नई दिल्ली: नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 04 से 06 अगस्त तक तीसरा भारतीय अंतर्राष्ट्रीय जूता मेला-2017 (आईआईएफएफ) आयोजित किया जा रहा है। मेले का आयोजन भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) द्वारा उस समय किया जा रहा है, जब प्रदर्शनी परिसर को विश्व स्तरीय एकीकृत प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर के रूप में बनाया जा रहा है।
आईआईएफएफ में खरीदारों को जरूरतों में हो रहे बदलाव के साथ उभरती टैक्नोलॉजी की विशेषताएं देखने को मिलेंगी। इससे भारतीय जूता बाजार को नये अवसर मिलेंगे।
मेले का आयोजन भारतीय जूता उद्योग परिसंघ (सीआईएफआई) के सहयोग और चमड़ा निर्यात परिषद (सीएलई) केन्द्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) तथा भारतीय जूता निर्माता एसोसिएशन (आईएफसीओएनए) के समर्थन से किया जा रहा है।
तीन दिन के इस मेले में भारत की 150 अग्रणी कंपनियां भाग लेंगी। चीन, ताइवान तथा इटली के 100 भागीदार मेले में शामिल होंगे। मेले में जूता तथा जूता सामग्री, एसेसरी, सिंथेटिक सामग्री तथा पीवीसी/पीयू, रसायन, मशीन, उपकरण तथा प्रौद्योगिकी दिखाई जाएगी।
देश में एकीकृत वस्तु और सेवाकर प्रभावी होने से इस मेले का महत्व काफी बढ़ गया है। वस्तु और सेवा कर लागू होने से भारत कारोबारी सहजता वाला देश बन गया है। आईआईएफएफ में भारत की निर्यात क्षमता दिखाने के अतिरिक्त मेले का उद्देश्य भारत को पसंदीदा निवेश स्तर के रूप में दिखाना है।
भारत चीन के बाद विश्व में दूसरा बड़ा जूता निर्माता देश है। वैश्विक स्तर पर 23.00 बिलियन जोड़े जूता बनाने के काम में भारत की हिस्सेदारी 9.57 प्रतिशत है। भारत में विभिन्न तरह के 2200 मिलियन जोड़े जूते बनते है। इसमें से 95 प्रतिशत जूतों की बिक्री घरेलू बाजार में होती है। भारत में जूते बनाने के प्रमुख केन्द्र है – तमिलनाडु – चेन्नई, रानीपेट तथा अंबुर, नई दिल्ली – उद्योग नगर, मंगोलपुरी तथा नरेला, उत्तरप्रदेश – कानपुर, आगरा, नोएडा, सहारनपुर, पंजाब – जलंधर, लुधियाना, हरियाणा – सोनीपत, फरीदाबाद, गुरूग्राम तथा बहादुरगढ़, महाराष्ट्र – पुणे और मुम्बई, पश्चिम बंगाल – कोलकाता, राजस्थान – जयपुर, केरल –कालीकट तथा एर्नाकुलम। जूता बनाने के काम में 1.100 मिलियन श्रमिक हैं।
6 comments