नई दिल्लीः भारत में टोल के लिए “जितना आप इस्तेमाल करें उतना ही भुगतान करें” से संबंधित बजट में की घोषणा के कार्यान्वयन के लिए मार्ग प्रशस्त करते हुए, भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने प्रणाली की कार्यान्वयन क्षमता का अध्ययन करने के लिए एक पायलट परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है।इस पायलट परियोजना के अंतर्गत दिल्ली-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 500 वाणिज्यिक वाहनों के लिए जीपीएस / जीएसएम तकनीक पर चल रहे उपग्रह आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली को लागू करना शामिल है। यह परियोजना एक वर्ष तक चलेगी।
मोबाइल दूरसंचार प्रौद्योगिकी (जीएसएम) और उपग्रह आधारित ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम के संयोजन पर कार्य करने वाली यह परियोजना, प्रस्तावित टोलिंग सिस्टम के अंतर्गत पैसा वाहन के खाते से ही कट जायेगा, और एक दिन के अंदर रियायत राशि फिर उसी खाते में जमा हो जाएगी तथा फिर टोल गेट को खोल सकता है। यदि लेनदेन असफल हो जाता है तो यह टोल ऑपरेटर को मैन्युअल रूप से भुगतान एकत्र करने के लिए सचेत कर सकता है और फिर गेट को नहीं खोला जा सकता है।
यह पायलट परियोजना एफएटीएएजी कार्यक्रम के तहत एनएचएआई द्वारा प्रस्तावित मौजूदा प्री-पेड वॉलेट अकाउंट के साथ नए समाधान को एकीकृत करने के तरीकों को भी देखेगा। यह दूरी आधारित टोलिंग और मौजूदा टोलिंग सिस्टम के बीच की तुलना भी करेगा जैसे वर्चुअल टोलिंग बनाम सामान्य टोलिंग में भी किया जाता है।
इस परियोजना के लिए आरएफपी 25 जनवरी 2018 को शुरू किया गया था। पूर्व-बोली बैठक 9 फरवरी को है और बोली की तारीख 26 फरवरी, 2018 है।
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