एक ओर मोदी सरकार डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर राजस्थान के जयपुर से ऐसा मामला सामने आया है जो इस डिजिटलाइजेशन पर सोचने को मजबूर कर रहा है।
बैंक की गलती का खामियाजा उद्योग भवन परिसर में स्थित चाय की दुकान पर छह हजार रुपए में नौकरी करने वाले राजकुमार को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, मामला नोटबंदी के समय का है। उस समय राजकुमार बैंक ऑफ बड़ौदा के खाते में 48 हजार रुपये जमा कराने गये थे। बैंक के कर्मचारी ने गलती से 48 हजार की जगह 4 करोड़ 80 लाख रुपये खाते में जमा कर दिए।
हालांकि, इस गलती के बाद तत्काल ही बैंक ने गलती मान रुपये विड्राल कर लिए थे। 14 माहीन तक सब ठीक चल रहा था कि अचानक राजकुमार को इनकम टैक्स विभाग ने नोटिस भेज दिया। तीन दिन तक पूछताछ की।
जब उन्होंने राजकुमार की कहानी सुनी तो उनके होश उड़ गए। इस बारे में राजकुमार ने कहा है कि मैं उद्योग भवन के पास चाय की दुकान में काम करता हूं।
हर माह मुझे 6 हजार रुपये पगार मिलती है। मैंने बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा में 18 नवंबर 2016 को 48 हजार रुपये जमा कराए थे। टेक्निकल एरर और क्लेरिकल मिस्टेक के कारण मेरे खाते में 4.80 करोड़ जमा हो गए।
उसने बताया कि बैंक कर्मचारी ने गलत एंट्री होने का हवाला देकर रुपये वापस निकाल भी लिए। मोटी रकम जमा होने पर इनकम टैक्स विभाग ने मुझे बुला लिया।
अधिकारी मुझसे तीन दिन तक पूछताछ भी करते रहे। मैं उन्हें यह हर बार बताता हूं कि बैंक की गलती के कारण इतनी बड़ी रकम मेरे खाते में आई थी।
इसके बावजूद मुझे अब तक इनकम टैक्स विभाग चार बार नोटिस देकर बुला चुका है। हर बार अफसर कैशबुक, सेल्स बिल, स्टॉक रजिस्टर लाने को कहते हैं। मैं चाय की दुकान पर काम करता हूं, मेरे पास ये सब है ही नहीं।
बता दें कि राजकुमार को इनकम टैक्स विभाग ने रिटर्न भरने के लिए कहा है, लेकिन राजकुमार के पास रिटर्न भरने के लिए रुपए ही नहीं है।
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