लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ( बसपा) के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज आज समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गये।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में सरोज सपा में शामिल हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राज में देश में अघोषित आपातकाल है, वैसा ही हाल मायावती की कमान में बसपा के अंदर है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि सपा में बोलने, उठने, बैठने की आजादी है। वह बिना किसी शर्त के सपा में शामिल हो रहे हैं। वह दलितों और दबे-कुचलों के संघर्ष को आगे बढ़ाएंगे और हर विधानसभा क्षेत्र में जाकर भाजपा की पोल खोलेंगे।
चार बार विधायक रह चुके पूर्व बसपा नेता ने कहा ‘‘हम सपा के सभी नेताओं को आश्वस्त करते हैं कि हम इतनी मेहनत करेंगे कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में फिर से अखिलेश की सरकार बने। वैसे, उससे पहले हम 2019 में इसका ट्रेलर दिखाएंगे। प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने शुरूआती छह महीने में कोई काम नहीं किया। वह दूसरों के विषय में ही बात कर रही है। वे जनता को आगे भी ठगना चाहेंगे।’’ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मौके पर कहा कि वह सदन में गरीबों, दलितों, पिछड़ों और मजलूमों की आवाज को पहुंचाने और लगातार जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरोज और उनके तमाम साथियों का पार्टी में स्वागत करते हैं।
उन्होंने कहा कि सपा में आज शामिल हुए लोग इस पार्टी को अपना घर समझें। यहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है और यहां वे अपनी बात रख सकते हैं। वे जिन मूल्यों के लिये संघर्ष करते रहे, इस पार्टी में भी वे उनके लिये जद्दोजहद करके लोगों को न्याय दिला सकते हैं।
अखिलेश ने कहा कि आने वाले समय में जब कभी कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम होगा तो सही मायने में देखा जाएगा कि उत्तर प्रदेश की जनता किस तरफ जा रही है। हमें भरोसा है कि हमारे नये साथी देश में नया उदाहरण पेश करेंगे। वे गरीबों दलितों को न्याय दिलाने का काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आखिर में लड़ाई तो समाजवादियों को ही लड़नी है। इतना काम होना बाकी है। मुकाबला ऐसे लोगों से हैं जिनके पास भ्रामक मुद्दे हैं। पता नहीं चुनाव आते आते कौन सा मुद्दा निकाल दें।
सरोज बसपा के महत्वपूर्ण नेताओं में शामिल रहे हैं और वह पासी उपजाति के हैं, जिनकी संख्या उत्तर प्रदेश की दलित आबादी में 15 फीसदी है।
बसपा के एक नेता ने हालांकि सरोज को अवसरवादी करार दिया और कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती की वजह से सरोज जैसे लोग नेता बने पाये थे।
बसपा में बगावत करने वाले नेताओं की लंबी सूची है। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, ब्रजेश पाठक और आर के चौधरी जैसे मायावती के करीबी लोगों ने बसपा छोड दी।
मौर्य और पाठक विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गये थे और इस समय वे योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं। चौधरी और सिद्दीकी अब तक किसी अन्य दल में शामिल नहीं हुए हैं।