कई दिग्गज खिलाड़ियों के आलोचनाओं के बाद बीसीसीआई ने एक सीजन के बाद ही रणजी ट्रॉफी के फॉर्मेट को बदल दिया है। रणजी ट्रॉफी अब एक बार फिर होम अवे फॉर्मेट पर खेला जाएगा। इससे पहले पिछले सीजन में रणजी के सभी मुकाबले तटस्थ स्थानों पर खेला गया था।
रणजी ट्रॉफी का 2017-2018 का सीजन छह अक्तूबर को शुरू होगा और अब पहले की तरह मैच दो टीमों के बीच अपने और विरोधी टीम के मैच स्थल के आधार पर खेले जाएंगे। जबकि नॉक आउट मुकाबले तटस्थ स्थानों पर ही खेले जाएंगे। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की अगुवाई वाली बीसीसीआई की तकनीकी समिति ने अपने पुराने फैसले को बदलते हुए नया फैसला किया। समिति ने इस साल के शुरू में मुंबई में वार्षिक सम्मेलन में कोचों और खिलाड़ियों से मिले नकारात्मक फीडबैक मिलने के बाद यह फैसला किया।
बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा, ‘‘हालांकि नॉकआउट मैच पहले की तरह तटस्थ स्थलों पर खेले जाएंगे। ’’ तटस्थ स्थलों पर मैचों के आयोजन का फैसला पिछले साल गांगुली की अगुवाई वाली तकनीकी समिति की मंजूरी के बाद ही आजमाया गया था। इस दौरान स्टेडियम खाली पड़े रहे और मेजबान संघों ने भी मैचों में खास दिलचस्पी नहीं दिखायी।
गांगुली ने कहा, ‘‘हमने फिर से अपने और विराधी टीम के मैच स्थल पर मैचों के आयोजन का फैसला विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखकर किया। यहां तक कि खिलाड़ी और कप्तान भी ऐसा चाहते थे। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब मैच कम होंगे। यह काफी लंबे समय तक खिंच जाते हैं। राज्य संघ भी अपनी टीमों के मैचों का आयोजन घरेलू स्थल पर चाहते थे। तटस्थ स्थलों पर मैचों का आयोजन हमने प्रयोग के तौर पर किया था और अब हमने फिर से मूल प्रारूप अपना लिया है। ’’
28 टीमें और चार ग्रुप-
इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। जिसमें सभी 28 टीमों को चार ग्रुप में बांटा जाएगा। अब तीन ग्रुप के बजाय सात-सात टीमों के चार ग्रुप होंगे।
छत्तीसगढ़ के जुड़ने से पिछले साल 28 टीमों ने रणजी ट्रॉफी में हिस्सा लिया। इनमें से ग्रुप ए और बी में नौ-नौ जबकि छत्तीसगढ़ सहित दस टीमें ग्रुप सी में शामिल थी। अब ए, बी, सी और डी चार ग्रुप होंगे और प्रत्येक ग्रुप में सात-सात टीमें होंगी। प्रत्येक टीम छह लीग मैच खेलेगी। प्रत्येक ग्रुप से चोटी पर रहने वाली दो टीमें क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगी।
यह पिछले सत्र से हटकर है जबकि गुप ए और बी की टीमों को आठ मैच तथा ग्रुप सी की टीमों को नौ लीग मैच खेलने पड़ते थे। पहले दो ग्रुप से तीन-तीन टीमें जबकि ग्रुप सी से केवल दो टीमें ही क्वार्टर फाइनल में जगह बनाती थी।
गुलाबी गेंद से होगा मुकाबला
दलीप ट्रॉफी में पिछले साल की तरह गुलाबी गेंद का प्रयोग चलता रहेगा। इस पर बीसीसीआई के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा ने कि दलीप ट्रॉफी में गुलाबी गेंद का प्रयोग जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दलीप ट्रॉफी में गुलाबी गेंद से खेलना जारी रखेंगे क्योंकि किसी भी नये प्रयोग को पर्याप्त मौका मिलना चाहिए। हमारा प्रयास डे-नाइट मैचों में अधिक से अधिक प्रयोग करने का है। ’’