नई दिल्लीः राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (आईएनसीओआईएस) के सहयोग से गृह मंत्रालय ने आज देश के सम्पूर्ण पूर्वी समुद्र तट पर सुनामी तैयारी को लेकर एक बहुराज्यीय मेगा मॉक अभ्यास का संचालन किया।
यह अभ्यास 4 राज्यों – पं.बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु औऱ केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी के 35 तटीय जिलों में एक साथ किया गया। इस अभ्यास का उद्देश्य शुरूआती चेतावनी को बेहतर बनाने तथा उच्च तीव्रता वाली सुनामी के प्रभाव को कम करने के लिए प्रतिक्रिया तंत्र का मूल्यांकन करना था।
एनडीएमए के विशेषज्ञों ने राज्यों की राजधानी केन्द्रों से इस अभ्यास का नेतृत्व किया और प्रतिभागियों को दिन के कार्रवाई की जानकारी दी। अभ्यास के परिदृश्य के लिए 9.30 बजे सुबह अंडमान और द्वीपो के निकट एक उच्च तीव्रता की सुनामी का प्रतिरूपण किया गया। कुछ क्षणों के पश्चात ही भारतीय सुनामी प्रारम्भिक चेतावनी केन्द्र (आईटीईडब्ल्युसी), आईएनसीओआईएस ने पूर्वी तट के लिए ईमेल, फैक्स व एसएमएस के माध्यम से एक गंभीर सुनामी आपदा की सूचना जारी किया। इसने अपनी वेबसाइट पर विस्तृत बुलेटिन भी जारी किया।
दो घंटे की प्रतिक्रिया अवधि की सूचना दी गई जिसके अंतर्गत पूरी राज्य मशीनरी का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल इस तरह से किया गया कि सुनामी के प्रभाव को कम से कम किया जा सके।
एक घंटे से भी कम समय में राज्य आपात संचालन केन्द्र (एसईओसी) सक्रिय हो गए। मशीनरी को प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार किया गया, समुदायों को चेतावनी जारी की गई। जोखिम वाले क्षेत्रों से बाहर निकालने के निर्देश जारी किए गए, इंसीडेंट कमांडरो के अंतर्गत बचाव दलों का गठन किया गया और उन्हें स्टैंडबाइ के तौर पर रखा गया।
विभिन्न एजेंसियो जैसे ट्रैफिक नियंत्रण, अग्निशमन विभाग, एंबुलेंस, पुलिस, तटरक्षक, सिविल प्रतिरक्षा और समुदाय के हितधारको की सहायता से जोखिम वाले क्षेत्रों से बाहर निकालने का अभ्यास पूरा किया गया।
सुनामी के तट पर पहुंचने की कृत्रिम स्थिति निर्माण के पश्चात हेलीकॉप्टरों और विमानों की उडानों के पश्चात दी गई सूचना तथा प्रभावित जिलों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर एसईओसी ने क्षति का आकलन किया। इससे प्रशासन को क्ष्ोत्र विशेष की प्राथमिकता तय करने में मदद मिलेगी जहां बचाव दल और सहायता सामग्री भेजे जाने हैं।
प्रशांत महासागर क्षेत्र के 11 द्वीप देशों के प्रतिनिधियों ने इस पूरे अभ्यास को गंभीरता से देखा। उनकी सहभागिता एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत है जिससे वे आपदा स्थितियों में अपने संगठनों की तैयारी को बेहतर बना सके।
अभ्यास के पश्चात एनडीएमए के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम की समीक्षा की जिसमें सभी अधिकारियो ने भाग लिया। दोषों पर विस्तृत चर्चा की गई और भाग लेने वाली एजेंसियों और अधिकारियों के मध्य समन्वय बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की गई।
प्रारम्भिक रिपोर्टों और समीक्षाओं के अनुसार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेश की प्रतिक्रिया-तैयारी प्रभावी और उत्साहजनक थी। समीक्षा की विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद इन आपदाओं के लिए राहत और बचाव कार्यों को बेहतर बनाने में सहायता मिलेगी।
यह कार्यक्रम 5 नवंबर को मनाए जाने वाले दूसरे विश्व सुनामी जागरूकता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में से एक है। इसकी शुरूआत 8 नवंबर को आयोजित अनुकूलन सम्मेलन के साथ हुई, ताकि इस अभ्यास का संचालन सुचारू रूप से किया जा सके। इसके पश्चात विभिन्न राज्य आपदा स्थिति संचालन केन्द्रों (एसईओसी) पर समन्वय सम्मेलन और बैठकें आयोजित की गई और इसमें सभी संबंधित जिलों ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए भाग लिया।
सुनामी एक अत्यधिक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा है और जब यह पैदा होती है तो प्रतिक्रिया समय सीमित होता है। इसके लिए दो घंटे के प्रतिक्रिया समय का निर्धारण किया गया था। यह अभ्यास महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का पूर्वी समुद्र तट पर चक्रवात और सुनामी के दृष्टिकोण से अतिसंवेदनशील है। 2004 के हिंदमहासागर सुनामी के कारण यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ था। यह अभ्यास राज्यों को उनके संसाधनों, प्रक्रियाओं और योजनाओं को अद्यतन बनाने में बहुत मदद करेगा।