उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव श्रीमती लीना नंदन और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने आज बीआईएस की नई पहलों के बारे में वर्चुअल माध्यम से एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित किया।
बीआईएस की पहलों के बारे में मीडिया को संबोधित करते हुए उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव श्रीमती नंदन ने कहा कि बीआईएस ने विकास की यात्रा के दौरान कई उपलब्धियां हासिल की हैं और हमारे देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बीआईएस ने कई नई पहल की हैं और इन पहलों से हमारे विनिर्माण क्षेत्र की कार्यक्षमता, उत्पादों के मानकीकरण और उनकी गुणवत्ता में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि बीआईएस विभिन्न मंत्रालयों के साथ मिलकर कई नए मानकों के विकास के लिए काम कर रहा है। इस अवसर पर बीआईएस सुधारों से संबंधित एक पुस्तिका भी लॉन्च की गई।
बीआईएस, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा कार्यकुशलता के मंत्र: गति, कौशल और पैमाने को
सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके कार्यकरण के सभी पहलुओं में इसका भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है।
मानकीकरण के क्षेत्र में इसे प्रोसेस रि-इंजीनियरिंग, ओटोमेशन और जनशक्ति वृद्धि के संयोजन के माध्यम से प्राप्त करने के लिए नियोजित किया गया है।
• अनुभागीय समितियों की तिमाही बैठक
• विकास या पुनरीक्षण के अधीन प्रत्येक मानक के लिए स्तरवार समय-सीमा
• कार्य अनुसंधान, प्रक्रिया का अभिन्न अंग होगा
• मंत्रालयों और उद्योग संघों में मानकीकरण प्रकोष्ठों के माध्यम से परामर्श प्रक्रिया की ब्रॉन्ड-बैंडिंग
• एक वैज्ञानिक अधिकारी, वर्ष में 30 मानकों से अधिक मानकों के लिए काम नहीं करे, यह सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधनों का बेहतर प्रावधान करना
• शीघ्र अनुरूप बनाने के लिए समनुरूपी आईएसओ/आईसी मानकों की तैयारी या पुनरीक्षण के समानान्तर मानकों के पुनरीक्षण की शुरुआत
हमारे पास लगभग 21000 भारतीय मानक हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हमने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं के लिए संगत प्रत्येक उत्पाद के लिए उचित मानक सूचित कर दिए है।
उद्योगों, एमएसएमई क्षेत्र के लाभ के लिए भारतीय मानक अब नि:शुल्क उपलब्ध हैं और ई-बीआईएस के मानक-पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
विभिन्न संगठनों में चल रहे मानक तैयारी के कार्य में सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक राष्ट्र, एक मानक स्कीम शुरू की गई है। आरडी एसओ, इंडियन रोड कांग्रेस और प्रतिरक्षा मंत्रालय के अंतर्गत मानकीकरण महानिदेशालय जैसे एसडीओ के साथ परामर्श की प्रक्रिया जारी है।
जहां तक अनुरूपता मूल्यांकन का संबंध है, पणधारियों पर अनुपालन का भार कम करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं:
• लाइसेंस प्रदान करने, लाइसेंस का नवीकरण करने सहित प्रमाणन की संपूर्ण प्रक्रिया का स्वचालन (ओटोमेशन) और समावेशन को ई-बीआईएस के मानक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से स्वचालित किया जाता है।
• आवेदन-पत्रों के निस्तारण के लिए सख्त समय-सीमा और अनुपालन की वास्तविक समय आधारित निगरानी।
• लाइसेंसों के स्वचालित पुनर्नवीकरण प्रणाली की शुरुआत।
• सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप तथा महिला उद्यमियों के लिए न्यूनतम मुहरांकन शुल्क में उल्लेखनीय कमी।
• 80 प्रतिशत से अधिक उत्पादों को सरलीकृत प्रक्रिया के अंतर्गत लाया जा रहा है। इसका अर्थ यह है कि इन उत्पादों के विनिर्माण के लिए लाइसेंस एक माह के भीतर प्रदान कर दिए जाएंगे।
• प्रोसेसिंग में देरी को कम करने के लिए आवेदन-पत्र की जांच के स्तर पर आवेदकों के साथ परामर्श करने की प्रणाली शुरू की गई।
इन पहलों के फलस्वरूप, 90 प्रतिशत से अधिक आवेदनों को निर्धारित समय के भीतर निस्तारण करना संभव हो सका है।
देश में गुणवत्ता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए कारखाना और बाजार निगरानी अहम है। निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए निम्नलिखित पहलें की गई हैं:
• कारखाना निगरानी के लिए एनएबीसीबी प्रत्यायित पांच एजेंसियों का नियोजन
• बाजार निगरानी करने के लिए दो बाहरी एजेंसियों का नियोजन
•अधिक गति और पारदार्शिता के लिए मोबाइल ऐप आधारित निगरानी प्रणाली का विकास
•आयातित वस्तुओं की निगरानी के लिए सीमाशुल्क ‘आइसगेट’ का ई-बीआईएस के विदेशी विनिर्माता प्रमाणन माड्यूल के साथ समेकन
• उत्पादन और परेषिती ब्यौरों की नियमित फीडिंग के लिए मानक ऑनलाइन में माड्यूल की शुरूआत की गई
प्रयोगशाला प्रचालनों को अधिक कार्यकुशल बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
• भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) और मान्यता प्राप्त निजी प्रयोगशालाओं में परीक्षण और उत्पाद नमूनों की संपूर्ण प्रक्रिया को स्वचालित बनाने के लिए एल.आई.एम.एस. (प्रयोगशाला सूचना प्रबंधन प्रणाली) का विकास
• एलआईएमएस वास्तविक समय आधार पर प्रत्येक नमूने की प्रगति की ट्रैकिंग सुनिश्चित करता है।
• एलआईएमएस का मानक ऑनलाइन और सीआरएस पोर्टलों के साथ समेकन
• प्रयोगशाला को मान्यता देने की स्कीम का स्वचालन (ओटोमेशन)
• एनएबीएल और बीआईएस की प्रत्यायन और मान्यता प्रक्रियाओं का समेकन
• वैज्ञानिक अंतराल विश्लेषण के आधार पर परीक्षण सुविधाओं के प्रसार और स्तरोन्यन के लिए कार्य योजना
• गुच्छ आधारित प्रयोगशालाओं और सेटेलाइट प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।
सोने के आभूषण और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग की एक विश्वसनीय और पारदर्शी प्रक्रिया तैयार करने के लिए, निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
• ज्वेलरों के पंजीकरण की ऑनलाइन और स्वचालित प्रणाली
• एसेइंग और हॉलमार्किंग की संपूर्ण प्रक्रिया को स्वचालित करना
• एसेइंग और हॉलमार्किंग केन्द्रों की लेखा-परीक्षण और बाजार निगरानी की मोबाइल ऐप आधारित प्रणाली
• योग्य जनशक्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हॉलमार्किंग में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम का शुभारंभ
देश में मानकों की मांग को सृजित करने के लिए उपभोक्ताओं, उद्योग जगत, सरकारी विभागों, शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थानों में गुणवत्ता जागरूकता सृजित करना प्राथमिक रूप से महत्वपूर्ण है। इस प्रयोजनार्थ कई कदम उठाए गए हैं जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
• मंत्रालयों एवं उद्योग संघों ने मानकीकरण प्रकोष्ठ
• विधिवत तरीके से उद्योग के साथ परामर्श में वृद्धि पर ध्यान देना
• आईआईटी, आईआईएम, एनएलयू जैसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन
• इंजीनियरिंग और पेशेवर संस्थानों के पाठ्यक्रम के साथ एकरूपता के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन
• उच्च विद्यालयों और कॉलेजों ने मानक क्लबों का सृजन
• ई-बीआईएस के रूप में कंज्यूमर इंगेजमेंट और प्रशिक्षण पोर्टल का विकास
• बीआईएस टॉक्स शीर्षक के तहत शैक्षिक वीडियो का निर्माण
•बीआईएस द्वारा सरकारी संगठनों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को केवल भारतीय मानक और प्रमाणन का उपयोग करने हेतु निर्देशित करना
• और अधिक उत्पादों को गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत लाने हेतु मंत्रालयों के साथ मानकों की सूची साझा की गई।
बीआईएस राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की उभरती जरूरतों और उपभोक्ता के हितों के प्रति सजग है और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए उसके पास एक रोड मैप है।
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