दुनियाभर में फेमस हॉरर फिल्म ‘द कान्जरिंग’ श्रृंखला की नई कड़ी ‘एनाबेल: क्रिएशन’ जल्द ही रिलीज होने जा रही है. निर्देशक डेविड एफ. सैंडबर्ग की फिल्म ‘एनाबेल: क्रिएशन’ भारत में 18 अगस्त को रिलीज होगी. वार्नर ब्रदर्स पिक्चर्स भारत में यह फिल्म चार भाषाओं, अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगू में रिलीज कर रहा है. इस फिल्म को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है. वजह बेहद ही साफ है क्योंकि इस श्रृंखला की सभी फ़िल्में दर्शकों बेहद पसंद आई थी. ऐसे में अब इस श्रृंखला की इस चौथी फिल्म’ से भी लोगों को काफी उम्मीदें हैं.
लेकिन क्या आपको पता है कि एनाबेल एक रियल भूतियां गुडियां की कहानी है. जिस पर फिल्म ‘द कान्जरिंग’ का निर्माण हुआ था. यह डॉल आज भी वारेन के ओकलट म्यूज़ियम में, एक शीशे के शोकेस मे रखी हुई है और शोकेस के ऊपर इसे ना खोलने कि चेतावनी भी लिखी हुई है. एड और लॉरेन वारेन के अनुसार इस डॉल की शैतानी ताकते अभी भी जिन्दा है यदि इसे इस बॉक्स से बाहर निकाला तो ये फिर से सक्रीय हो जाएंगी. इस पूरी कहानी की शुरुवात होती है 1970 से. डोना के जन्मदिन पर उसी मां उसके लिए एक गुड़िया लेकर आती हैं. लेकिन इन दोनों को इस बात का अंदाजा नहीं होता है कि ये गुड़िया इनके लिए कितनी बड़ी मुसीबत बनने जा रही हैं. कुछ दिनों बाद डोना को डरावना सा अनुभव होने लगता है. वो देखती है कि गुडिया अपने आप मूव करती है. डॉल कभी दूसरे कमरे में, कभी सोफे और कभी कुर्सी पर मिलती है. यहां तक की कमरा बंद होने के बावजूद डॉल अपनी जगह बदल लेती है।
जिसके बाद डोना और उसकी दोस्त को घर के कमरों से चम़डे के कागज पर एक संदेश मिलने लगता है जिस पर “हेल्प मी” लिखा होता है. लेकिन समझ नहीं पाते कि उनके साथ क्या हो रहा है. एक रात उन्हें डॉल की पीठ और सीने पर खून की बुंदे दिखाई देती है. जिसके बाद उन्हें अंदाजा हो जाता है की कुछ गलत है. वो इसके बाद एक पादरी फादर कुक तथा तांत्रिक वारेन को बुलाते है जो इस हॉन्टेड डॉल पर मंत्रों का प्रयोग कर उसे एक कांच के शोकेस में बंद कर देते है. शोकेस को मंत्रों द्वारा बांध दिया जाता है ताकि शैतानी आत्मा फिर से बाहर नहीं आ सके. आज भी यह गुडिया उसी शोकेस में रखी हुई है जहां आने जाने वाले लोग उसे बाहर से देख सकते हैं लेकिन उन्हें उस गुडिया को अथवा उसके शोकेस को छूने की इजाजत नहीं है.