नई दिल्ली: भारत और सिंगापुर के बीच दूसरी रक्षा मंत्री वार्ता आज सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इसका उद्घाटन दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित संशोधित रक्षा सहयोग समझौते (डीसीए) के पश्चात किया गया ताकि सिंगापुर सशस्त्रबल (एसएएफ) और भारतीय सशस्त्र बल के बीच लम्बे समय से लंबित रक्षा संबंध सुदृढ़ बनाये जा सकें।
इस बैठक के दौरान विशेष महत्व नेवी सहयोग के लिए भारत सिंगापुर द्विपक्षीय वार्ता की सम्पनता था जिसके परिणामस्वरूप सामुद्री सुरक्षा, संयुक्त अभ्यास, एक दूसरे की नाविक सुविधाओं से अस्थायी नियोजन एवं पारस्परिक लॉजिस्टिक सहायता में सहयोग बढ़ेगा। दोनों मंत्री अगले वर्ष सिंगापुर – भारत सामुद्रिक द्विपक्षीय अभ्यास की 25वां वर्षगांठ मनाने की प्रतीक्षा में हैं।
डॉ. एनजी ने वायु सेना तथा सेना द्विपक्षीय समझौते के अंतर्गत सिंगापुर सशस्त्र बलों के भारत में प्रशिक्षण के लिए निरंतर सहायता की प्रशंसा की। दोनों मंत्रियों ने इस वर्ष जनवरी में 11वीं सिंगापुर – भारत रक्षा नीति वार्ता के आधार पर वायु सेना द्विपक्षीय समझौते के नवीकरण का स्वागत किया और अगले वर्ष सेना द्विपक्षीय समझौते के सफलतापूर्वक नवीकरण की कामना की।
क्षेत्रीय सुरक्षा के संबंध में दोनों मंत्रियों ने नौकायन और व्यापार के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के समरूप सामुद्रिक स्वतंत्रता को बनाये रखने के महत्व की पुन: पुष्टि की। भारत आशियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीडीएमएम) – प्लस में अहम भूमिका निभाता है। दोनों मंत्रियों ने सभी एडीएमएम – प्लस देशों को अनियोजित सामुद्रिक मुठभेडों के कूट के विस्तार तथा सैनिक वायुयानों के बीच अंतरिक्ष मुठभेडों के मार्ग निर्देश तैयार करने के सिंगापुर के प्रस्ताव पर भी विचार विमर्श किया ताकि गलत गणना के जोखिम को कम किया जा सके।
भारतीय समुद्री क्षेत्र में भारत की बढ़ती हुई भूमिका की प्रशंसा करते हुए डॉ. एन जी ने भारत के उस प्रस्ताव पर सहमति जताई जिसमें उनके सामुद्रिक क्षेत्र में निरंतर तथा संस्थानिक नाविक संलिप्तता एवं समान विचार वाले क्षेत्रीय / आशियान भागीदारों के साथ सामुद्रिक अभ्यास की व्यवस्था करना शामिल है।
दोनों मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा धमकियों तथा विशेषकर आतंकवाद की धमकियों से निपटने के संयुक्त रूप से उपायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
दोनों मंत्रियों ने संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं शुरू करने के लिए अक्टूबर 2006 में भारत – सिंगापुर रक्षा प्रौद्योगिक स्टेयरिंग समिति की स्थापना के दौरान से हुई प्रगति को भी प्रशस्त किया।
डॉ. एन जी ने भारत की इस पेशकश की भी प्रशंसा की जिसमें सिंगापुर को परीक्षण आयोजित करने तथा अनुसंधान एवं अभिकल्प परियोजनाओं के मूल्यांकन के आयोजनार्थ अपने परीक्षण केंद्रों और अवसंरचना का उपयोग करने की छूट दी है।
सिंगापुर और भारत ने इस वर्ष अगस्त में रक्षा उद्योग कार्यकारी समूह (डीआईडब्ल्यूजी) के लिए विचारार्थ विषयों पर हस्ताक्षर करके रक्षा उद्योग सहयोग में भी प्रगति की है। दोनों मंत्रियों ने दोनों देशों के अंतरिक्ष, इलेक्टॉनिक्स तथा अन्य पारस्परिक महत्व के क्षेत्रों में भी अधिक सहयोग की सुविधा प्रदान करने पर सहमति जताई।
डॉ. एनजी ने स्थिर हिन्द – प्रशांत क्षेत्र के भारत के विजन को स्पष्ट करने के लिए 2018 सांगरी – ला वार्ता में मुख्य वक्ता बनना स्वीकार करने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा की।