जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजस्थान सरकार को बजरी की जगह दूसरा विकल्प तलाशना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि विदेशों में भी तो मकान बनते हैं, वे कैसे बनते हैं, राज्य सरकार इसे देखे और बजरी का दूसरा विकल्प तलाशे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी बजरी खनन पर लगी रोक हटाने से इनकार करते हुए की। शीर्ष अदालत ने बजरी खनन की मौजूदा प्रणाली को गलत बताते हुए कहा कि इससे खनन माफिया पैदा हो रहे हैं और लोगों की जान जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने यह टिप्पणी सोमवार को नवीन शर्मा राज्य सरकार और एक एनजीओ के अध्यक्ष आनंद सिंह जोड़ी की एसएलपी पर सुनवाई के दौरान की।
राज्य सरकार ने प्रार्थना पत्र पेश कर कोर्ट से 10 ऐसी खानों में खनन की मंजूरी देने का आग्रह किया जिन्हें पर्यावरण से स्वीकृति मिल चुकी है। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति तो पिछली सुनवाई पर भी थी। कोर्ट ने 6 सप्ताह में नदियों में नई बजरी पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
नोटिफिकेशन को नई याचिका में चुनौती दें : कोर्ट
सुनवाई में अधिवक्ता डॉ. सुरेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार ने बजरी खनन का एक नया रास्ता निकालने के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नोटिफिकेशन के जरिए सरकार खातेदारी भूमि में बजरी के 100 टर्म परमिट देने जा रही है। इसलिए इस नोटिफिकेशन की क्रियान्विति पर भी रोक लगाई जाए। कोर्ट ने कहा कि प्रार्थी इसे नई याचिका के जरिए चुनौती दे।
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