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भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैंः राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल

भगवान बुद्ध की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैंः राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल
उत्तराखंड

नैनीताल: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं मानव समाज के लिए सदैव प्रासंगिक रहेंगी। शांति, पे्रम व बंधुत्व का उनका संदेश, आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शताब्दियों पहले था। भगवान बुद्ध का करूणामय पे्रम का संदेश, सदियों से लोगों व समुदायों का पथ प्रदर्शन करता आया है। राज्यपाल, काशीपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। सम्मेलन का आयोजन इंटरनेशनल बुद्धा एजुकेशन इंस्टीट्यूट व यूथ एक्शन कमेटी उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया।‘‘दक्षिण पूर्वी एशियाई संस्कृति पर बौद्ध धर्म की प्रतिच्छाया’’ विषय पर आयोजित सम्मेलन के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि भगवान बुद्ध ने दुख को जीवन का मूलभूत तथ्य माना था। इस दुख को दूर करने के लिए उन्होंने संसार को अष्टांगिक मार्ग का सिद्धांत दिया। सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्मांत, सम्यक आजीव, सम्यक व्यायाम, सम्यक स्मृति व सम्यक समाधि को जीवन में अपनाना होगा। भगवान बुद्ध ने नैतिक मूल्यों, मानवता, बुद्धिमŸाा व प्रेममय करूणा पर बल दिया है। उन्होने कहा काशीपुर क्षेत्र प्राचीन समय से ही महात्मा बुद्ध से जुडा है महात्मा बुद्ध के संदेश के अवशेष यहा अभी भी मिलते है। इस सम्मेलन से आज जो चीजे निकलकर आयेगी उसका संदेश पूरे विश्व में जायेगा।

राज्यपाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं, समय की कसौटि पर खरी उतरी हैं। ये वर्तमान समय में पहले की तुलना में अधिक प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाओं पर चलकर ही वैश्विक शांति व बंधुत्व सम्भव है। ध्यान, बौद्धिक परम्परा का अभिन्न अंग रहा है। आज जब तनाव मनुष्य के दुख का बड़ा कारण बनता जा रहा है, ध्यान का अभ्यास लाभदायक हो सकता है। उन्होने कहा कि ग्लोबलाईजेशन के वर्तमान दौर में एक-दूसरे से अलग नहीं रहा जा सकता है। ऐसे में दया, प्रेम व शांति का बुद्ध का संदेश अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। इसमें कोई शंका नहीं की जा सकती है कि मानव सभ्यता पर बौद्ध धर्म का बहुत गहरा प्रभाव रहा है। बेहतर दुनिया बनाने के लिए भगवान बुद्ध के सत्य, शांति व बंधुत्व की शिक्षाओं को पूरी दुनिया में पहुंचाना होगा। सम्मेलन का उद्घाटन बुद्ध पुजा के साथ दीप प्रज्वलित कर किया गया।

राज्यपाल द्वारा दलाईलामा के प्रतिनिधि दमदुल दोरजी को सिम्बल आफ पीस अवार्ड,डा0के डोरा मालकी दास (श्रीलंका) भिक्षु विनीकेबल ज्ञान रत्ना महाथेरा(बाग्लादेश) भिक्षु बोधीजना(नेपाल),रत्ना यशवंत (भारत) को अवार्ड दिये गये।

सम्मेलन में थाईलैंड,म्यांसार,वियतनाम,कोरिया,बाग्लादेश,नेपाल,श्रीलंका,इटली आदि के बौद्ध प्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संजीव आकांक्षी व डा0 अविनीश चैहान द्वारा किया गया।

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