नई दिल्लीः बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रवार तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) के सदस्य देशों की इस सप्ताह नई दिल्ली में क्षेत्र में तटीय जहाजरानी को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए बैठक हुई। 27 एवं 28 नवम्बर को कार्य समूह की इस पहली बैठक में सदस्य देशों ने भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय द्वारा बनाए गए बिम्सटेक तटीय जहाजरानी समझौते के प्रारूप के ढांचे पर चर्चा की।
उपरोक्त समझौते का उद्देश्य क्षेत्र में तटीय जहाजरानी को सुगम बनाना है, जिससे कि सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार को प्रोत्साहन मिल सके। यह समझौता तटीय जहाजरानी, अर्थात तट से 20 नौटिकल माइल्स के भीतर जहाजरानी पर लागू होगा। सामुद्रिक क्षेत्र के इस हिस्से में पोतों की आवाजाही के लिए आवश्यकता गहरे समुद्र की जहाजरानी की मानक आवश्यकताओं से अलग है। तटीय जहाजों की आवाजाही के लिए छोटे पोतों तथा छोटे ढांचों की आवश्यकता होती है, इसलिए उन पर लागत भी कम आती है। जैसे ही यह समझौता सदस्य देशों द्वारा अंगीकार कर लिया जाएगा तथा संचालनगत हो जाएगा, सदस्य देशों के बीच बड़ी संख्या में मालवाहक जहाजों (कार्गो) की आवाजाही किफायती, पर्यावरण अनुकूल तथा तीव्र तटीय जहाजरानी रास्तों के जरिए संभव हो जाएगी।
कार्य समूह की बैठक क्षेत्र में आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए अक्टूबर 2016 में गोवा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आयोजित रिट्रीट में बिम्सटेक नेताओं की अपील की आगे की कार्यवाही है। भारत परिवहन एवं संचार में सहयोग के मामले में बिम्सटेक का अग्रणी देश है। बिम्सटेक के अन्य सदस्य देशों में बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड एवं नेपाल शामिल हैं। भारत सरकार के जहाजरानी मंत्रालय का प्रतिनिधित्व निदेशक श्री अभिषेक चन्द्रा द्वारा किया गया।
7 comments