जिदें और बगीचे हैं, जिनकी भव्यता दिल्ली और आगरा को टक्कर देती है।

आज कई वर्ष बीत जाने के बाद भी इस शहर की भव्यता में कमी नहीं आई है। इसके विशाल आँगन, बरामदे और दरबार उसी स्थिति में संरक्षित हैं और इसके निर्माणकर्ता की दूरदर्शिता का उदाहारण है। इसमें स्थित प्रमुख स्मारकों में रंग महल, कबूतरखाना, हाथी पोल, संगीन बुर्ज, हिरन मीनार और कारवां सराय प्रमुख हैं।

फतेहपुर सीकरी की इमारतों को दो भागों में बांटा जा सकता है, एक धार्मिक कार्यकलापों से जुड़ी इमारतें और दूसरी सामान्य। धार्मिक स्थलों से जुड़ी ईमारत में प्रमुख है विशाल जामा मस्जिद और भव्य बुलंद दरवाजा, जो 176 फिट ऊँचा द्वार है। इस दरवाजे का निर्माण वर्ष 1602 में अकबर के दक्षिण भारत के राज्यों पर विजय के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। इस दरवाजे पर कुरान की आयतों को बड़े अरबी अक्षरों में उकेरा गया है। शेख सलीम चिश्ती की दरगाह सफ़ेद संगमरमर में बनी है और इसका निर्माण 1581 में पूरा हुआ था। यहाँ देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं और मज़ार के दर्शन करते हैं, संत की महिमा में प्रार्थना करते है और यहाँ की नक्काशीदार खिड़कियों में लाल धागा बांधते हैं। विशेष तौर पर यहाँ संतान प्राप्ति की कामना की जाती है। संत की पुण्य तिथि पर एक भव्य उर्स का आयोजन किया जाता है, जहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।

दूसरे प्रकार की इमारतों में प्रमुख हैं दीवान-ए-ख़ास, जोधाबाई का महल, मरियम महल, बीरबल का निवास, तुर्की सुल्ताना का निवास तथा पंचमहल, जो विभिन्न प्रकार की वस्तुकालाओं का नमूना हैं। पंचमहल एक पांच मंजिल की ईमारत है जिसमे खम्भों पर बना प्रत्येक मंजिल का कमरा नीचे वाली मंजिल के कमरे से आकार में छोटा है। यह पूरी ईमारत 176 नक्काशी दार खम्भों पर खड़ी है और इसका उपयोग शाही हरम में रहने वाली महिलाओं के विलास और मनोरंजन के लिए किया जाता था।

जोधाबाई के महल की ओर जाने वाले मार्ग पर अन्य इमारतों में ख्वाबगाह, अनूप तालाब, आबदार खाना, पचीसी दरबार, आँख मिचोली (जहां अकबर अपने हरम की महिलाओं के साथ छुपा-छिपी का खेल खेलते थे, और इसे बाद में शाही खजाने में तब्दील कर दिया गया), ज्योतिषी का कमरा, दफ्तर खाना, इबादतखाना और हरमसारा प्रमुख हैं।

दरगाह-ए-शेख सलीम चिश्ती

दरगाह-ए-शेख सलीम चिश्ती

कई लोगों का मानना था कि चिश्ती चमत्कार कर सकते थे। इसलिए मुग़ल सम्राट अकबर पुत्र संतान की प्राप्ति की चाह में रेगिस्तान की गहराई में स्थित चिश्ती के निवास तक पहुँच गए। जल्द ही, चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर को तीन पुत्रों की प्राप्ति हुई। चिश्ती के आदर में अकबर ने अपने प्रथम पुत्र का नाम सलीम (जहाँगीर) रखा। शेख सलीम चिश्ती की पुत्री सम्राट जहाँगीर की पालक माँ थी। जहाँगीर अपनी पालक माँ के बहुत करीं था जो कि जहांगीरनामा के जरिये स्पष्ट रूप से पता लगता है। साथ ही, जहाँगीर अपनी पालक माँ के पुत्र कुतुब-उद-दीन खान कोका के भी काफी करीब थे जिसे उसने बाद में बंगाल का राज्यपाल बना दिया था।

चिश्ती के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए अकबर ने चिश्ती की दरगाह के समीप एक महान शहर का निर्माण किया जहाँ बाद में मुग़ल दरबार और दरबारी स्थानांतरित कर दिये गए थे। हालांकि, कुछ सालों के भीतर ही पानी की किल्लत के कारण शहर को छोड़ दिया गया था। परंतु आज भी यह शहर अच्छी हालत में है तथा यह भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है।

 

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