फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने शुक्रवार को कहा कि उनके देश के निवासी वॉशिंगटन की ओर से प्रस्तावित किसी शांति प्रस्ताव को अब स्वीकार नहीं करेंगे.
अब्बास ने कहा कि अमेरिका ने साबित कर दिया है कि वो शांति प्रक्रिया में एक बेईमान मध्यस्थ है और अब उनका देश अमेरिका की किसी योजना को स्वीकार नहीं करेंगे. अब्बास ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से मुलाकात के बाद ये टिप्पणी की.
अब्बास ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस धमकी की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने येरुशलम संबंधी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने वाले देशों को अनुदान में कटौती की धमकी दी थी.
वहीं गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में इस प्रस्ताव से जुड़े वोटिंग में 128 देशों ने पक्ष में मतदान किया, जबकि 35 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया. 9 देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में अपने मत का इस्तेमाल किया.
महमूद अब्बास ने मतदान के परिणाम को फलस्तीन की जीत करार दिया.
येरुशलम पर संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि ये मुद्दा इज़रायल और फलस्तीन के बीच वार्ता के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. साथ ही कोई भी सदस्य देश येरुशलम में अपना दूतावास नहीं खोलेगा जिसपर ट्रंप ने कहा था कि भविष्य में ऐसा करने का अमेरिका का प्लान है.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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