देहरादून: सदस्य नीति आयोग रमेश चन्द्र की अध्यक्षता में बीजापुर अतिथि गृह में उत्तराखण्ड राज्य में कृषि एवं बागवानी, सगन्ध पादप, रेशम विकास विषयक मुद्दों पर बैठक हुई, जिसमें प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर कृषि एवं बागवानी, रेशम व सगन्ध पादप गतिविधियों के सुदृढ़ीकरण हेतु विभागाध्यओं द्वारा कार्यक्रमों/योजनाओं का प्रस्तुतीकरण किया गया।
सदस्य नीति आयोग रमेश चन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में 60 प्रतिशत लोग खेती पर निर्भर हैं, जिनके हितों को ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का सन 2022 तक किसानों की आमदनी दुगुनी करने के संकल्प को पूरा करने के लिए नीति आयोग द्वारा पर्याप्त सम्भावनाओं पर विचार किया जा रहा है, जिसकी कड़ी में आज उत्तराखण्ड में कृषि बागवानी, संगध पौध, रेशम उत्पादन विषयक चर्चा हुई।
सदस्य नीति आयोग ने कहा कि पहाड़ों से पलायन होने से कृषि क्षेत्र घटा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में किसानों के आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए यहाँ लो वैल्यू क्राॅप से हाई वैल्यू क्राॅप में बदलने की योजना से कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पहाड़ में क्षेत्र विशेष की प्रकृति को ध्यान में रखकर क्लस्टर में कृषि/उद्यान गतिविधियाँ संचालित करने की आवश्यकता है। उन्होंने बैठक में हुई चर्चा में कार्रवाई योग्य बिन्दुओं पर नीति आयोग द्वारा बेहतर सहयोग दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप अन्य 11 पहाड़ी राज्यों के मदद के मानकों के निर्धारण की आवश्यकता पर बल दिया तथा इसके लिए अलग से बैठक बुलाने की जानकारी दी।
कृषि मंत्री उत्तराखण्ड सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में कृषि विकास की पर्याप्त सम्भावनाएं हैं। उन्होंने सदस्य नीति आयोग के संज्ञान लाया, कि यहाँ कृषि क्षेत्र कम होने का कारण पलायन भी है। छोटी-छोटी जोत एवं सीढीनुमा खेतों के कारण किसानों को मेहनत के अनुपात में कृषि कमाई का लाभ नहीं मिल पाता है। पहाड़ में जंगली जानवरों द्वारा भी फसल को नुकसान पहुचाने के कारण खेती की ओर युवा किसानों का लगाव भी कम हो रहा है। उन्होंने जंगली जानवरों से फसल की क्षति रोकने हेतु, सुरक्षा मद में धन बढ़ाने की मांग रखी।
उन्होंने जानकारी दी कि स्वैच्छिक चकबन्दी के माध्यम से इस समस्या से किसानों को निजात दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने उत्तराखण्ड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर मानकों में मदद राशि बढाने की अपेक्षा की। उन्होंने यहां के किसानों को परम्परागत बीजों में मिलने वाली सीड सब्सिडी जारी रखने की प्रभावी पैरवी की। उन्होंने कहा कि यहाँ का किसान परम्परागत बीजों को बोने में ज्यादा रूचि रखता है। उन्होंने पहाड़ के अनिश्चित एवं अतिवृष्टि की प्रकृति को देखते हुए काश्तकारों को फसल सुरक्षा बीमा से शत-प्रतिशत आच्छादित करने की योजना की जानकारी दी।
श्री उनियाल ने कृषि को व्यवसाय का रूप देने तथा काश्तकारों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाने के लिए फूड प्रोसेसिंग, स्थानीय उत्पादनों की ब्राॅडिंग, मार्केटिंग, कलस्टर आधारित विपणन केन्द्र/कलैक्सन सेन्टर की व्यवस्था आदि की आवश्यकता पर बल देते हुए सदस्य नीति आयोग से इसके लिए धन की अपेक्षा की। उन्होंने क्लस्टर आधारित वन विलेज वन फार्म कार्य योजना पर सदस्य महोदय का ध्यान आकृष्ट किया।
निदेशक कृषि गौरी शंकर द्वारा कृषि, उद्यान निदेशक डाॅ0 बी0एस0नेगी द्वारा उद्यान, विभागाध्यक्ष डाॅ0 नृपेन्द्र चैहान द्वारा सगंध पादप पौध विषय पर उत्तराखण्ड में संचालित योजना एवं कार्यक्रमों पर स्लाइड शो के माध्यम से जानकारी दी गई तथा इस सम्बन्ध में आ रही समस्याओं एवं वांछित सहयोग पर भी नीति आयोग के सदस्य का ध्यान आकृष्ट किया गया।
इस अवसर पर कृषि अर्थशास्त्री शिवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, अपर मुख्य सचिव डाॅ0 रणवीर सिंह, प्रभारी सचिव कृषि डी0 सैंथिल पांडियन, अध्यक्ष फोर्ड डाॅ0 आर0के0 पन्त, जी0वी0पन्त विश्वविद्यालय के डायरेक्टर डाॅ0 वाई0पी0एस0दबास, प्रबन्ध निदेशक जैविक उत्पादन विनय कुमार, डाॅ0 आर0सी0 श्रीवास्तव सहित सम्बन्धित अधिकारी मौजूद थे।