नई दिल्ली: भारतीय राजस्व सेवा (सीमा शुल्क और केन्द्रीय उत्पाद शुल्क) के 67वें बैच (2015) के प्रोबेशनरों ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से भेंट की।
प्रोबेशनरों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में राजस्व संग्रह का कार्य महत्वपूर्ण है। अधिकारियों द्वारा एकत्र किए गए राजस्व का इस्तेमाल देश के विकास के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि कर संग्रह की प्रक्रिया सरल होनी चाहिए और इसके कारण करदाताओं को कम से कम परेशानी होनी चाहिए। उन्होंने प्रोबेशनरों को सलाह दी कि वे अर्थशास्त्र में कर संग्रह के संबंध में चाणक्य द्वारा कहीं हुई बात को याद रखें कि सरकार को करों का संग्रह मधुमक्खी की तरह करना चाहिए, जो फूलों से सही मात्रा में शहद निकालती हैं ताकि दोनों जीवित रह सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवा अधिकारी जीएसटी के कार्य को आगे बढ़ाएंगे जो आजादी के बाद भारत का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार है। उन्होंने कहा कि ये वैश्विककरण और तकनीकी आधुनिकीकरण का युग है। इसके कारण व्यापार और निवेश के लिए व्यापक अवसर खुले है, लेकिन दुर्भाग्यवश जालसाजी और हवाला के द्वार भी खुले है। आर्थिक क्रियाकलापों को आगे बढ़ाना और जालसाजी को रोकना युवा अधिकारियों का कार्य है। दोनों लक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि वे जो भी कार्य करेंगे उसका भारत और दुनिया में भारत की छवि पर- एक विश्वसनीय व्यवसायिक स्थल के रूप में, निष्पक्ष और पूर्वानुमेय कर शासन पद्धति के रूप में प्रभाव पड़ेगा। राष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से कहा कि वे इस बड़ी जिम्मेदारी को सावधानीपूर्वक निभाएं।
राष्ट्रपति ने सभी अधिकारियों के सफल भविष्य की कामना की और कहा कि उनकी ईमानदारी से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। एक विश्वसनीय कर अधिकारी ही विश्वसनीय कर प्रणाली का निर्माण कर सकता है।
इन प्रोबेशनर का वर्तमान में नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड नारकोटिक्स, फरीदाबाद में प्रशिक्षण चल रहा है।